INDvNZ 2016 : विराट कोहली की कप्तानी के 5 सफल फैसले

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विराट की कप्तानी में टीम इंडिया ने न्यूज़ीलैंड का 3-0 से सफाया किया और वर्ल्ड की नंबर एक टीम बन गई। कोहली ने मंसूर अली ख़ान पटौदी औऱ सुनील गावस्कर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत को अपनी कप्तानी में 10 टेस्ट जिताए हैं। और अब कोहली की नजर धोनी , गांगुली और अजहर के रिकॉर्ड्स पर होगी। अगर आने वाले दिनों में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन ऐसा ही रहा तो ये घरेलू सीज़न कोहली और उनकी टीम के लिए बंपर साबित होगा। दिल्ली में जन्मे कोहली ने कप्तान में गजब का रुतबा दिखाया और मैच के दौरान कोहली के फैसलों की हर जगह सराहना हो रही है। कोहली ने टीम में जीत का आत्मविश्वास जगाया है, जिससे भारतीय टीम के पास टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन की गद्दी को कायम रखने का मौका है। चलिए पूरी सीरीज़ में से विराट की कप्तानी के पांच अहम फैसलों पर नजर डालते हैं। # 1) 4 विशेषज्ञ गेंदबाज़ खिलाने का फैसला

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जब से कोहली ने टीम की कमान संभाली है तब से यह कहा जा रहा है कि वो टेस्ट क्रिकेट में 5 गेंदबाजों को खिलाने के प्रति काफी पॉजीटिव हैं। कोहली ने श्रीलंका , दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ भी 5 गेंदबाज़ ही खिलाए थे। हालांकि वेस्टइंडीज़ में आखिरी टेस्ट में वो 4 गेंदबाजों के साथ गए जिस फैसले ने सबको हैरान किया। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज़ में भी कोहली 4 गेंदबाज़ों के फैसले के साथ ही गए और टीम में अश्विन और जडेजा के रूप में दो स्पिनर और दो सीम गेंदबाज़ों को जगह दी गई। हालांकि कोहली के इस फैसले ने काफी लोगों को हैरान किया , लेकिन ये उनका खूब सोचा समझा फैसला था। 3 टेस्ट मैच की इस सीरीज़ में पिच बल्लेबाज़ों के मुफीद नहीं थी , लिहाज़ा बल्लेबाज़ी को मजबूत करने का फैसला सही साबित हुआ। पहले औऱ दूसरे टेस्ट में निचले क्रम ने बल्लेबाज़ी में सहयोग कर मुश्किल स्थिति से टीम की नैया पार लगाई। और क्योंकि पिच से स्पिनर्स के लिए काफी मदद थी , न्यूज़ीलैंड की धज्जियां उड़ाने के लिए दो स्पिनर ही काफी थे और अगर टीम में तीसरा स्पिनर होता भी तो उसे गेंदबाज़ी का कम ही मौका मिलता। #2) तेज़ गेंदबाज़ों का आक्रामक इस्तमाल

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क्योंकि जहां ये तीनों टेस्ट खेल जा रहे थे वहां की पिचें स्पिन गेंदबाज़ों को मदद करने वाली थी इसलिए इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि यहां ज्यादातर गेंदबाज़ी करने की जिम्मेदारी अश्विन और जडेजा के कंधों पर ही होगी। हालांकि कोहली बीच-बीच में छोटे स्पेल में तेज़ गेंदबाज़ों को लाने से पीछे नहीं हटते थे। जिससे कीवी टीम के बल्लेबाज़ पिच की पेस और बाउंस के आदी नहीं हो पाते थे और मैच भारत की पकड़ में ही रहता था। जब भी कोहली ने तेज़ गेंदबाज़ों को गेंद थमाई उन्होंने निराश नहीं किया और नई और पुरानी गेंद से कई महत्वपूर्ण विकेट लिए। पुरानी गेंद से खासतौर पर मो.शमी ने कमाल की गेंदबाज़ी की और रिवर्स स्विंग से कीवियों को खूब परेशान किया। # 3) रोहित शर्मा पर जताया भरोसा

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जब भी रोहित शर्मा को टेस्ट टीम में शामिल किया जाता है तो टीम में उनकी जगह को लेकर हर जगह खूब बहस होती है। हालांकि कोहली को रोहित की क्षमता पर पूरा भरोसा है और इसलिए बिना किसी की परवाह किए कोहली ने रोहित को टेस्ट सीरीज़ में टीम के अंतिम 11 में हर बार मौका दिया। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हुई इस टेस्ट सीरीज़ में रोहित कोहली के इस विश्वास पर खरे भी उतरे औऱ उन्होंने तीनों टेस्ट मैंचों में अर्धशतक लगाए। ईडन गार्डन्स पर खेली रोहित की 82 रन की पारी भारत के लिए मैच विनिंग पारी साबित हुई और कठिन परिस्थिति से रोहित ने भारत को निकालकर मेहमान टीम को मैच से बाहर कर दिया। रोहित के टैलेंट पर किसी को संदेह नहीं है और हर भारतीय फैन यही आशा कर रहा है कि ये सीरीज़ रोहित के लिए टेस्ट क्रिकेट में नई शुरुआत साबित हो और आने वाले सालों में वो नंबर 6 पर मैच विनर की भूमिका निभाएं। # 4) भुवनेश्वर कुमार का दूसरे टेस्ट में प्रेरित करने वाला चयन

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जब टीम कोलकाता आई तो उनका स्वागत ग्रीन टॉप से हुआ जो तेज़ गेंदबाज़ों को मदद करने वाली थी। लिहाज़ा कोहली ने टीम में उमेश यादव की जगह भुवनेश्वर कुमार को शामिल करने का फैसला किया। ये एक प्रेरित करने वाला फैसला था और भुवनेश्वर ने कीवीज़ की कमर तोड़ दी और पहली पारी में 5 विकेट लिए और दूसरे दिन उन्हें लाइट्स के अंडर खेलने बेहद मुश्किल था। उन्होंने लगातार गेंद स्विंग कराई और बल्लेबाज़ को सेट होने का कोई मौका नहीं दिया। कीवी टीम पहले 25 ओवर में 4 विकेट खो चुकी थी और फिर भुवनेश्वर ने आर्टिफिशियल लाइट्स में गेंदबाज़ी करते हुए और तीन शिकार किए । टेस्ट के दूसरे दिन 7 में से 6 विकेट तेज़ गेंदबाज़ों ने लिए। टीम हर डिपार्टेमेंट में अच्छी दिख रही थी। # 5) केन विलियमसन को जल्दी आउट करने की योजना

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विराट कोहली की फील्ड सेंटिंग पूरी सीरीज़ में प्रभावशाली थी और कोहली ने कभी भी कीवी टीम पर दबाव कम नहीं होने दिया। केन विलियमसन के खिलाफ कोहली की रणनीती काम कर गई। वो न्यूज़ीलैंड टीम के बेस्ट बल्लेबाज़ हैं और भारत के लिए उन्हें रोकना जरूरी था। कोहली औऱ अश्विन दोनों केन के खिलाफ साथ रणनीती के साथ दिखे। केन के लिए प्वाइंट खाली छोड़ा हुआ था और अश्विन लगातार ऑफ स्टंप पर गेंदबाज़ी कर विलियमसन को कट या ड्राइव खेलने के लिए लालच दे रहे थे। विलियसन जाल में फंसे और अश्विन की शार्प टर्न का उनके पार कोई जवाब नहीं था और वो सीरीज़ में 4 बार अश्विन का शिकार बने। इंदौर में आखिरी पारी में विलियमसन ने खुद को कट शॉट खेलने से रोका और टर्न के साथ खेलने का फैसला किया लेकिन ज्यादा चहलकदमी कर बैठे और विकेट के सामने पाए गए। ये गज़ब की रणनीति भारत के काफी काम आई।

Edited by Staff Editor
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