हालांकि रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा के सीमित ओवरों के खेल से अनुपस्थिति को आधिकारिक रूप से ‘आराम’ की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि सफ़ेद गेंद से इनके प्रदर्शन में आ रहे लगातार गिरावट की वजह से चयनकर्ताओं का भरोसा इनसे उठ गया है। सपाट पिच होने के कारण सफ़ेद गेंद से कलाई के गेंदबाज ज्यादा सफलता हासिल कर रहे हैं। कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल अब तक मिले सभी मौकों को दोनों हाथ से पकड़ रहे हैं, ऐसे में अगर अश्विन को टीम में शामिल भी किया जायेगा तो तीसरे स्पिनर के रूप में ही उन्हें मौका मिल पायेगा। 50 ओवरों के खेल में भले ही अश्विन अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाये हैं लेकिन टी20 में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। अब तक खेले 46 मैचों में अश्विन ने 22.94 की औसत से 52 विकेट हासिल किये हैं, इसके साथ ही वो टी20 में सबसे ज्यादा विकेट हासिल करने वाले भारतीय गेंदबाज भी हैं। कई मौकों पर दबाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अश्विन को खेल के सबसे छोटे प्रारूप में टीम में जगह मिलनी चाहिए थी। लेखक- राम कुमार अनुवादक- ऋषिकेश सिंह