INDvAFH: राशिद खान की गेंदबाजी का सामना करने के लिए तकनीक और समझ जरूरी

क्रिकेट की दुनिया में स्पिनरों का अलग ही बोलबाला रहा है। रहस्यमयी स्पिनर से लेकर दूसरा, तीसरा के महारथ सभी गेंदबाज आये और गए हैं। इस कड़ी में अफगानिस्तान के पास फिलहाल काफी अच्छे स्पिनर देखने को मिले रहे हैं। राशिद खान उनमें से एक हैं जो मौजूदा दौर में टी20 क्रिकेट के विशेषज्ञ स्पिनर माने जाते हैं। बांग्लादेश को तीन टी20 मैचों की सीरीज में हराने में इनका उपयोगी योगदान रहा था। इस गेंदबाज ने 3 मैचों में 8 विकेट चटकाए। इसके अलावा आईपीएल के ग्यारहवें सीजन में उन्होंने 21 विकेट अपने नाम किये। भारत के खिलाफ बेंगलुरु में 14 जून से शुरू हो रहे एकमात्र टेस्ट से अफगानिस्तान की टीम अंतरराष्ट्रीय टेस्ट प्रतिस्पर्धा में पदार्पण कर रही है। टीम इंडिया के बल्लेबाजों को राशिद खान के साथ ही मुजीब उर रहमान और मोहम्मद नबी से भी सावधान रहने की जरूरत होगी। यहां हम कुछ तकनीकी बातों पर चर्चा करेंगे कि कैसे भारतीय टीम के बल्लेबाज राशिद खान की गेंदों को खेल सकते हैं। वे लेग स्पिन के साथ गूगली भी फेंकते हैं और दोनों गेंदों को पढ़ने में बल्लेबाज सफल नहीं हो पाते क्योंकि गेंदरिलीज होते वक्त उनका हाथ समान रहता है। हवा में भी उनकी गेंद तेज गति से आती है ताकि छोटी होने के बाद भी बल्लेबाज को हिट करने का समय न मिले। कदमों का इस्तेमाल किसी भी स्पिनर की स्पिन को दबाने के लिए क़दमों का इस्तेमाल करना अहम माना जाता है। इससे आप गेंद के टप्पे की जगह अपना पूरा शरीर ले जाकर ड्राइव या डिफेन्स खेल सकते हो। पिच तक पहुँचने के लिए एक ओवर में दो बार कदमों का इस्तेमाल किया जा सकता है इससे गेंदबाज की मानिसकता यह रहेगी कि बल्लेबाज कभी भी आगे आकर स्पिन को खत्म कर सकता है। चेतेश्वर पुजारा यह काम अच्छी तरह करते हैं। राशिद खान की गेंदों को खेलने के लिए ऐसा करना जरुरी होगा। रक्षात्मक शॉट में हल्के हाथों का प्रयोग आम तौर पर देखा जाता है कि बल्लेबाज डिफेन्स के समय गेंद की पिच तक जाने के बाद भी सिली पॉइंट या शॉर्ट लेग पर खड़े फील्डर को कैच थमा देता है। जरुरत यह रहती है कि पिच तक पहुंचने ने बाद भी बल्ले का गेंद के साथ सम्पर्क होते समय पीछे का हाथ बल्ले को बिलकुल हल्के से पकड़े हुए हो। इससे गेंद किनारा लेने के बाद भी फील्डर तक मुश्किल से पहुँच पाती है। पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ इस कला में माहिर थे और गेंदबाजों को इस तकनीक से बहुत थकाया है। डिफेन्स के मामले में भी चेतेश्वर पुजारा बेहतरीन हैं। हालांकि मुरली विजय भी रक्षात्मक शॉट ज्यादा खेलते हैं लेकिन वो हल्के हाथों का प्रयोग नहीं करते। पैरों को विकेट के सामने आने से रोकना कई बार बल्लेबाज लेग स्टंप का गार्ड लेने के बाद मिडिल और ऑफ़ स्टंप पर आकर खेलते हैं और गेंद पैड पर लगने से पगबाधा करार दिए जाते हैं। यह मालूम होना महत्वपूर्ण होता है कि गेंद टप्पा खाकर कब स्टंप की दिशा में आएगी। स्टंप की लाइन में आने से पहले पैरों को आगे ले जाकर डिफेन्स से गेंद को दबाने का कार्य किया जा सकता है, इसमें गेंद बल्ले से नहीं लगकर पैड से भी टकराती है तो आउट होने के अवसर कम हो जाते हैं। कई बार नकारात्मक गेंदबाजी के समय यह तकनीक बल्लेबाज इस्तेमाल करते हैं। इम्पैक्ट खत्म करना जरुरी चीज है। ज्यादा बाहर फेंकी गई गेंद को बैकफुट पर खेलना हालांकि यह तरीका पूरी तरह से कारगर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन कुछ हद तक इससे लेग स्पिनर की गूगली समझने में सहायता मिल सकती है। गूगली के लिए गेंदबाज गेंद को ऑफ़ स्टंप से बाहर डालता है और वह गिरकर अंदर आती है ऐसे में फ्रंटफुट पर खेलना घातक हो जाता है क्योंकि बल्ले और पैड के बीच में गैप से गुजरकर गेंद विकेट पर लग जाती है। इस स्थिति में देखना यह जरुरी होता है कि गेंद ऑफ़ स्टंप से कितना बाहर है और बल्लेबाज को पीछे हटकर स्पिन का इन्तजार करते हुए गूगली को खेलना चाहिए। ऑफ़ स्टंप से एक या दो डेढ़ फीट बाहर फेंकी जाने वाले अधिकतर गेंदें गूगली होती है जिसका शानदार उपाय पीछे जाकर खेलना ही है। राशिद खान अपनी गेंदों में इस विविधता का मिश्रण करते हैं।

Edited by Staff Editor
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