# 1 संदेहास्पद
2001 में बीबीसी क्रिकेट के संवाददाता, जोनाथन एग्न्यू ने कहा, "मैं शपथ लेता हूं कि दो मैचों में मैंने देखा है कि रेगिस्तान के इस मैदान पर मुक़ाबले फिक्स किये गये हैं: दोनों पाकिस्तान द्वारा।" डॉ. नरोत्तम पुरी जो कि दूरदर्शन के पूर्व कमेंट्रेटर थे, उन्हें स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है कि उन्हें शारजाह में एक दोस्त के द्वारा सट्टा लगाने को कहा गया था। उन्होंने इनकार कर दिया लेकिन दोस्त ने उन्हें बताया कि वह अंदर की जानकारी जनता था और वेस्टइंडीज बनाम पाकिस्तान मुकाबले के दौरान क्या होगा यह भी। ये सनसनीख़ेज़ खुलासे के साथ ही साथ आमिर सोहेल (अन्य के साथ) के फिक्सिंग प्रकरण ने उन संदेह बढ़ा दिया कि रेगिस्तान के इस स्टेडियम में मैच हुए क्या वो वास्तव में प्रामाणिक थे या क्रिकेट के प्रशंसकों को बेवकूफ़ बनाया जा रहा था, और खेल के नाम पर सारी कहानी पर्दे के पीछे बनाई जा रही थी। क्लाइव लॉयड के पैनल द्वारा करायी गयी जांच में शारजाह क्रिकेट के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच में निष्कर्ष निकला कि जांच के लिए पर्याप्त सबूतों की कमी के कारण कार्रवाई बंद कर दी जाये और यह पैनल भारतीय केंद्रीय जांच ब्यूरो की रिपोर्ट के दावों को सही पाने में विफल रहा। भारत, पाकिस्तान, खाड़ी में और दुनिया भर में क्रिकेट प्रशंसक, जो इन मैचों को देखकर पीड़ा और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। साथ ही साथ एक उम्मीद भी करते हैं कि सच्चाई एक दिन हो बाहर आ जाये। संजय मांजरेकर ने अपनी पुस्तक इम्परफेट में लिखा है कि शारजाह क्रिकेट स्टेडियम के बाहर एक कब्रिस्तान है, जो भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों और दिमाग में बस चुका है। शारजाह का भूत अभी भी है, जो कि एक खाली शारजाह क्रिकेट स्टेडियम की छाया में कहीं छिपा है। लेखक: शुभाषीश मजुमदार अनुवादक: राहुल पांडे