भारतीय टीम (Indian Cricket Team) एक और वर्ल्ड कप (World Cup) के नॉकआउट मुकाबले में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। 2013 के बाद से ही ये सिलसिला लगातार जारी है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी टीम इंडिया के एप्रोच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि 2011 में भारत ने वर्ल्ड कप जीता था लेकिन उसके बाद से टीम लगातार नॉकआउट्स में हारती रही है।
पिछले कई सालों से नॉकआउट मुकाबलों में टीम इंडिया का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। वहीं दिग्गज खिलाड़ी भी सेमीफाइनल या फाइनल में आकर फ्लॉप होते रहे हैं। टीम 2014 के वर्ल्ड टी20 के फाइनल में पहुंची थी लेकिन श्रीलंका से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वहीं 2015 के वर्ल्ड कप में टीम सेमीफाइनल में हार गई थी। 2016 के टी20 वर्ल्ड कप में भी टीम सेमीफाइनल में हार गई थी। 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी उन्हें पाकिस्तान से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा 2019 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भी टीम को हार मिली थी। 2021 के टी20 वर्ल्ड कप से टीम पहले ही दौर से बाहर हो गई थी।
भारतीय टीम का एप्रोच सही नहीं है - माइकल वॉन
अब 2022 में भी टीम इंडिया एक बार फिर सेमीफाइनल में आकर हार गई। इसके बाद टीम पर काफी सवाल उठ रहे हैं। माइकल वॉन ने द टेलीग्राफ में लिखे अपने कॉलम में कहा,
50 ओवरों का वर्ल्ड कप जीतने के बाद से उन्होंने किया ही क्या है ? कुछ भी नहीं। भारतीय टीम सफेद गेंद में इस तरह की क्रिकेट खेल रही है जो काफी पुरानी हो चुकी है। भारतीय टीम इतिहास की सबसे कम परफॉर्म करने वाली सफेद गेंद की टीम है। दुनिया का हर एक प्लेयर जो आईपीएल खेलने जाता है वो बताता है कि कैसे आईपीएल की वजह से उसके गेम में सुधार हुआ लेकिन भारत ने क्या किया ? जिस तरह का टैलेंट उनके पास है और जिस तरह से वो खेलते हैं उससे मैं हैरान हूं। उनके पास प्लेयर हैं लेकिन तरीका सही नहीं है। अगर आप पहले पांच ओवरों में विरोधी टीमों के गेंदबाजों को हावी होने का मौका दे देंगे तो फिर रन कहां से बनेंगे ?