भारतीय टीम की संरचना में बदलाव और प्रयोग की स्वतंत्रता का मुख्य कारण सीमित ओवरों के खेल में उनकी बेहतरीन फॉर्म है, जिसमें चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल के रन भी शामिल हैं। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के हाथाों मिली हार के बाद वह लगातार ज़िम्बाब्वे, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ श्रृंखला में अजेय रहे हैं, वो भी पर्याप्त मात्रा में हुए प्रयोग के साथ। रोहित के पास भी युवाओं को मौका देने और प्रयोग करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश है लेकिन उन्हें पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को दिमाग में रख कर सोचना होगा। श्रीलंकाई टीम कागज पर बहुत मजबूत नहीं दिख रही है लेकिन नये कप्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि टीम में जीत का आत्मविश्वास जगता रहे। प्रोटियाज़ दौरे पर जाने से पहले इस समय कोई भी हार टीम के लिए हानिकारक हो सकती है।