भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों पर हर साल आईपीएल और बीसीसीआई के अनुबंधों के जरिए करोड़ों रुपये की बारिश होती है। टीम इंडिया का हरेक मौजूदा खिलाड़ी सेलिब्रिटी का दर्जा रखता है। लेकिन विश्व कप की चैंपियन भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के सदस्यों की जिंदगी इन खिलाड़ियों जैसी नहीं है। कोई खेतीहर मजदूर है तो कोई घरों में दूध बेचता है और कोई ऑर्केस्ट्रा में गाकर जीवन यापन कर रहा है। ये कोई और नहीं बल्कि विश्व कप जीतने वाली भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के सदस्य हैं जो ग़रीबी में दिन काट रहे हैं।
टीम में 12 बेरोज़गार खिलाड़ी
शारजाह में पाकिस्तान को हराकर दूसरी बार वनडे विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के 17 सदस्यों में से 12 के पास कोई पक्का रोजगार नहीं हैं जिनमें से 7 खिलाड़ी विवाहित भी हैं। अलग-अलग काम करके गुजर बसर करने वाले इन खिलाड़ियों की कमाई पर गाज गिरती है जब वे खेलने के लिए बाहर रहते हैं। बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल में मैन ऑफ द मैच रहे वलसाड़ के गणेश मूंडकर 2014 से टीम का हिस्सा हैं और दो विश्व कप, एक एशिया कप, एक टी-20 विश्व कप जीताने में अहम योगदान दे चुके हैं। माता-पिता खेत में मजदूरी करते हैं और गणेश किराने की छोटी सी दुकान चलाते हैं। आर्थिक स्थिति खराब होने से छोटे भाई की पढ़ाई बीच में रोकनी पड़ी। गणेश ने बताया 'घरवाले कभी-कभी कहते हैं कि क्रिकेट छोड़ दो लेकिन खेल मेरा जुनून है। चार साल पहले गुजरात सरकार ने विश्व कप जीतने के बाद नौकरी का वादा किया था लेकिन मैं अभी तक इंतजार में हूं।'
ऑर्केस्ट्रा में गाने की मजबूरी
वहीं आंध्र प्रदेश के कूरनूल जिले के प्रेम कुमार बी वन श्रेणी के यानी पूर्ण नेत्रहीन हैं और ऑर्केस्ट्रा में गाकर गुजारा करते हैं। सात बरस की उम्र में चेचक में आंख गंवा चुके प्रेम ने कहा ‘मैं ऑर्केस्ट्रा और स्थानीय चैनलों पर गाता हूं और एंकरिंग करता हूं। एक कार्यक्रम का एक या डेढ़ हजार रुपये मिल जाता है। गणपति महोत्सव के समय महीने में दस कार्यक्रम मिल जाते हैं वरना दो-तीन से गुजरा करना पड़ता है।’ गुजरात के ही वलसाड़ के रहने वाले अनिल आर्या के परिवार में दादा-दादी, माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं जबकि मासिक कमाई 12'000 रुपये है। पिता कभी कभार खेतों में मजदूरी करते हैं जबकि अनिल खुद दूध बेचते हैं।
दूध बेचकर गुजर-बसर
अनिल ने कहा ‘मैं दूध बेचने का काम कर रहा हूं और क्रिकेट खेलने के लिए अपने ड्राइवर को जिम्मा सौंपकर आया हूं। मुझे रोज सुबह उठने से सबसे पहले उसे निर्देश देने पड़ते हैं। बारहवीं तक पढ़े अनिल ने बताया कि उनके गांव में अभ्यास की सुविधा नहीं है और गुजरात की पूरी नेत्रहीन टीम ने राज्य सरकार से अपील की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। भारतीय नेत्रहीन टीम में विराट कोहली के नाम से मशहूर आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर राव टीम के सर्वश्रेष्ठ फील्डर हैं। पाकिस्तान के खिलाफ लीग मैच में 68 और फाइनल में 35 रन बना चुके राव चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ चार शतक जमा चुके हैं। राव कहा ‘मैं श्रीकाकुलम में अस्थायी शारीरिक शिक्षण ट्रेनर के रूप में काम कर रहा हूं। पहले 5000 रुपये मिलते थे और अब 14000 रुपये मिलते हैं मगर नाकाफ़ी हैं। जब तक नौकरी ना हो, मैं शादी भी नहीं कर सकता।’ यह हाल है उन खिलाड़ियों का जिन्होंने पिछले 59 महीने में दो टी-20 विश्व कप, दो वनडे विश्व कप, एक एशिया कप और चार द्विपक्षीय सीरीज जीती हैं।
बोर्ड से मदद की गुहार
कप्तान अजय रेड्डी ने कहा कि जहां क्रिकेटरों को एक जीत पर सिर आंखों पर बिठाया जाता है, वहां ये नौकरी और सम्मान को तरस रहे हैं। उन्होंने कहा ‘खिलाड़ी अपना पूरा फोकस खेल पर नहीं कर पा रहे। बीसीसीआई या खेल मंत्रालय से मान्यता मिलने से भी समस्याएं बहुत हद तक सुलझ सकती हैं लेकिन वह भी नहीं मिली है।’ भारत में नेत्रहीन क्रिकेट संघ इस खेल का संचालन करता है जो गैर सरकारी संगठन समर्थनम ट्रस्ट का अंग है। इसके सचिव और भारतीय टीम के कोच जॉन डेविड ने कहा ‘खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर चिंता होती है क्योंकि ऐसे बिना किसी आर्थिक मदद या रोजगार के कब तक ये खेल जारी रख सकेंगे।उन्होंने कहा मैदान पर ये हर जंग जीत जाते हैं लेकिन यही स्थिति रही तो जीवन से हार जाएंगे।