घरेलू मैदान में टेस्ट क्रिकेट में धमाल मचाने के बाद विराट कोहली की टीम का असली इमतेहान तब होगा जब टीम इंडिया दक्षिण अफ़्रीका के दौरे पर जाएगी। किसी भी टीम के लिए विदेशी मैदान में कामयाबी हासिल करना मुश्किल होता है, जनवरी 2018 में भारतीय टीम का दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ असली ‘टेस्ट’ होगा। हम यहां कई भारतीय टेस्ट बल्लेबाज़ों का तुलनात्मक विशलेषण कर रहे हैं, मौजूदा दौर में भारत के पास ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो प्रोटियाज़ टीम के गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ा सकते हैं।
#5 मुरली विजय
मुरली विजय भारत के एक भरोसेमंद बल्लेबाज़ हैं, उन्होंने अंतराराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में 11 शतक लगाए हैं। कई बार वो कलाई की चोट के भी शिकार हुए, लेकिन आज वो टीम इंडिया में सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर पहली पसंद हैं। साल 2017 में टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट में कई चुनौतियों को पार किया है जिसमें मुरली विजय का योगदान अहम है । नवंबर 2017 में कोलकाता में श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के दौरान उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौक़ा नहीं मिल पाया था। इस मुश्किल हालात से वो उभर कर आए और टेस्ट टीम में शानदार वापसी की और लगातार 2 शतक लगाए। मुरली ऑफ़ स्टंप की तरफ़ शॉट लगाने में माहिर हैं, जो किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल होता है। साल 2014-15 में उन्होंने इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान और ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में शतक लगाए थे। इससे पहले वो साउथ अफ़्रीका में डरबन के किग्समीड मैदान में शतक लगाने से महज़ 3 रन से चूक गए थे। वो वक़्त और माहौल के हिसाब से खेलने में माहिर हैं, उन्हें पता होता है कि कब तेज़ शॉट खेलना है और कम संभल कर हिट करना है। वो अगले 13 विदेशी मैदान पर खेले जाने वाले टेस्ट मैच में भारत के सलामी बल्लेबाज़ होंगे। साल 2018 के साउथ अफ़्रीकी दौरे पर सभी की निगाह मुरली विजय पर होगी।
#4 शिखर धवन
साल 2013 में मोहाली के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ शिखर धवन ने धमाकेदार शुरुआत की था, जहां उन्होंने शानदार 187 रनों की पारी खेली थी, उसके बाद उनके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव आता रहा। वो एक बढ़ियां खिलाड़ी हैं लेकिन लगातार और बढ़ियां प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, लेकिन कुछ मौकों पर रन बनाकार टीम को मज़बूती ज़रूर देते हैं। सीमित ओवर के मैच में में उनका प्रदर्शन लगातार बेहतर होता रहा है। साल 2013 और 2017 के चैंपियंस ट्रॉफ़ी में उनका खेल क़ाबिल-ए-तारीफ़ रहा, और 2015 के वर्ल्ड कप में भी उन्होंने शानदार खेल दिखाया। यही वजह है कि शिखर टेस्ट मैच में अब तक टीम इंडिया का हिस्सा बने हुए हैं। आने वाले कुछ विदेशी दौरे जैसे दक्षिण अफ़्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में अगले 15 महीने में शिखर को अपना कमाल दिखाना होगा, जिससे उनका करियर और भी बेहतर बन सके। विदेशों में धवन का सर्वाधिक स्कोर 81 है जो उन्होंने ब्रिस्बेन में बनाया था। साल 2014 में टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर गई थी और 2013 में भारत ने साउथ अफ़्रीका में सीरीज़ खेली थी। दोनों ही सीरीज़ में शिखर धवन ने ओपनिंग की थी लेकिन 10 मैचों में उनके रन की संख्या 200 से भी कम थी। वो सोच समझकर और सही मौके के हिसाब से गेंद पर शॉट लगाने में माहिर हैं, नई गेंद से खेलने में धवन को महारत हासिल है। सीमिंग पिच पर तो उनकी बल्लेबाज़ी देखने लायक होती है, वो ऐसे मौके पर हर दिशा में शॉट लगाते हैं। जब वो पिच पर आक्रामक खेल दिखाते हैं तो विपक्षी गेंदबाज़ों के लिए काल बन जाते हैं।
#3 केएल राहुल
3 साल पहले जब दुलिप ट्रॉफ़ी में साउथ ज़ोन और सेंट्रल ज़ोन के बीच मुक़ाबला चल रहा था तो केएल राहुल ने एक के बाद एक शतक लगाए थे। राहुल साउथ ज़ोन की तरफ़ से खेल रहे थे, हेमांग बदानी साउथ जोन के कोच थे। उनकी बल्लेबाज़ी की तकनीक बेहद लाजवाब और सटीक थी, वो बिना कोई ग़लती किए शॉट लगाए जा रहे थे। उनके फ़ैंस चाह रहे थे कि राहुल और ज़्यादा बल्लेबाज़ी कर पाते और इस तरह वो मैच में ज़्यादा रन बना पाते। ये बात सोचने पर मजबूर करती है कि वो मैच में अच्छी शुरुआत करते हैं और अर्धशतक भी बनाते हैं लेकिन कई बार इन अर्धशतक के बाद लंबी पारी नहीं खेल पाते हैं। कहीं न कहीं उनके एकाग्रता में कमी है, वो साल 2017 में 10 अर्धशतक बना चुके हैं, ऐसे में उनको अपने खेल को और बेहतर बनाना होगा। देर तक बल्लेबाज़ी करना और अनुशासन बनाकर खेल दिखाना किसी भी खिलाड़ी के लिए अहम होता है। केएल राहुल ने अगस्त 2016 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ शानदार शतक लगाया था, लेकिन राहुल के लिए अहम ये है कि वो संयम के साथ लय में खेलें और ध्यान लगाकर शॉट लगाएं। ये भी ज़रूरी है कि वो ख़तरों से भरे शॉट न लगाएं। उनकी क़ाबिलियत पर किसी को भी शक नहीं, लेकिन वो एक अच्छी शुरुआत को लंबी पारी में बदलने नाकाम रहे हैं। राहुल को नई गेंद पर शॉट लगाने पर ध्यान देना होगा नहीं तो ये भारतीय क्रिकेट के लिए सही नहीं होगा। टीम इंडिया के लिए राहुल कई और विकल्प पैदा कर सकते हैं, उन्हें नंबर 5 या नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करने भेजा जा सकता है। बेहद मुमकिन है कि टीम मैनेजमेंट रहाणे की जगह राहुल को मौक़ा दे दे, क्योंकि रहाणे फ़िलहाल अच्छी फॉम में नहीं चल रहे हैं। हांलाकि वो टीम इंडिया के लिए टेस्ट में ओपनिंग कर सकते हैं, लेकिन उम्मीद है कि टीम के सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर मुरली विजय और शिखर धवन पहली पसंद होंगे।
#2 चेतेश्वर पुजारा
टीम इंडिया की नई दीवार के नाम से पहचान हासिल करने वाले चेतेश्वर पुजारा एक बार फिर दक्षिण अफ़्रीका के दौरे पर जा रहे हैं, साल 2013 में उन्होंने जोहानसबर्ग के वॉनडरर्स मैदान में उन्होंने शानदार 153 रन की पारी खेली थी। 4 साल बाद पुजारा अपने अनुभव के साथ साउथ अफ़्रीका का दौरा कर रहे हैं। पुजारा अपने करियर के उस मुकाम पर हैं जब जब वो अपने खेल को बख़ूबी समझते हैं, वो अपनी क्षमता के हिसाब से खेल सकते हैं जिससे बढ़ियां नतीजे निकलें। आमतौर पर पुजारा नंबर-3 पर बल्लेबाज़ी करते हैं और अपने रक्षात्मक शॉट से विपक्षी टीम के लिए दीवार की तरह खड़े हो जाते हैं। जब वो पिच पर होते हैं तो उनका संयम देखने लायक रहता है। वो अपने खेल के प्रति बेहद मेहनती हैं। उनकी बल्लेबाज़ी की कमी ये है कि वो कई बार हल्के हाथों से खेलते हैं और कई बार बैट की पकड़ में कमी आ जाती है। जब पिच पर उछाल होती है तो वो धीरे से हुक शॉट लगाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो क्रिकेट करियर में अपना सफ़र ख़ुद तय कर रहे हैं और बने बनाए ढर्रे पर नहीं चल रहे, यही बात उनको ख़ास बनाती है।
#1 विराट कोहली
टीम इंडिया अगले साल विराट की कप्तानी में साउथ अफ़्रीका के दौरे पर जाएगी, साल 2013 के साउथ अफ़्रीकी दौरे पर उनका प्रदर्शन शानदार रहा था। उन्होंने जोहानसबर्ग के वॉनडरर्स मैदान पर शतक भी बनाया था। उनके अंदर रन बनाने की भूख कभी ख़त्म नहीं होती, वो ख़ुद ज़िम्मेदारी उठाते हुए लंबी पारी खेलते हैं जिससे टीम के बाकी बल्लेबाज़ी उनसे प्रेरणा ले सकें। उनकी लंबी पारियों की वजह से टीम इंडिया ने कई बार बड़ा स्कोर खड़ा किया है। अगर टीम इंडिया का स्कोर ज़्यादा होगा तो तेज़ गेंदबाज़ों को भी अच्छी गेदबाज़ी करने में मदद मिलेगी जिससे प्रोटियाज़ बल्लेबाज़ के पसीने छूट जाएं। टेस्ट जीतना और इनमें बड़े स्कोर बना काफ़ी हुनर और संयम का काम है। किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए संभल कर खेलना बेहद मुश्किल का सबब बन सकता है, लेकिन विराट कोहली का वो रुतबा है कि वो मैदान में आगे से भी खेल सकते हैं और विपक्षी गेंदबाज़ो के छक्के भी छुड़ा सकते हैं। उनके फ़ैन्स का मानना है कि उनकी आक्रामकता ने ही उन्हें भारत का कप्तान बनाया है। लेकिन कप्तानी की ज़िम्मेदारी के बावजूद उनके खेल में कोई कमी नहीं आई है अब और ज़्यादा बेहतर पारी खेलते हैं, और टीम को ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। विराट की ताक़त हमें साल 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर देखने को मिली था जब वो संयम के साथ खेलते हुए आक्रामक शॉट लगा रहे थे। सचिन तेंदुलकर की तरह विराट कोहली भी अकसर नंबर 4 पर बल्लेबाज़ी करते हैं, उन्हें टॉप के बल्लेबाज़ों से काफ़ी रनों का योगदान मिलता है और इस तरह कोहली को बिना डरे खेलने में मदद मिलती है। साउथ अफ़्रीका में सीम और डार्टिंग पिचें हो सकती है जिस पर विराट को अपना हुनर दिखाना है। विराट अपनी दोहरी जिम्मेदारी बख़ूबी निभाते हैं, ऐसा हमें वेस्टइंडीज़ और श्रीलंका के ख़िलाफ़ देखने को मिला था। साउथ अफ़्रीका में विराट के लिए मैदान तैयार है अब देखना होगा कि टीम इंडिया के कप्तान क्या कमाल दिखाते है। लेखक: हेमंग बदानी अनुवादक- शारिक़ुल होदा