ऐसा माना जाता था कि अनिल कुंबले के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर्स ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न और श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन की तरह गेंद को दोनों दिशाओं में टर्न कराने की क़ाबलियत नहीं थी लेकिन इसके बावजूद ना केवल वह अपनी गेंदबाज़ी में निरंतर विविधता लाये बल्कि अपनी गुगली से उन्होंने विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों को भी खूब परेशान किया। इसके अलावा शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन के बाद वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में तीसरे स्थान पर रहे। आपको बता दें कुंबले ने अपने टेस्ट करियर में 619 विकेट लिए हैं। उनका यह प्रदर्शन ऐसे समय में आया जब गेंद को स्पिन ना करवा पाने के कारण उनकी आलोचना होती थी। अनिल कुंबले टेस्ट प्रारूप में 600 से ज़्यादा विकेट लेने वाले भारत के पहले और एकमात्र गेंदबाज़ हैं। इसके अलावा वनडे प्रारूप में भी कुंबले भारत की और से दुनिया के दस सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में 9 वें नंबर पर हैं। यह आंकड़े उन्हें भारत का सबसे सफल और महान गेंदबाज़ बनाते हैं। यहां तक कि उनके सबसे बड़े आलोचकों को भी यह बात माननी पड़ेगी कि बेंगलुरु के यह गेंदबाज़ लगभग दो दशकों तक टीम इंडिया के गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान संभालते रहे हैं और उन्होंने अकेले दम पर टीम को कई मैच जिताये हैं। इस स्लॉट के लिए अन्य दावेदार हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन और ग्रीम स्वान हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट के तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ को इन तीनो प्रतिभाशाली गेंदबाजों पर तरजीह देना ठीक होगा। मैच: 132, विकेट: 619, औसत: 2 9 .66 # 9 जेम्स एंडरसन 540 विकेट के साथ, जेम्स एंडरसन टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं। गेंदबाजी को स्विंग कराने में माहिर इस तेज़ गेंदबाज़ ने घरेलू और विदेशी दोनों जगहों पर अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। उन्होंने केवल 138 मैचों में 2.9 की इकोनॉमी रेट से 500 से ज़्यादा विकेट लिए हैं। इसके अलावा एक मैच में तीन बार 10 विकेट लेने का कारनामा भी उन्होंने किया है। वह किसी भी पिच पर अपनी स्विंग से गेंदबाज़ों के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं और किसी भी मैच का पासा पलटने की उनमें अदभुत क़ाबलियत है। एंडरसन हालाँकि काफी समय से क्रिकेट से दूर रहे हैं लेकिन भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ से वह इंग्लिश टीम में वापसी कर सकते हैं। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट इस साल की शुरुआत में खेला था। निश्चित रूप से वह टेस्ट में वापसी कर ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज़ ग्लेन मैकग्रा के 563 विकेटों के आंकड़े को पार करने के लिए उत्सुक होंगे। इसके अलावा अगर वह अपनी फिटनेस बरकरार रखते हैं और निरंतर खेलते रहते हैं तो इस स्टाइलिश तेज गेंदबाज के लिए 600 विकेट लेना भी मुश्किल नहीं होगा। ऐसे आंकड़ों के बाद जेम्स एंडरसन को इस फेहरिस्त में शामिल ना करना असंभव है। अपनी गेंदबाज़ी में स्विंग और विवधता की वजह से वह भारत और इंग्लैंड की संयुक्त टेस्ट एकादश में टीम के गेंदबाज़ी आक्रमण का नेतृत्व कर सकते हैं। मैच: 118, विकेट: 417, औसत: 28.89 #10 स्टुअर्ट ब्रॉड टी-20 विश्व कप में एक ओवर में युवराज सिंह द्वारा ब्रॉड को 6 छक्के पड़ने के बाद यह माना जा रहा था कि इस युवा गेंदबाज़ का क्रिकेट करियर खत्म होने के कगार पर है। लेकिन अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखने के बावजूद यह इंग्लिश तेज़ गेंदबाज़ ना केवल टीम में बने रहे बल्कि इंग्लैंड के लिए कई मैचों में उन्होंने निर्णायक गेंदबाज़ी भी की। क्रिकेट इतिहास में ऐसे बहुत कम गेंदबाज़ हैं जिन्होंने अपने क्रिकेट जीवन के शुरुआती दौर में बेहद लचर प्रदर्शन के बाद शानदार वापसी की हो। 2007 के टी-20 विश्व कप के बाद उनका करियर खत्म होता नज़र आ रहा था लेकिन इंग्लैंड के टीम प्रबंधन ने उन पर भरोसा दिखाया। लेकिन 2018 में इसी गेंदबाज़ के नाम पर टेस्ट क्रिकेट में 400 से ज़्यादा विकेट हैं और वह इंग्लैंड की तरफ से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। ब्रॉड अपनी गेंदबाज़ी में उछाल और सटीकता से विरोधी बल्लेबाज़ों को परेशानी में डाल सकते हैं। एंडरसन के साथ, उन्होंने इंग्लैंड के लिए टेस्ट मैचों में एक तेज गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व किया है। भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ियों की इस संयुक्त एकादश में यह दोनों गेंदबाज़ दुनिया के किसी भी बल्लेबाज़ी लाइन-अप को तहस नहस करने में सक्षम है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जिस में उन्होंने 15 रनों पर 8 विकेट लिए थे, इस बात का सबूत है कि यह 32 वर्षीय गेंदबाज़ आने वाले सालों में भी निरंतर अच्छा प्रदर्शन करते रहेंगे। इस के अलावा ब्रॉड निचले क्रम में बल्ले से भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। मैच: 118, विकेट: 417, औसत: 28.89 #11 ज़हीर ख़ान भारतीय उपमहद्वीप की धीमी पिचें तेज़ गेंदबाज़ों के अनुकूल नहीं हैं और ऐसे कई गेंदबाज़ जिनका करियर धीमी पिचों की वजह से आगे नहीं बढ़ सका। हालांकि कोई भी तेज़ गेंदबाज़ महान क्रिकेटर कपिल देव के प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाया लेकिन दो गेंदबाज़ ऐसे हैं जो उनके गेंदबाज़ी आंकड़े के नज़दीक पहुंचे। यह दो गेंदबाज़ हैं- जवागल श्रीनाथ और ज़हीर खान। अपने सर्वश्रेष्ठ दिन में, ज़हीर ने हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनकी गेंद को सराहनीय रूप से स्विंग कराने और सटीक यॉर्कर्स करने की क्षमता उन्हें भारत और इंग्लैंड की संयुक्त एकादश में शामिल करने के लिए काफी है। अपने करियर के मध्य तक वह भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ बन गए थे और करियर के आखिरी दौर में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल हो चुके थे। अपने टेस्ट करियर में खेले 91 मैचों में ज़हीर ने 311 विकेट लिए हैं, जो उन्हें 300 से ज़्यादा विकेट लेने वाले दुनिया के चुनिंदा गेंदबाज़ों में शामिल करता है। लगभग डेढ़ दशक तक फैले अपने टेस्ट करियर में वह भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण की मुख्य धुरी रहे हैं। तीसरे तेज़ गेंदबाज़ के स्लॉट के लिए जहीर और डैरेन गॉफ़ में कांटे की टक्कर थी लेकिन बाएं हाथ के गेंदबाज़ ने गॉफ़ के मुकाबले ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है। गॉफ़ ने अपने टेस्ट करियर में 229 विकेट हासिल किये हैं। मैच: 92, विकेट: 311, औसत: 32.94 लेखक: प्रवीण एनवीएस अनुवादक: आशीष कुमार