भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही देशों के क्रिकेट प्रेमी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि विश्व की दो बड़ी टीमों की जब आपस में भिड़ंत होगी तो मुकाबला कैसा होगा। भारतीय टीम को सबसे पहले 30 दिसम्बर से दो-दिवसीय अभ्यास मैच खेलना है, उसके बाद 3 टेस्ट, 6 एकदिवसीय और 3 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच होंगे। टेस्ट सीरीज के लिए 17 सदस्यीय टीम की घोषणा बीसीसीआई ने हाल में ही कर दिया है। पिछली बार दिसंबर 2013 में भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका गयी थी तो टीम को वहां खेले 2 टेस्ट और 3 एकदिवसीय मैचों में एक भी जीत नसीब नहीं हुई थी। उस समय की टीम और अभी की टीम में काफी समानताएं हैं। सलामी बल्लेबाज, दोनों स्पिनर जडेजा और अश्विन, तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा। लेकिन हाल के समय में भारतीय टीम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। टीम ने लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतकर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली है और अब वो चाहेगी की दक्षिण अफ्रीका को उसी के घर में हराकर लगातार 10 सीरीज जीत का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर ले। आज हम आपको 2013 सीरीज से इस सीरीज के बीच क्या-क्या बदल गया है, इस बारे में बताने जा रहे हैं:
#1 टीम का अनुभव बढ़ना
जो भारतीय टीम 2013 में दक्षिण अफ्रीका गयी थी, वह अनुभवहीन और कमजोर थी लेकिन काफी जुझारू थी। इस सीरीज के चार साल बाद आज भारतीय टीम अंतरराष्ट्रीय टेस्ट रैंकिंग में पहले स्थान पर है और उसके कई बल्लेबाज और गेंदबाज आईसीसी टेस्ट रैंकिंग के शीर्ष-10 में शामिल हैं। आईये प्रमुख खिलाड़ियों के अनुभव की तुलना करते हैं:
खिलाड़ी | दिसम्बर 2013 तक टेस्ट मैच | करियर में कुल टेस्ट मैच |
शिखर धवन | 3 | 26 |
मुरली विजय | 18 | 51 |
चेतेश्वर पुजारा | 15 | 51 |
विराट कोहली | 20 | 60 |
अजिंक्य रहाणे | 1 | 40 |
रविचंद्रन अश्विन | 18 | 52 |
रविन्द्र जडेजा | 7 | 32 |
मोहम्मद शमी | 2 | 25 |
ऊपर के आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि नौसिखिये खिलाड़ियों का वह समूह अब विश्व की सबसे ताकतवर टीम बना चुका है और इनका आत्मविश्वास भी काफी ऊपर है।
#2 टीम के नये कप्तान- विराट कोहली
2013 की सीरीज में उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दक्षिण अफ्रीका के दबदबे के बावजूद टीम के कम अनुभवी खिलाड़ियों का आत्मविश्वास नीचे नहीं गिरने दिया था। इसी वजह से भारतीय टीम मेजबानों के सामने लड़ पाई थी। इस बार टीम की कमान विराट कोहली की हाथों में है। उनका आक्रामक रवैया और जीत की भूख की वजह से टीम लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है और बड़ी-बड़ी टीमों को धूल चटा कर दक्षिण अफ्रीका जा रही है। कोहली धोनी की तरह ही विकेट लेने के लिए आक्रामक रवैया ही अपनाते हैं लेकिन उनका तरीका थोड़ा अलग है। धोनी जहाँ विकेट लेने के लिए स्पिन गेंदबाजों पर आश्रित रहते थे वहीं कोहली तेज गेंदबाजों से आक्रमण करवाना पसंद करते हैं। दक्षिण अफ्रीका की तेज गेंदबाजों की मददगार पिच को देखते हुए कोहली का तरीका सफल साबित हो सकता है।
#3 तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर- हार्दिक पांड्या
2013 के दौरे में भारतीय टीम अपने साथ कोई ऑलराउंडर नहीं ले गयी थी क्योंकि टीम के पास कोई ऐसा विकल्प ही नहीं था जो वहां जाकर विपक्षी टीम को परेशान कर सके। तेज गेंदबाजी करने वाला ऑलराउंडर हमेशा हरी पिचों पर जरूरी होता है क्योंकि वह टीम का संतुलन बनाये रखता है। उसकी वजह से टीम 6 प्रमुख बल्लेबाज, एक स्पिनर, 3 तेज गेंदबाज और एक ऑलराउंडर के साथ उतर सकती है। हार्दिक पांड्या गेंद और बल्ले दोनों से ही काफी कारगर हैं। महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट हासिल करने क अलावा वह बल्लेबाजी में भी काफी जबरदस्त प्रदर्शन कर सकते हैं। अभी तक खेले अपने 3 टेस्ट मैचों में पांड्या ने एक शतक, एक अर्धशतक बनाने के साथ ही 4 विकेट भी हासिल किये हैं और उनकी फील्डिंग सोने पर सुहागा है। पांड्या सभी को जैक्स कैलिस की याद दिलाते हैं, दक्षिण अफ्रीका का वह ऑलराउंडर जो लम्बे समय तक टीम के जीत का सूत्रधार बना रहा।
#4 शिखर धवन का फ़ॉर्म
भारतीय टीम के गब्बर यानि शिखर धवन पिछले कुछ महीनों से शानदार फॉर्म में चल रहे हैं। इस दौरान खेले 5 टेस्ट मैचों में उन्होंने 550 रन बनाये हैं, जिसमें 2 शतक और 2 अर्धशतक शामिल है। भारत के 2013 दक्षिण अफ्रीका दौरे के समय शिखर धवन टीम में नये थे और उनमें अनुभव की काफी कमी थी, जिसके कारण वह उछाल भरी पिच पर स्विंग गेंदों का सामना नहीं कर पा रहे थे और दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों ने इसका पूरा फायदा उठाया। धवन ने उस सीरीज के 2 टेस्ट मैचों में सिर्फ 76 रन बनाये थे। उनका हालिया फॉर्म काफी जबरदस्त रहा है इस वजह से भारतीय फैन्स उनसे उम्मीद करेंगे कि वह इस बार नई गेंद को खेल आने वाले बल्लेबाजों के लिए काम आसान कर दे।
#5 अजिंक्य रहाणे का ख़राब फ़ॉर्म
अजिंक्य रहाणे का फॉर्म भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। एक समय टीम के सबसे निरंतर बल्लेबाज और मिस्टर डिपेंडेबल, टेस्ट मैचों में टीम के उपकप्तान रहाणे का हालिया फॉर्म काफी खराब रहा है। उनका अंतिम टेस्ट शतक अक्टूबर 2016 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ आया था। इस साल उनका औसत सिर्फ 36.26 का रहा है और पिछली 6 पारियों में तो उन्होंने 5 की बेहद खराब औसत से सिर्फ 30 रन बनाये हैं। रहाणे भले ही बुरे दौर से गुजर रहे हों लेकिन विदेशों में का उनका रिकॉर्ड काफी शानदार है और इसी वजह से चयनकर्ताओं ने उनपर भरोसा दिखाकर दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम में शामिल किया है। घर से बाहर खेले 24 मैचों में रहाणे ने 53.44 की शानदार औसत से 1817 रन बनाये हैं। रहाणे ने पिछले दक्षिण अफ़्रीकी दौरे में भी 2 टेस्ट मैचों में 209 रन बनाये थे। लेखक- स्मित शाह अनुवादक- ऋषिकेश सिंह