जब विशाखापट्टनम टेस्ट मैच में सबकी निगाहें भारतीय कप्तान विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन पर थी, तभी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने चुपके से टीम में अपना योगदान देकर टीम को 246 रनों से जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तेज गेंदबाज ने इंग्लैंड टीम के कप्तान एलिस्टेयर कुक और जो रूट जैसे मुख्य बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया। BCCI.TV से बातचीत में शमी ने बताया कि कैसे उन्होंने इन दो इंग्लिश बल्लेबाजों से नई और पुरानी गेंद से बिना गड़बड़ किए निपटने के लिए सीधा विकेटों को निशाना बनाया। पहली पारी में कुक का विकेट तोड़ने वाले शमी ने कहा “एक तेज गेंदबाज को बल्लेबाज का स्टम्प ही सबसे अधिक नजर आने वाली चीज होती है, आप इससे अच्छा महसूस करते हैं और आपको विश्वास मिलता है। लकड़ी की बनी इस वस्तु को परेशान होते देख आपको गर्व महसूस होता है। टेस्ट मैच में धैर्य से गेंदबाजी करना और शिकार करना होता है।“ शमी ने आगे कहा “मैं चाहता था कि कुक शरीर के दूर से खेलते रहें और मैंने बाहर जाती हुई गेंदें फेंकी, इसके बाद उन्हें आश्चर्यजनक तरीके से अंदर आती हुई गेंद डाली। मैंने उन्हें दो गेंदें बाहर डाली और एक गेंद अंदर डालते ही उनके बैट और पैड के बीच जगह बनी और वो बोल्ड हो गए।“ इंग्लैंड के कप्तान कुक ने राजकोट टेस्ट की दूसरी पारी में शानदार शतक लगाया था लेकिन विशाखापट्टनम टेस्ट की पहली पारी में वो जल्दी आउट हो गए। उनके आउट होने के बाद भारतीय स्पिनरों को भी सेट होने का मौका मिल गया। दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम ने विशाल लक्ष्य खड़ा करने के बाद इंग्लैंड को आउट करने की भरपूर कोशिश की लेकिन उनके बल्लेबाज जो रूट मैदान पर टिककर खेल रहे थे। दूसरी नई गेंद लेने के बाद शमी ने रूट के पैरों में अंदर आती हुई गेंद डाली और उन्हें पवेलियन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद उन्होंने आदिल रशीद को भी चलता किया। शमी ने बताया “मैं क्रीज़ का अच्छा उपयोग करते हुए शॉर्ट गेंदें डाल रहा था, रूट ऐसे बल्लेबाज थे जो लंबे समय तक खड़े रह सकते थे। मैं उन्हें फील्ड के अनुसार बाउन्स फेंकना चाहता था लेकिन वो गेंद आगे गिरी और वे ड्राइव करने पर मजबूर हो गए। इस तेज गेंदबाज ने कहा कि बाउंड्री लगने के बाद अगर आपका प्लान काम कर जाए तो बेहतर होता है। रशीद को गेंदबाजी करने के बारे में शमी ने कहा कि वे उन्हें क्रॉस सीम से गेंद फेंक रहे थे जो अच्छा उछाल प्राप्त कर रही थी और किनारा लेकर साहा के हाथों में चली गई। शमी ने विशाखापट्टनम टेस्ट के दौरान काफी अच्छी स्पीड से गेंदबाजी की और उनकी औसत स्पीड 140 किमी. प्रति घंटा रही थी।