बीसीसीआई द्वारा भारत में अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) लागू करने के फैसले के बाद देश भर की नजरें इस पर है कि इसका ट्रायल कैसा रहेगा। इस सिस्टम को भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में लागू किया गया और इससे क्रिकेटप्रेमियों को निराश भी नहीं होना पड़ा। डीआरएस का इस्तेमाल खेल शुरू होने के एक घंटे बाद हुआ। इससे पहले इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक लेफ्ट आर्म स्पिनर रवीन्द्र जडेजा की गेंद पर पगबाधा आउट होकर जा चुके थे। ऐसा लग रहा था कि गेंद उनके पैड से टकराकर लेग स्टम्प से बाहर जा रही थी और अंपायर ने उंगली ऊपर कर उन्हें पेवेलियन की राह दिखा दी। कुक ने नॉन स्ट्राइक छोर पर खड़े अपने साथी खिलाड़ी हसीब हमीद को पूछा तो उन्होने रिव्यू नहीं लेने की सलाह दी। कुक के आउट होकर जाने के बाद हॉक आई में गेंद विकेट को टकराती हुई नजर आ रही थी। कुक ने यह माना था कि वो विकेट के काफी सामने आकर खेल गए हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं था। 19 वर्षीय खिलाड़ी हमीद ने खुद को अश्विन की गेंद पर विकेटों के सामने पकड़े जाने के बाद एक रिव्यू लिया। इस बार उनके सामने उप-कप्तान जो रूट खेल रहे थे। रूट ने हमीद को रिव्यू लेने को कहा। बॉल ट्रेकिंग सिस्टम से साफ नजर आ रहा था कि गेंद हमीद के ऑफ स्टम्प से जाकर टकरा रही थी। तीसरे अंपायर के पास मैदानी अंपायर के फैसले को जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और हमीद को मैदान से बाहर जाना पड़ा। भारतीय टीम ने पहला रिव्यू चायकाल से कुछ समय पहले लिया जब उमेश यादव की अंदर आती गेंद रूट के पैर से टकराई। अंपायर कुमार धर्मसेना ने जोरदार हुई अपील को नकार दिया तब कप्तान विराट कोहली ने रिव्यू लिया। इस बार हॉक आई से ऐसा प्रतीत हुआ कि गेंद बल्ले का छोटा किनारा लेकर लेग स्टम्प को छू रही थी। तीसरे अंपायर ने रूट को नॉट आउट करार दिया तब वे 92 रन पर खेल रहे थे। बाद में उन्होने अपना शतक पूरा कर लिया। राजकोट टेस्ट मैच शुरू होने से पहले भारतीय कप्तान कोहली ने कहा था "हम डीआरएस की बजाय मैच पर ध्यान दे रहे हैं। एक खिलाड़ी होने के नाते आपको चीजों का अनुमान रहता है।"