भारत और बांग्लादेश के बीच हैदराबाद में जारी एकमात्र टेस्ट के तीसरे दिन लंच के बाद विवाद गहरा गया जब मेहमान टीम के कप्तान मुश्फिकुर रहीम को नजदीकी रनआउट के मामले में जीवनदान मिला। बल्लेबाजी कर रही बांग्लादेश की पारी के 50वें ओवर में शाकिब अल हसन ने रविचंद्रन अश्विन की सीधी गेंद पर मिडऑफ़ की दिशा में शॉट खेला। बांग्लादेशी बल्लेबाजों ने इस पर रन लेने की ठानी जहां फील्डिंग पर भारतीय टीम के सबसे फुर्तीले फील्डर रविंद्र जडेजा मौजूद थे। शाकिब तो नॉन-स्ट्राइकर छोर पर आसानी से पहुंच गए, लेकिन उनके जोड़ीदार रहीम जो कि उस समय 18 रन बनाकर खेल रहे थे, उन्हें स्ट्राइकर छोर पर पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा। जडेजा ने शानदार थ्रो किया और विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा ने गेंद पकड़कर जल्दी ही गिल्लियां बिखेर दी। रहीम ने डाइव लगाईं और असल में देखने पर लगा कि वह आसानी से क्रीज में पहुंच गए हैं। हालांकि, लेग अंपायर जोएल विलसन ने तीसरे अंपायर की मदद लेने का फैसला किया। रीप्ले में साफ़ दिखा कि उनका बल्ला काफी अंदर था, लेकिन वह ग्राउंड पर टिका हुआ नहीं था। मुश्फिकुर ने एंगल बनाते हुए अपना बल्ला ग्राउंड पर टिकाते हुए डाइव लगाईं, लेकिन जब वह मैदान पर गिरे तो उनका बल्ला थोड़ा उठ गया। स्लो मोशन में दिखा कि उनके बल्ले का उपरी भाग लाइन पर था जब गिल्लियां बिखेरी गई। कुछ देर परीक्षण के बाद तीसरे अंपायर क्रिस गफ्फाने ने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया और इससे भारतीय क्रिकेटर्स, फैंस और कमेंटरी कर रहे कमेंटेटर्स हैरान हो गए। बल्लेबाज के बल्ले का कुछ हिस्सा या शरीर का हिस्सा क्रीज के आगे होना अनिवार्य था। अगर बल्ला भी क्रीज की लाइन पर हो तो बल्लेबाज को आउट दिया जाता है। यह बहुत ही कड़ा फैसला था, लिहाजा अंपायर ने संदेह की स्थिति को देखते हुए बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया। रहीम को जीवनदान मिला और उन्होंने अपने करियर का 16वां टेस्ट अर्धशतक जमाया। उन्होंने इसके अलावा शाकिब अल हसन के साथ पांचवें विकेट के लिए 107 रन की शतकीय साझेदारी भी की। रविचंद्रन अश्विन ने शाकिब को 82 रन के निजी स्कोर पर आउट करके इस साझेदारी को तोड़ा।