# 4 जावेद मियांदाद और अंतहीन दुर्भाग्य की शुरुआत
फाइनल में पहले बल्लेबाजी करते हुए, के श्रीकांत और सुनील गावस्कर ने भारत को एक कमाल की शुरुआत दी थी, जिसमें क्रमशः दोनों ने 75 और 92 रन बनाए। दिलीप वेंगसरकर भी बाद में एक अर्धशतक के साथ भारत को बड़े स्कोर तक ले गये और भारत ने 50 ओवर में 245 रन बनाए जो उन दिनों में काफी अच्छा लक्ष्य माना जाता था। पाकिस्तान ने लक्ष्य का पीछा करते हुए नियमित अंतराल पर विकेट गंवा दिए, लेकिन एक आदमी टिका रहा। जावेद मियांदाद ने अपनी पारी पूरी तरह से स्कोर रेट पर नज़र रखते हुए खेली और स्कोरबोर्ड पर हमेशा रन चढ़ता रहा। भारतीय कप्तान कपिल देव जो इस भारतीय गेंदबाजी के आधार थे, हमेशा अपने लिए आखिरी ओवर को बचा कर रखते थे। इस अवसर पर उन्होंने एक बड़ी गलती कर दी, वह ये कि उन्होंने अपना स्पेल पहले ही ख़त्म कर लिया था। लिहाज़ा एक अपेक्षाकृत कम अनुभव वाले चेतन शर्मा को आखिरी ओवर में गेंदबाजी करना पड़ा। आखिर में एक रोमांचक आखिरी ओवर में जब बल्लेबाज हर गेंद पर बल्ला घुमा रहे थे और मोहम्मद अजहरुद्दीन एक रन आउट करने से चूक गये, बात आखिरी गेंद पर आ गयी जहाँ पाकिस्तान को आखिरी गेंद पर 4 रन जीत के लिए चाहिए थे। चेतन शर्मा का जावेद मियांदाद के लिए यॉर्कर गेंद फेकने का लक्ष्य था, जो इस बात के लिए तैयार खड़े थे। मियांदाद ने गेंद को सीधे छक्के के लिए मार दिया। पाकिस्तानी समर्थक उत्साहित थे, जबकि भारतीय अचंभित रह गये। बहुत कुछ कहा गया और लिखा गया था कि चेतन शर्मा को आखिरी ओवर में कैसे गेंदबाज़ी करनी चाहिए थी और मियादाद ने कैसे असंभव को संभव बनाया। लेकिन, यहाँ से एक अजीब दुर्भाग्य की शुरुआत हुई। भारत कभी भी शारजाह में फाइनल में पाकिस्तान को नहीं हरा सका है और ग्रुप मैचों में भी पाकिस्तान ने काफी सफलता पाई।