भारतीय टीम के लिए एक बेहद कड़ी और प्रतिस्पर्धी सीरीज मानी जा रही भारत- ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज कोहली ब्रिगेड के लिए एक नियमित अभ्यास की तरह साबित हुई। जिसमें उन्होंने बेहद आसानी से 5 में से चार मैचों में जीत हासिल कर ऑस्ट्रेलियाई टीम की चुनौती को ध्वस्त कर दिया। वनडे सीरीज के बाद अब बारी है क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट यानि टी-20 सीरीज की लेकिन श्रीलंका और वेस्टइंडीज की तरह यह सीरीज एक मैच की ना होकर तीन मैचों की होने वाली है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई टीम से कुछ जवाबी हमले की उम्मीद है। ऐसे में भारतीय प्रशंसकों को इस फटाफट क्रिकेट से कुछ धमाकेदार प्रदर्शन की उम्मीद है। आइये जानते हैं पांच ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जिन पर इस श्रृंखला में रहेगी सबकी नजर- #5 केएल राहुल
बेंगलुरु के इस बल्लेबाज ने भारत के लिए अपने तीन वनडे मैच में 196 रन बनाए हैं। अगली सात पारी में उन्हें सिर्फ 54 रन मिले हैं। विराट कोहली और एमएसके प्रसाद दोनों के सार्वजनिक समर्थन के बावजूद राहुल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों में से किसी में भी जगह बनाने में नाकामयाब रहे, यहां तक कि उनके होम ग्राउंड में भी उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। राष्ट्रीय टीम के लिए केएल राहुल छोटे प्रारूप में सबसे बेहतर प्रतीत होते हैं जहां उनका औसत 50.66 का औसत है और यहां तक कि एक शतक भी लगाया है। हालांकि शीर्ष क्रम में पहले से ही रोहित शर्मा और शिखर धवन मौजूद होंगे। ऐसे में विराट कोहली के नंबर 3 के बाद केएल राहुल को मध्य क्रम में जगह मिल सकती है। # 4 कुलदीप यादव
बाएं हाथ के स्पिनर कुलदीप यादव का उत्साह पूरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज में देखा गया। विकेट से मिलने वाली टर्न एक बार फिर से भारतीय प्रशंसकों के चेहरे पर मुस्कान लायेगी। ऐसे में इस चाइनामैन बॉलर से सबको बहुत उम्मीदें रहेंगी। हाल ही के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद चारों तरफ से इस चाइनामैन गेंदबाज की तारीफें हो रही हैं। ब्रेड हॉज और शेन वॉर्न जैसे महान गेंदबाजों ने इस 22 साल के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की घोषणा की है। टी20 में कुलदीप जैसे आक्रामक स्पिनर की मौजूदगी वास्तव में गेंदबाजी लाइन-अप में एक एक्स फैक्टर ला सकती है। अपनी हैरान करने वाली गेंदबाजी के साथ वह मध्य ओवरों में जल्द विकेट प्राप्त कर सकते हैं। गौतम गंभीर की कप्तानी के अंदर आईपीएल में कुलदीप ने कुछ शानदार प्रदर्शन किये हैं और यदि कोहली उन्हें लेने का फैसला करते है तो वो गेंदबाजी के लिए तीन आयामी स्पिन का हिस्सा हो सकते हैं। #3 अक्षर पटेल
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अपने शुरुआती दिनों में सुधार स्पष्ट रूप से जाहिर है, लेकिन अब भी अक्षर पटेल को ऑलराउंडर के रूप में काम करना है। उन्होंने खुद को ऐसे युवा के तौर पर विकसित किया है जो बल्लेबाज की तरफ तेज गति से गेंद को फेंकता हैष एक शानदार स्पिनर जो अपनी गति से सबको फंसाता है और बल्लेबाजों के लिए अपनी विविधताओं का प्रदर्शन करता है। उनकी बल्लेबाजी अभी उनके लिए एकमात्र कमजोरी है इसलिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। अपनी तकनीक के साथ उनकी औसत सिर्फ 12 से अधिक है जो बहुत अच्छी तो प्रतीत नहीं होती है। पर उनका बेहतरीन क्षेत्ररक्षण उनके के लिए एक बोनस है। #2 दिनेश कार्तिक
2007 में विश्व टी20 जीत से छह साल बाद 2013 चैंपियंस ट्रॉफी की सफलता तक दिनेश कार्तिक ने यह सब देखा है। कार्तिक भारत और विदेशों में दोनों में टीम की कई यादगार जीत का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, भारत में खेलने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज में वह बेहद दुर्भाग्यशाली रहे कि उनके कैरियर के साथ एमएस धोनी का कार्यकाल साथ रहा। जिसके कारण उन्हें उतना मौका नहीं मिल पाया जिसके वो हकदार थे। उन्होंने भारत के लिए 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, लेकिन किसी भी प्रारूप में 30 से अधिक की औसत से रन नहीं बना पाये हैं। आईपीएल के इस अनुभवी खिलाड़ी ने कई टीमों के लिए खेला है, अगर कार्तिक अपनी अनिश्चितता को एक निरंतरता में बदलने में कामयाब होते हैं, तो वह टीम में खुद के लिए जगह बना सकते है। #1 आशीष नेहरा
किंग ऑफ कमबैकर ने एक बार फिर से भारतीय टीम में वापसी की है इस बार इस 38 वर्षीय खिलाड़ी ने फिटनेस के महत्वपूर्ण मानदंड के साथ टीम में जगह पक्की की है। नेहरा मुश्किल से कभी भी अपनी फॉर्म के कारण ड्रॉप किये गये होंगे। उनके नाजुक शरीर ने अबतक 12 सर्जरी का सामना किया है लेकिन टर्निमेटर की तरह भेदते हुए यह दिल्ली का दिग्गज एक बार फिर से ब्लू ब्रिगेड में शामिल हो गया है। नेहरा ने आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच इस साल इंग्लैंड के खिलाफ खेला था, उन्हीं विरोधियों के खिलाफ जिनके खिलाफ पहली बार 2003 विश्व कप में प्रदर्शन करते हुए वह लाइमलाइट में आये थे। नेहरा के लिए योजना अभी भी स्पष्ट नहीं हो सकती है। विशेष रूप से 2019 के विश्व कप के लिए सुपर-फिट भारतीय टीम को देखते हुए लेकिन नेहरा को देखने का उद्देशय है कि वह 1990 के दशक में डेब्यू करने वाले उन चुनिंदा मेहनतकश खिलाड़ियों में से एक हैं जो आज भी 140 की स्पीड के गेंदबाजी करके किसी को भी हैरान कर सकते हैं। लेखक- आद्या शर्मा अनुवादक- सौम्या तिवारी