धोनी 11 साल के अंतराल के बाद ज़िम्बाब्वे में किसी सीरीज़ में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इस सीरीज़ में सबको 3-0 से जीत की उम्मीद है, अगर इंडिया एक मैच भी हारती है, तो भारतीय फैंस को काफी धक्का लगेगा। धोनी जब 2005 में ज़िम्बाब्वे में खेलने के लिए आए थे, तो वो दौरा गांगुली और चैपल के बीच विवाद के लिए चर्चा में रहा था। धोनी उस समय टीम में अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे। अब की बार पूरी टीम की ज़िम्मेदारी उन पर है और उन्हें ही इन युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना हैं। धोनी को इस खेल की काफी समझ है और वो जानते हैं कि उन्हें जो यहां कैसी कंडिशंस मिलने वाली हैं, यहां की पिच गेंदबाज़ों को मदद देगी और अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी को देखते हुए वो एक टीम तैयार कर सकते हैं। इस दौरे के सभी मुक़ाबले दिन में खेले जाएंगे, जिससे टॉस की भूमिका काफी अहम हो जाती हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा की यह युवा खिलाड़ी इन सीमिंग कंडिशंस में किस तरह तालमेल बिठाते हैं।