आईपीएल-9 अब खत्म हो चुका और अब बारी है, एक नए क्रिकेट सीजन की। पिछले साल की तरह इस साल भी भारत अपने से कमजोर ज़िम्बाब्वे टीम का दौरा करेगी। इस दौरे में टीम 3 वनडे और 3 टी-20 मुकाबले खेलेगी। भारतीय टीम में कई सीनियर खिलाड़ी जैसे विराट कोहली, रोहित शर्मा, सुरेश रैना, रवीद्र जडेजा, आर अश्विन और शिखर धवन को इस छोटे दौरे के लिए आराम दिया गया है। ज़िम्बाब्वे की टीम इस दौरे में 1 टेस्ट भी खेलना चाहती थी, पर बीसीसीआई ने अपने लंबे क्रिकेट सीजन को देखते हुए, इसके लिए मना कर दिया। पिछले तीन दौरों की तुलना में इस बार भारत की कप्तानी करेंगे एमएस धोनी। धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, लेकिन उन्होंने हाल ही में बहुत ज्यादा क्रिकेट खेली हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया का दौरा, एशिया कप, टी-20 विश्व कप और आईपीएल शामिल हैं। अगर धोनी इस दौरे पर न जाते , तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी। पर धोनी ने ज़िम्बाब्वे जाने का फैसला लेकर एक संदेश तो दे दिया है कि वो अभी भी लंबे समय तक भारत की कप्तानी करना चाहते हैं। यह दौरा रिज़ल्ट के हिसाब से इतना ज़रूरी न हो, लेकिन धोनी के करियर को देखते हुए उनके लिए यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है: मैच प्रैक्टिस और फ़िट्नेस भारत के आने वाले समय में क्रिकेट सीज़न को देखेकर मैच प्रैक्टिस के हिसाब से धोनी के लिए यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। भारत को मार्च 2017 तक ज्यादा टेस्ट क्रिकेट ही खेलना है। अगर धोनी इस दौरे पर न जाते, तो उनको वनडे में खेलने का मौका सिर्फ अक्तूबर-नवंबर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ ही मिलता। धोनी अगले साल होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी को देखते हुए अपने आप को मैच फिट रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्रिकेट खेलना चाहेंगे। धोनी यह पहले ही कह चुके हैं कि अगर उन्हें लंबे समय के लिए क्रिकेट खेलनी हैं तो, उनका फिट रहना काफी ज़रूरी हैं। अगले महीने वो 35 साल के हो जाएंगे और अपने आप को फिट रखना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। अगर उन्हें अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी या 2019 में होने वाले विश्व कप में खेलना है, तो उनका फिट रहना काफी ज़रूरी हैं। टीम के मेंटर भारत की टीम पर अगर नज़र डाले तो, धोनी को छोड़कर बाकी सभी 15 खिलाड़ियों ने मिलकर 83 वनडे और 28 टी-20 ही खेले हैं । धोनी खुद ही इनसे तीन गुना ज्यादा मैच खेल चुके हैं। करुण नायर, मंदीप सिंह, युजवेंद्र चहल और जयंत यादव ने तो आज तक भारत के लिए एक भी अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेला हैं। अब सारी ज़िम्मेदारी धोनी पर ही आ गई है कि कैसे इन खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दिया जाए। इन सारे खिलाड़ियों के पास बहुत अच्छा मौका हैं, धोनी जैसे खिलाड़ी से सीखने का। यह मौका बार-बार नहीं मिलता। बल्लेबाज़ी फॉर्म एमएस धोनी की हाल की फॉर्म देखें तो वो कुछ खास नहीं रही है। इस साल आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन फीका ही रहा, उन्होने 14 मुकाबलों में सिर्फ 284 रन ही बनाए, जिसमें सिर्फ 1 अर्ध शतक शामिल था, जो उन्होने किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ आखिरी लीग मैच में मारा था। उनके आईपीएल के प्रदर्शन को देखें तो उनका इस साल का स्ट्राइक सेट 135.23 का था, जो उनके खेलने के तरीके से काफी कम था। यह स्ट्राइक रेट भी उनका आखिरी लीग मैच में खेली गई 64 रनों की मैच विनिंग पारी की बदौलत, यहां तक पहुंचा। उनकी हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 6 और 7वे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने पर काफी आलोचना भी हुई। धोनी के पास इस सीरीज़ में मौका होगा ऊपर आके बल्लेबाज़ी करने का, क्योंकि इस टीम में काफी अनुभवहीन खिलाड़ी मौजूद है, जैसे करुण नायर, फैज फज़ल, केदार जाधव और अंबती रायडू। धोनी इस टूर में खुलकर बल्लेबाज़ी करना चाहेंगे और ज़िम्बाब्वे के गेंदबाज़ी आक्रमण का फायदा उठाना चाहेंगे। अगर धोनी फॉर्म में आते हैं, तो टीम को काफी फायदा होगा। चुनौती और प्रोत्साहन धोनी 11 साल के अंतराल के बाद ज़िम्बाब्वे में किसी सीरीज़ में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इस सीरीज़ में सबको 3-0 से जीत की उम्मीद है, अगर इंडिया एक मैच भी हारती है, तो भारतीय फैंस को काफी धक्का लगेगा। धोनी जब 2005 में ज़िम्बाब्वे में खेलने के लिए आए थे, तो वो दौरा गांगुली और चैपल के बीच विवाद के लिए चर्चा में रहा था। धोनी उस समय टीम में अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे। अब की बार पूरी टीम की ज़िम्मेदारी उन पर है और उन्हें ही इन युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना हैं। धोनी को इस खेल की काफी समझ है और वो जानते हैं कि उन्हें जो यहां कैसी कंडिशंस मिलने वाली हैं, यहां की पिच गेंदबाज़ों को मदद देगी और अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी को देखते हुए वो एक टीम तैयार कर सकते हैं। इस दौरे के सभी मुक़ाबले दिन में खेले जाएंगे, जिससे टॉस की भूमिका काफी अहम हो जाती हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा की यह युवा खिलाड़ी इन सीमिंग कंडिशंस में किस तरह तालमेल बिठाते हैं। खुद को साबित करना हाल ही में धोनी को मीडिया से बात करते समय अपना आपा खोते देखा गया है। खासकर जब भी सवाल उनके भविष्य को लेकर हो, तो वो काफी नाखुश और परेशान दिखते हैं। हाल ही में रवि शास्त्री ने यह बात कही थी कि विराट कोहली को इंडिया का फुल टाइम कप्तान बना देना चाहिए और धोनी को अपना गेम एंजॉय करना चाहिए। धोनी ने बड़ी ही चालाकी से इस सवाल को टाल दिया कि क्या विराट को इंडिया का तीनों फॉरमैट का कप्तान बना देना चाहिए, उन्होने कहा कि यह फैसला बीसीसीआई का होगा और उन्होने यह भी कहा "मैं इस खेल को पूरी तरीके से एंजॉय कर रहा हूँ"। एमएस धोनी भारत के सबसे सफल कप्तानों में से हैं, इसके साथ ही उनके पास 90 टेस्ट, 255 वनडे और 68 टी-20 मुकाबलों का भी अनुभव हैं। उन्होने हमेशा ही सबको अपनी कप्तानी के तरीके से हैरान किया है और क्या पता आने वाले ज़िम्बाब्वे दौरे पर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिले। लेखक- पीयूष चोरदिया, अनुवादक- मयंक महता