राजकोट टेस्ट भारत और इंग्लैंड के बीच ड्रॉ समाप्त हुआ। लेकिन इस टेस्ट मैच से साबित हो गया कि टेस्ट के लिए 5 दिन कितने अहम हैं। इस मैच में कई उतार-चढ़ाव और अहम मौके आये जो चर्चा का विषय बने हैं: राजकोट की पिच- अच्छी या बुरी? पहले टेस्ट में राजकोट की पिच का बर्ताव मिला-जुला रहा। जहां बल्लेबाजों और गेंदबाजों के लिए बराबर सहयोग था। जिसकी वजह से कई लोगों का मानना है कि पिच से स्पिनरों को मनचाही मदद न मिलने भारत को काफी नुकसान हुआ। इसके अलावा पहली बार इस मैदान पर टेस्ट मैच हो रहा था। इसलिए पिच को जज करने में अभी तोड़ी जल्दबाजी होगी। इसके लिए हमे अगली बार यहां होने वाले टेस्ट मैच पर ध्यान देना होगा। इंग्लैंड के मध्यक्रम ने अच्छा खेल दिखाया [caption id="" align="aligncenter" width="800"] फोटो सौजन्य : बीसीसीआई[/caption] बांग्लादेश में इंग्लैंड की टीम का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा था। लेकिन भारत के खिलाफ राजकोट में इंग्लैंड का मध्यक्रम खासकर रूट ने कमाल की बल्लेबाज़ी की। उन्होंने शतक ठोंका। मोइन अली और बेन स्टोक्स ने भी शतक जड़कर इंग्लैंड को बड़े स्कोर की तरफ बढ़ाने में अहम योगदान दिया। जिससे इंग्लैंड ने 500 रन का आंकड़ा छुआ। इस टेस्ट के प्रदर्शन के आधार पर इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने इस सीरीज की बढ़िया शुरुआत की। हमीद ने अपना प्रभाव छोड़ा इस मैच में इंग्लैंड के टीम प्रबंधन ने 19 वर्षीय सलामी बल्लेबाज़ हसीब हमीद को टीम में शामिल करके एक बड़ा फैसला लिया। किसी भी बल्लेबाज़ के लिए विदेश में डेब्यू करना थोड़ा कठिन काम होता है। लेकिन लंकाशायर के इस बल्लेबाज़ ने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन मुजायरा पेश किया। हमीद ने दूसरी पारी में शानदार 82 रन की पारी खेलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने की क्षमता का परिचय दिया। भारतीय स्पिन त्रिमूर्ति हुई असफल भारत इस मैच में तीन स्पिनरों के साथ मैदान पर उतरा था। आर आश्विन, रवीन्द्र जडेजा और अमित मिश्रा ने पूरे मुकाबले में मिलकर 9 विकेट लिए। पहली पारी में स्पिनरों ने थोड़ा बहुत अच्छा खेल दिखाया था। लेकिन दूसरी पारी में तो भारतीय स्पिनरों ने काफी निराश किया। जबकि पिच तब स्पिन के लिए मुफीद थी। डीआरएस (डिसिशन रिव्यु सिस्टम) ने कैसा काम किया? सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन की मेजबानी में राजकोट में पहला टेस्ट मैच ही नहीं हो रहा था, जबकि इस मैच में पहली बार डीआरएस का भी इस्तेमाल हो रहा था। जो भारत की धरती पर पहली बार हुआ है। इससे पहले भारतीय टीम डीआरएस का विरोध करती थी। लेकिन इस मैच में चेतेश्वर पुजारा को डीआरएस ने अहम समय पर जीवनदान दिलाया। जिसकी वजह से वह शतक बनाने में कामयाब हुए। हालांकि दूसरी पारी में उनका डीआरएस असफल साबित हुआ। जहां बॉल बकायदा लेग स्टंप की तरफ पिच हो रही थी। हालांकि इस तकनीक पर कोई राय बनाने से पहले हमे आने वाले मैचों पर कड़ी नजर रखनी होगी।