मुश्फिकुर रहीम और मेहदी हसन मिराज ने 87 रन की नाबाद साझेदारी करके सुनिश्चित किया कि बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के तीसरे दिन दमदार स्थिति के साथ दिन की समाप्ति की। बांग्लादेश ने स्टंप्स के समय 6 विकेट के नुकसान पर 322 रन बनाए। मेहमान टीम फ़िलहाल भारत की पहली पारी के जवाब में 365 रन पीछे है जबकि उसके 4 विकेट शेष है। मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि बांग्लादेश को फॉलोऑन खेलने की जरुरत नहीं पड़ेगी। रहीम ने टीम का आगे आकर नेतृत्व किया और दिन की समाप्ति तक वह 81 रन बनाकर नाबाद रहे। उन्हें युवा मेहदी हसन का अच्छा साथ मिला, जिन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला अर्धशतक जड़ा। बांग्लादेशी कप्तान ने आज अपने टेस्ट करियर के 3,000 रन पूरे किये। भारत की तरफ से गेंदबाजी विभाग ने थोड़ा निराश जरुर किया, लेकिन उमेश यादव और इशांत शर्मा ने काफी प्रभावित किया। दोनों ने मेहमान टीम के बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। उमेश ने दो जबकि इशांत ने एक विकेट लिया। अश्विन ने शाकिब अल हसन का महत्वपूर्ण विकेट लिया। दिन का खेल समाप्त होने के बाद शाकिब अल हसन ने अपनी शानदार पारी के बारे में बात करते हुए कहा, 'आसान नहीं था बल्लेबाजी करना क्योंकि उमेश शानदार गेंदबाजी कर रहे थे। वह गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा रहे थे। मैंने अपने शॉट खेले। यह शानदार विकेट है। एक बार आप टिक गए तो गेंदबाज के लिए विकेट निकालना मुश्किल हो जाता है। अच्छा लगता अगर मैं यहां शतक पूरा करता। बहरहाल, मुश्फिकुर रहीम और मेहदी हसन ने शानदार बल्लेबाजी की और टीम को सुखद स्थिति में पहुंचाया।' अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के बारे में बात करते हुए शाकिब ने कहा, 'यह मेरा नैसर्गिक खेल है और मैं अपने आप को नहीं बदलना चाहता। आलोचनाएं जरुर होंगी, लेकिन मुझे ख़ुशी अपनी टीम के लिए उम्दा योगदान देने से मिलती है। मुश्फिकुर ने भी क्रीज पर अच्छे से समय व्यतीत किया। उन्होंने पहले 20-30 गेंद टिकने का समय लिया और फिर अपनी शैली के अनुरूप ख़राब गेंदों को सजा दी।'
(जिस तरह इस सत्र में भारतीय तेज गेंदबाजों ने गेंदबाजी की है उससे बहुत प्रभावित हूं, बल्लेबाज को गति और स्विंग से खूब परेशान किया, बढ़ते रहिये)
(मेहदी एक स्टार हैं, युवा से अधिक प्रभावित हूं)
(मुश्फिकुर ने कप्तानी पारी खेली जो जिम्मेदारी से भरी थी, मगर मेहदी हसन असली आश्चर्य रहे, मुश्किल में घबराए नहीं और काफी अच्छा प्रदर्शन किया)
(आप तलवार के साथ जीते हैं और तलवार के साथ मरते हैं- शाकिब की पारी)