राजकोट टेस्ट मैच में मिश्रित दृष्टिकोण के बावजूद विराट कोहली ने किया डीआरएस का समर्थन

भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में सम्पन्न हुए पहले टेस्ट मैच की चर्चा के मुख्य बिन्दुओं में डीआरएस भी एक था, भारत में इसे पहली बार लागू किया गया है। इस तकनीक ने राजकोट टेस्ट मैच में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन किया। रिव्यू सिस्टम से अंपायरिंग के मानकों में सुधार करने में मदद मिलती है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मैच के बाद प्रेस वार्ता में पांचवें दिन के अंतिम सत्र के बारे में कहा “खेल में जब कुछ नर्वस करने वाले पल आते हैं तो आगे के लिए अच्छा रहता है। हम पहले दो ही चीजें जानते थे मैच जीतना व हारना, राजकोट टेस्ट मैच को हमने ड्रॉ कराके कुछ नया सीखा है। अगर टेस्ट क्रिकेट में भविष्य के लिए ऐसी स्थिति पैदा होगी तो हम यह कार्य कर सकेंगे। यह हमारे लिए एक चुनौती भरी स्थिति थी लेकिन हमने इसका अच्छी तरह सामना किया।“ जब इंग्लैंड ने पांचवें दिन के अंतिम दो सत्र से पहले पारी घोषित की, तो किसी ने नहीं सोचा था कि भारत मुश्किल स्थिति में होगा। उस समय कोहली ने शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए मैच को ड्रॉ की तरफ मोड़ दिया। दूसरी पारी में भारत के छह विकेट गिर गये जिसमें चेतेश्वर पुजारा का विकेट भी शामिल है। पूजारा ने पगबाधा आउट होने पर रिव्यू नहीं लिया, अगर लेते तो वे नॉट आउट करार दिये जाते। कोहली ने कहा “रिव्यू का फैसला आपको गेंदबाज और विकेट-कीपर की बातें ध्यान में रखकर लेना होती है। कभी-कभी गेंदबाज रिव्यू के लिए कहता है तो आपको कप्तान के दृष्टिकोण से सोचना होता है। मैंने बल्लेबाजी के दौरान यह महसूस किया कि सामने नॉन स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज को गेंद की लाइन ध्यान में रखना जरूरी होता है। ऑफ स्टम्प से थोड़ा बाहर जा रही गेंद को आप जज नहीं कर सकते कि वो सीधी जा रही है यह नहीं। डीआरएस महत्वपूर्ण स्थिति में लेना जरूरी हो जाता है जैसे आज पुजारा इसका इस्तेमाल नहीं करने से आउट हुए।“ कोहली ने आगे कहा कि मेरे ख्याल से डीआरएस निर्णय को मजबूती प्रदान करता है इसलिए यह अच्छा है, इससे हमें फैसले की पुष्टि करने में मदद मिलती है।