भारतीय टीम इस वक्त जीत के रथ पर सवार है। टेस्ट सीरीज़ में बुरी तरह मात देने के बाद पहले वनडे में भी फतेह हासिल कर ली है। पहले वनडे मैच देखने के बाद ऐसा लग रहा जैसे टीम ने हर मुश्किल घड़ी के लिए अपना एक योद्धा तैयार रखा है। पहले वनडे केधार जाधव के रूप में हमें एक नया सितारा मिल गया है। मुश्किल समय में उन्होंने कप्तान विराट कोहली का साथ देते हुए टीम के लिए जीत की बुनियाद रख दी थी। ये एक और ऐसा मामला था, जहां टीम के एक खिलाड़ी ने मुश्किल समय में बेहतरीन प्रदर्शन से टीम को उबारा। ऐतिहासिक जीत के बावजूद पहले वनडे में काफी कमियां नजर आई। कप्तान विराट कोहली को भी पता है कि दूसरे वनडे से पहले उन्हें कई कमियों पर काम करना है। दूसरे वनडे से पहले ये 5 कमियां हैं, जिन्हें सुधारने की जरुरत है –
टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत से भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के लिए चोटिल होना बड़ी समस्या बनती जा रही है। रोहित शर्मा के चोटिल होने के कारण भारतीय टीम ने पहले ही एक बेहतरीन ओपनर इस सीरीज़ के लिए खो दिया है। टीम इंडिया में उनकी कमी ने ओपिंग बल्लेबाजी की लय को कहीं न कहीं झकझोर कर रखा दिया है। बहरहाल, मौजूदा ओपनर्स केएल राहुल और शिखर धवन को इस मौके का फायदा उठाते हुए बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए। एकमात्र बेहतर प्रदर्शन से ही टीम में उनका भविष्य सुरक्षित है। भारतीय टीम कई मौकों पर अच्छी शुरुआत न देते हुए विकेट खो दिए। इससे मिडिल ऑर्डर को नई गेंद का सामना करना पड़ा है। ये एक चिंता का विषय है जिसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है। जरुरत के समय विकेट न खोना अच्छी बल्लेबाजी की निशानी है कि बड़ी साझेदारी की जाए। ये अत्यिधक जरुरी लक्षण पिछले वनडे में गायब था। कप्तान विराट कोहली लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर ऐसा न हो तो भारतीय टीम की कई खामियां सामने आ सकती हैं। पिछले मैच में दो ओपनर्स के जल्दी आउट होने के बाद भी टीम ने कम अंतराल में दो विकेट और खो दिए। अगर किस्मत ने साथ नहीं दिया होता तो भारतीय टीम को एक बुरी हार का सामना करना पड़ता। आखिर टीम इंडिया कब तक कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी पर टिकी रहेगी। एक मजबूत टीम का निर्माण तभी हो सकता है जब दूसरे बल्लेबाज भी दबाव की स्थिति में अच्छी बल्लेबाजी करके दिखाएं, जो कि केदार जाधव ने करके दिखाया। अगर इस समयस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो जल्दी ही टीम को बुरे दौर का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मिडिल ओवर्स में विकेट लेना पिछले वनडे में हमारे गेंदबाज लय में नजर नहीं आए। अगर मैच जीतना है थोड़े अंतराल पर हमें विकेट झटकना भी सीखना होगा। खासकर की मिडिल ओवर्स में, क्योंकि एक बार बल्लेबाज जम गये तो अंतिम ओवरों में गेंदबाजों की हवा निकाल सकता है। अगर पिछले वनडे की बात करें, तो कप्तान विराट कोहली के लिए अंतिम 10 ओवर काफी मुश्किल भरे थे। उनका कोई भी गेंदबाज इंग्लैंड टीम के बल्लेबाजों को ताबड़-तोड़ रन बनाने से नहीं रोक पा रहा था। इसलिए ये जरुरी है कि मिडिल ओवर्स में विकेट निकालकर विपक्षी टीम के बल्लेबाजों पर दबाव बनाया जा सके। इससे उन्हें अंतिम ओवरों में ताबड़-तोड़ बल्लेबाजी करने से रोका जा सकता है। इससे न सिर्फ गेंदबाजों के लिए स्थिति ठीक रहेगी, बल्कि कप्तान को भी दबाव में आने से बचाया जा सकता है। नई गेंद से विकेट लेना सीखना होगा इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में भारतीय तेज गेंदबाजी दल ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। तेज गेंदबाजों ने जरुरी शुरुआती झटके इंग्लैंड को दिये थे। भले ही स्पिन गेंदबाजों ने सभी सुर्खियां बटोरी, लेकिन ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि तेज गेंदबाजों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था। हालांकि, पहले वनडे में उमेश यादव और हार्दिक पांड्या की जोड़ी ने ठीक-ठाक गेंदबाजी की। इंग्लैंड टीम की बल्लेबाजी क्रम में स्ट्रोक जैसे बल्लेबाज है, जो कि गेंदबाजों पर हावी होकर बल्लेबाजी करते हैं। इसलिए ये जरुरी हो जाता है कि हमारे तेज गेंदबाज नई गेंद से विकेट लेना सीखें, जिससे बाकी के ओवर्स में इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर दबाव बनाया जा सके। अंतिम ओवर्स में सटीक गेंदबाजी भारत के पूर्व वनडे कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने अपने बयान में कहा था कि उनके गेंदबाज उनकी कप्तानी में कभी भी अंतिम ओवर्स में अच्छी गेंदबाजी नहीं कर पाए। हालांकि, जसप्रीत बुमराह के टीम में आने के बाद स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन फिर से पहले वनडे में पुराना भूत सताने लगा है। अंतिम ओवर्स में सटीक गेंदबाजी की कमी खलने लगी है। पिछले वनडे में बुमराह अस्थिर और उमेश लय में नजर नहीं आए। इसका फायदा उठाते हुए इंग्लैंड के बल्लेबाज अंतिम ओवरों में रन लूटते रहे। कप्तान कोहली उस समय असहाय नजर आ रहे थे। कभी उनकी चेहरे पर गुस्सा तो कभी तनाव में मुस्कान सामने आ जाती। बाकि बचे हुए मैचों में गेंदबाजों को सटीक गेंदबाजी करनी पड़गी, नहीं तो मुश्किल होगी।