एमएस धोनी के डेब्यू मैच की भारतीय टीम के सदस्य अब कहां हैं?

धोनी आज भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं। उन्होंने आईसीसी के तीनों बड़े टूर्नामेंट अपने नाम करने वाले एक मात्र कप्तान हैं। जिसमें टी-20 वर्ल्डकप, 50 ओवर का वर्ल्डकप और चैंपियंस ट्राफी के साथ उनकी कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट की रैंकिग में शीर्ष पर रह चुकी है। झारखण्ड के इस क्रिकेटर की टीम इंडिया की तरफ से खेलने की कहानी किसी करिश्मे की तरह रहा है। धोनी ने अपना पहला वनडे मैच बांग्लादेश के खिलाफ चटगाँव में साल 2004 दिसम्बर में खेला था। ये सीरीज 3 मैचों की थी। छठे नम्बर पर खेलने उतरे धोनी इस मैच में रनआउट हो गये थे। हालाँकि भारत ने इस मैच को जीत लिया था। जिसमें कैफ को 80 रन की पारी के लिए मैन ऑफ़ द मैच मिला था। आइये एक नजर डालते हैं धोनी के डेब्यू मैच के भारतीय एकादश पर और अब वह कहाँ हैं: सौरव गांगुली धोनी ने सौरव गांगुली की कप्तानी में अपना पहला मैच खेला था। इस मैच में धोनी की तरह गांगुली भी जीरो पर आउट हो गये थे। गांगुली की कप्तानी में धोनी ने तकरीबन एक साल क्रिकेट खेला था। उसके बाद ग्रेग चैपल से विवाद और खराब फॉर्म होने के वजह से गांगुली को टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया था। लेकिन उन्होंने 2006 में दोबारा वापसी की और टेस्ट में दोहरा शतक बनाया। गांगुली को लोग प्यार से दादा भी कहते हैं, उन्होंने साल 2008 में बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी जीतने के साथ ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। इस दौरान उनका पूरा करियर उपलब्धियों से भरा रहा। उसके बाद वह टीवी पर गेम शो के होस्ट और बतौर कमेंटेटर नजर आये। फ़िलहाल गांगुली इस वक्त बंगाल क्रिकेट के अध्यक्ष हैं और आईएसएल में एटलेटिको डे कोलकाता टीम के सहमालिक हैं। सचिन तेंदुलकर धोनी के डेब्यू वाले मैच में तेंदुलकर गांगुली के साथ सलामी बल्लेबाज़ी करने उतरे थे। जहाँ उन्होंने 32 गेंदों में 19 रन बनाये थे। तेंदुलकर के नाम उस वक्त वनडे और टेस्ट में 10 हजार से ज्यादा रन थे। इसके अलावा सचिन ने एमएस धोनी की कप्तानी में भी शानदार खेल दिखाते हुए भारतीय टीम को 28 साल बाद विश्वकप में जीत दिलाने में अहम योगदान दिया। सचिन के नाम क्रिकेट के बहुत से रिकॉर्ड दर्ज हैं। साल 2012 में सचिन ने क्रिकेट खेलते हुए राज्यसभा की सदस्यता हासिल की। उसके बाद साल 2013 में सचिन ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। सचिन आज भी खेल को भारत में प्रोमोट करने का काम करते हैं। वह रियो ओलंपिक के लिए ब्रांड एम्बेसडर भी बनाये गये थे। आईएसएल में उनकी टीम केरला ब्लास्टर है। पिछले साल सचिन ने शेन वार्न के साथ मिलकर आल स्टार टी-20 क्रिकेट यूएस में आयोजित किया था। जिसमें तीन ब्लॉकबस्टर मैच हुए थे। जिसे पूरी दुनिया में सराहा गया था।

युवराज सिंह

धोनी ने जब डेब्यू किया था, तब युवराज भारत के उभरते हुए सितारे थे। उन्होंने उस मैच में 33 गेंदों में 21 रन बनाये थे। युवराज भारत के सीमित ओवरों के सफल खिलाड़ी थे। लेकिन वह टेस्ट ए उतने सफल नहीं हुए। युवराज ने भारत को विश्वकप जिताने में अहम योगदान दिया। तब कप्तान धोनी ही थे। पंजाब के इस क्रिकेटर को जीवन से तब संघर्ष करना पड़ा जब उन्हें कैंसर हो गया। कैंसर को हराने के बाद युवराज ने टीम में वापसी की। लेकिन वह टीम में जगह पुख्ता नहीं कर पाए। हाल ही में उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से टी-20 वर्ल्डकप में खेला था। इसके अलावा आईपीएल में उनकी टीम सनराइजर्स चैंपियन भी बनी।

राहुल द्रविड़

धोनी के डेब्यू करने से पहले तक राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम में विकेटकीपिंग की जिम्मेवारी संभाली थी। इस मैच में कैफ के साथ मिलकर द्रविड़ 53 रन बनाते हुए 128 रन की साझेदारी की। सौरव गांगुली के बाद द्रविड़ ने भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने इंग्लैंड में सीरीज जीती। लेकिन साल 2007 के वर्ल्डकप में बुरी तरह हारने के बाद उन्हें कप्तानी छोडनी पड़ी। बतौर बल्लेबाज़ द्रविड़ भारतीय टेस्ट टीम के रीढ़ बने रहे। इंग्लैंड में 2011 में खराब दौरे पर भी द्रविड़ ने 4 मैचों में 3 शतक बनाये थे। हालाँकि ये दिग्गज ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर बुरी तरह फ्लॉप रहा। जिसके कुछ महीने के बाद द्रविड़ ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। लेकिन वह आईपीएल में खेलते रहे। आईपीएल में वह दिल्ली के और अंडर-19 टीम के वह फ़िलहाल अभी कोच हैं। इसके अलावा वह इंडिया ए के भी कोच हैं।

मोहम्मद कैफ

धोनी ने जब डेब्यू किया था, तब कैफ भारतीय टीम के मध्यक्रम के बल्लेबाज़ थे। उन्होंने उस मैच में 80 रन बनाकर मैन ऑफ़ द मैच बने थे। साल 2005 के बाद कैफ के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आती गयी और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। हालाँकि उनकी टेस्ट टीम में वापसी हुई थी। कैफ अपने घरेलू टीम उत्तर प्रदेश के लिए खेलते रहे। साथ ही 2014 में वह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे। लेकिन वह हार गये थे। 2014/15 में वह आन्ध्र प्रदेश की तरफ से रणजी खेलने चले गये। इस साल वह छत्तीसगढ़ की तरफ से रणजी खेल रहे हैं।

श्रीधरन श्रीराम

एमएस धोनी ने जब डेब्यू किया था, तब श्रीराम की भारतीय टीम में वापसी हुई थी। लेकिन वह इस मैच में मात्र 3 रन बना सके थे। लेकिन उन्होंने इस मैच में 3 विकेट लिए थे। यद्यपि श्रीराम ने अगले मैच में 57 रन की पारी खेली थी। लेकिन इसके बावजूद उन्हें दोबारा टीम में मौका नहीं मिला। साल 2012 में श्रीराम ने 53 के से तकरीबन एक हजार रन रणजी में बनाया था। श्रीराम बागी क्रिकेट लीग आईसीएल में भी खेले थे। उसके बाद आईपीएल में वह बंगलौर और दिल्ली की तरफ से खेले थे। श्रीराम अब क्रिकेट खेल नहीं रहे हैं। लेकिन बांग्लादेश दौरे पर आने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के वह सलाहकार बनाये गये थे। लेकिन सुरक्षा कारणों से ये दौरा रद्द हो गया था। लेकिन श्रीलंका दौरे पर आने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ उन्होंने काम किया था।

अजित अगरकर

अजित अगरकर उस वक्त भारतीय टीम के मुख्य तेज गेंदबाज़ हुआ करते थे। धोनी के डेब्यू मैच में अगरकर ने 25 रन और 2 विकेट लिए थे। उसके बाद तकरीबन 3 साल तक क्रिकेट में सक्रीय रहे। जिसमें टी-20 वर्ल्डकप 2007 में भाग लिया था। अपने वनडे करियर में अगरकर ने 288 विकेट लिए थे। टीम से बाहर होने के बाद अगरकर ने लम्बे समय तक रणजी क्रिकेट खेलते रहे। साल 2013 में अगरकर ने संन्यास लिया और बतौर टीवी होस्ट काम करने लगे। इरफ़ान पठान कपिल देव के बाद इरफ़ान पठान को भारत का उदीयमान आलराउंडर माना जाता था। धोनी के डेब्यू मैच से पहले उन्हें टीम में 1 साल हो गये थे। इस मैच में उन्होंने 11 गेंदों में 21 रन और एक विकेट लिए थे। साल 2006 में इरफ़ान ने कराची में हैट्रिक लिया। ऐसा कारनामा करने वाले वह दुसरे भारतीय गेंदबाज़ बने। टी-20 वर्ल्डकप में पठान ने मैच जिताऊ खेल दिखाया था। लेकिन साल 2009 के बाद पठान के करियर में उतार चढ़ाव देखने को मिलने लगा। टी-20 वर्ल्डकप 2012 में वह भारतीय टीम की तरफ से आखिरी बार खेले थे। घरेलू क्रिकेट में पठान लगातार बड़ौदा के लिए खेलते रहे। इसके साथ ही वह आईपीएल में लगातार खेलते हुए नजर आये हैं। 31 वर्ष की उम्र में पठान भारतीय टीम में वापसी की आस लगाये हुए हैं।

जोगिंदर शर्मा

धोनी के साथ जोगिन्दर शर्मा ने भी इसी सीरीज में अपना डेब्यू किया था। लेकिन इस आलराउंडर ने मात्र 4 वनडे और 4 टी-20 मैच में ही भारत का प्रतिनिधित्व किया। जिसमें टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में भारत को जीत दिलाने के लिए उन्हें याद किया जाता है। पाकिस्तान के मिस्बाह ने उनकी गेंद को स्कूप करने की कोशिश की थी। लेकिन श्रीसंत ने कैच पकड़ कर भारत को विश्वविजेता बना दिया था। भारत ने इस मैच को 5 रन से जीत लिया था। हरियाणा के इस गेंदबाज़ के लिए यह मैच आखिरी मैच था। जबकि वह आईपीएल में खेलते रहे। इस वक्त वह हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात हैं। कुछ समय के लिए चोट की वजह से वह घरेलू क्रिकेट भी नहीं खेल पाए थे। लेकिन इस साल उन्होंने छत्तीसगढ़ के खिलाफ 5 विकेट लिए थे।

हरभजन सिंह

धोनी ने जब डेब्यू किया था तो हरभजन सिंह भारतीय टीम के अहम सदस्य थे। उस मैच में भज्जी को एक भी विकेट नहीं मिला था। बीते कुछ सालों से हरभजन विकेट के लिए तरसते रहे हैं। जिसकी वजह से वह टीम से बाहर चल रहे हैं। पंजाब का ये स्पिनर भारतीय टीम में 2011 तक नियमित सदस्य रहा। लेकिन उसके बाद खराब फॉर्म और आर आश्विन की टीम में एंट्री ने होने के बाद से हरभजन टीम से बाहर चल रहे हैं। हालाँकि ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उनकी टीम में वापसी हुई थी। जिसमें एशिया कप और टी-20 वर्ल्डकप में टीम के सदस्य रहे। लेकिन उन्हें सिर्फ दो मैच ही खेलने को मिले। हरभजन इस वक्त रणजी ट्राफी में पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं।

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