नई सदी की शुरुआत में, ज़िम्बाब्वे इकलौती ऐसी टीम थी, जिसके सफल होने की सबसे ज्यादा उम्मीद थी। 1999 से लेकर 2003 तक, ज़िम्बाब्वे की टीम ने सबसे ज्यादा प्रगति की। उनकी टीम ने इस बीच कई अच्छे क्रिकेटर्स भी दिए, जिसमें फ़्लावर बंधु, एलिस्टर कैंपबेल और हीथ स्ट्रीक शामिल हैं। '2003 विश्व कप के बाद, एंडी फ्लावर और हेनरी ओलंगा ने ब्लैक आर्मबैंड प्रोटेस्ट किया। यह वो समय था जब कोई टीम इन्हें हल्के में नहीं ले सकती थी। लेकिन इस घटना के बाद ज़िम्बाब्वे की क्रिकेट का स्तर लगातार गिरता गया और उसके बाद कोई भी अच्छा प्रदर्शन उनके खिलाड़ियों की तरफ से देखने को नहीं मिला। भारत के साथ आगामी सीरीज़ से पहले, नज़र डालते हैं ज़िम्बाब्वे के क्रिकेटर्स द्वारा भारत के खिलाफ वनडे में किया गया शानदार प्रदर्शन। 138, ब्रेंडन टेलर, ऑकलैंड, 2015 ब्रेंडन टेलर ज़िम्बाब्वे के लिए अपना आखिरी मुक़ाबला खेल रहें थे और जब वो बल्लेबाज़ी कर रहे थे, टीम का स्कोर था 33-3। उन्होंने सीन विलियम्स के साथ मिलकर साझेदारी बनाई और भारतीय गेंदबाजों की धुनाई शुरू की। उन्होंने पारी के अंत में 138 रन बनाए और टीम का स्कोर 287 रन तक पहुंचाया। उनकी इस पारी में 15 चौके और 5 छक्के शामिल थे। टेलर ने खुद माना था कि यह पारी उनके 11 साल के करियर की शानदार पारी थी। हालांकि उनकी बेस्ट पारी एक बार फिर टीम के काम ना आई और उनके गेंदबाजों ने 287 के लक्ष्य को आसानी से चेज़ करा दिया। एक समय भारतीय टीम चेज़ करते समय , लड़खड़ा सी गई थी, लेकिन वो इसका फायदा उठाने में नाकाम रहे और धोनी और रैना ने मिलकर 196 रन की साझेदारी की और भारत को जीत दिलाई। इस मैच का परिणाम जो भी हो ब्रेंडन टेलर की यह पारी, किसी भी ज़िम्बाब्वे के खिलाड़ी द्वारा खेली शानदार पारी थी। 145, एंडी फ्लावर, कोलंबो, 2002 एंडी फ्लावर को भारत की गेंदबाजी हमेशा ही रास आई है, इसलिए उनकी भारत के खिलाफ टेस्ट में औसत 94 की रही। इतनी खतरनाक औसत होने के बावजूद एंडी भारत के सफल बल्लेबाजों की सूची में 40वे नंबर पर हैं। उस मुक़ाबले में एक समय भारत का स्कोर था 82-5, लेकिन उसके बाद राहुल द्रविड़ और मोहम्मद कैफ ने मिलकर टीम का स्कोर 288 रनों तक पहुंचाया। और फिर भारत ने नई गेंद से ज़िम्बाब्वे को करारे झटके दिए। एंडी ने ग्रांट फ्लावर के साथ मिलकर पारी को संभाला और कई चौके और छक्के भी लगाए। हालांकि एक खराब पिच पर और मिडल ऑर्डर के बल्लेबाजों से समर्थन न मिल पाने के कारण उनकी पारी बेकार गई और टीम 14 रन से मैच हार गई। हेनरी ओलंगा 3-22, लीसेस्टर, 1999 भारत के 1999 वर्ल्ड कप को करारा झटका तब लगा, जब सचिन तेंदुलकर को अपने पिता की मौत के कारण वर्ल्ड कप को बीच में छोड़कर वापस भारत आना पड़ा। एक खिलाड़ी जो सचिन को टीम में न देख कर बहुत खुश हुआ, वो थे हेनरी ओलंगा, क्योंकि हमेशा ही सचिन इनपर भारी पड़े हैं और आखिरी बार जब यह दोनों आमने सामने थे, तो सचिन ने 92 गेंदों पर 124 रन बनाए थे। भारत जब 252 रनों का पीछा कर रहा था, तो उसकी परी पर लगाम लगाई, हीथ स्ट्रीक और नील जॉन्सन ने, जो भारत को 175-6 तक ले आए थे। उस समय पिच पर मौजूद थे, नयन मोंगिया और रॉबिन सिंह। भारत को 2 ओवर्स में 9 रन की दरकार थी और उनकी 3 विकेट हाथ में थी। तभी एलिस्टर कैंपबैल ने गेंद थमाई ओलंगा के हाथ में और उन्होंने अगले ही ओवर में रिज़ल्ट ज़िम्बाब्वे के पक्ष में लाकर रख दिया। ओलंगा ने एक ही ओवर में 3 विकेट हासिल किए और ज़िम्बाब्वे मुक़ाबला 3 रन से जीत गया। हीथ स्ट्रीक 5-32, बुलावायो, 1997 हीथ स्ट्रीक अपनी प्रतिभा सचिन तेंदुलकर को दिखाई ही चुके हैं, जब 1996 विश्व कप में उन्होंने सचिन को अपनी शानदार गेंद से घुटनो पर ले आए और उनकी विकेट हासिल की। हालांकि इस बार वो सचिन को आउट नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने भारतीय टीम के मिडल ऑर्डर और निचले क्रम के विकेट लेकर टीम की पारी 161 रनों पर ही सिमेट दी। पहले उन्होंने अजय जडेजा को आउट किया, उसके बाद उन्होंने अनिल कुंबले को आउट कर उनकी और रॉबिन सिंह के बीच 64 रन की साझेदरी भी तोड़ी। एक बार जब कुंबले आउट हुए उसके बाद भारत ने अपने आखिरी 4 विकेट 9 रनों के अंदर खो दिए और वो सारी विकेट हीथ स्ट्रीक ने हासिल की। ज़िम्बाब्वे की टीम ने 138 रनों का रिवाइज़्ड लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया और सीरीज़ में 1-0 से आगे हो गए। एडो ब्रैंडिस 5-41, पार्ल, 1997 ब्रैंडिस ज़िम्बाब्वे में एक चिकेन फार्मर थे और जो भी फैंस मैदान में मनोरंजन देखना चाहते थे, उनको ब्रैंडिस काफी पसंद आते थे। और खासकर 1997 में जनवरी के महीने में वो गेंद के साथ कुछ भी कर सकते थे। तीन हफ्ते पहले ही उन्होंने इंग्लैंड के मैच में 5 विकेट लिए थे, जिसमें हैट्रिक भी शामिल थी। ब्रैंडिस एक बार फिर भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया, उनके बल्लेबाजों ने उन्हें 236 रन दिए बचाने के लिए। ब्रैंडिस ने सबसे पहले सचिन तेंदुलकर को आउट किया और उसके बाद जवागल श्रीनाथ को आउट किया। उसके बाद उन्होंने एक शानदार गेंद पर अजहरहुद्दीन को भी पैवेलियन का रास्ता दिखाया। अपने दूसरे स्पेल में उन्होंने अजय जडेजा का ऑफ स्टम्प उखाड़ फेंका। उनका काम अभी भी खत्म नहीं हुआ था, एक छोर पर रॉबिन सिंह कुछ बड़े शॉट खेल रहे थे। जब वो गेंद करने आए तो भारत को 1 गेंद पर 2 रन की दरकार थी। उन्होने एक वाइड डाली और विकेटकीपर ने बॉल पकड़ी और ब्रैंडिस की तरफ फेंकी और उन्होने रॉबिन सिंह को रन आउट कर दिया और अंत में मैच टाई हो गया। लेखक- अमित सिन्हा, अनुवादक- मयंक महता