भारतीय टीम के 'थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट' देवागोड़ा रघुवेंद्र ( रघु ) ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड द्वारा मिले प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्हें ईसीबी अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए 'थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट' के रूप में रखना चाहती है और रघु ने यह प्रस्ताव दूसरी बार ठुकराया है। रघु केवल भारतीय टीम के साथ अपने कार्य को करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने इससे पहले भी आये प्रस्ताव को मना कर दिया था और अभी भी उन्होंने इसके लिए नामंजूरी दे दी है। ईसीबी ने रघु को अपने साथ जोड़ने पर उनसे ज्यादा पैसों में करार करने पर विचार किया लेकिन रघु ने केवल भारतीय टीम के साथ जुड़े रहने पर इस प्रस्ताव को मना कर दिया है। रघु द्वारा ठुकराए गए ईसीबी के प्रस्ताव को लेकर टीम के एक निजी अधिकारी ने इस बात की सूचना दी और कहा कि उन्होंने क्रिकेट के अधिकत्तर बोर्ड से आये 'थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट' के प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई है और ख़ास तौर पर इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से दो बार उन्होंने मना किया है। वह केवल भारतीय टीम को अपना सारा समय देना चाहते हैं और टीम के साथ बना रहना चाहते हैं। एक निजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार रघु को साल 2014 में पहली बार इंग्लैंड टीम की तरफ से 'थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट' के लिए प्रस्ताव मिला था लेकिन उन्होंने मना कर दिया था और अब दोबारा उन्होंने इस बात को लेकर अपनी असहमति जताई है। भारतीय क्रिकेट से एक दर्शक की तरह ही रघु का लगाव है और वह नहीं चाहते कि वह किसी और देश के लिए 'थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट' का कार्य करे। उन्होंने टीम के साथ जुड़ने से पहले सचिन तेंदुलकर के लिए भी बिना किसी राशि के इस कार्य को अंजाम दिया था। भारतीय टीम के साथ जुड़ने में उनकी आय प्रति वर्ष 6 लाख रुपए थी, जिसको अभी तीन गुना बढ़ा कर 20 लाख रुपए कर दिया है। रघु अभ्यास के दौरान अपने थ्रो से भारतीय बल्लेबाजों को तक़रीबन 150 की गति से गेंद करते नजर आते हैं। इसके चलते भारतीय बल्लेबाजों को तेज पिच पर खेलने में आसान लगता है।