भारतीय टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है और नये खिलाड़ी टीम में आ रहे हैं, क्या पुराने खिलाड़ी पीछे छूट जायेंगे ?
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भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए काफी अच्छा समय चल रहा है। भारतीय टीम के मौजूदा प्रदर्शन से यह साफ हो रहा है कि टीम 2019 विश्वकप के तैयारी में जुट गयी हैऔर सही रास्ते पर भी चल रही है।
भारत अपनी पुरानी परेशानियों को भी लगभग खत्म कर चुका है। टीम के पास अब वैसा ऑलराउंडर है जिसकी उसे हमेशा से तलाश थी, इसके अलावा अंतिम ओवरों में सटीक गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज भी मिल गये हैं। सीमित ओवरों के खेल में भारतीय टीम के स्पिनर भी कुछ खास नहीं कर पा रहे थे लेकिन युवा गेंदबाजों ने आक्रामकता से गेंदबाजी कर इस परेशानी को भी कम कर दिया है।
इन नये खिलाड़ियों के मैच जिताऊ प्रदर्शन ने टीम से बाहर चल रहे कई सीनियर खिलाड़ियों के वापसी को तगड़ा झटका दिया है, लेकिन उनके लिए वापसी करना नामुमकिन भी नहीं है। उदाहरण के तौर पर हम सौरव गांगुली को देख सकते हैं, किस तरह उन्होंने टीम से बाहर होने के बाद जोरदार वापसी की थी और दोहरा शतक भी जमाया था।
आज हम कुछ सीनियर खिलाड़ियों के सीमित ओवरों की टीम में वापसी की सम्भावनाओं के बारे में आपको बतायेंगे
इशांत शर्मा
इशांत पहली बार करीब एक दशक पहले भारतीय टीम में आये थे। 2008 की सीबी सीरीज के दौरान कई भारतीय युवा खिलाड़ी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था और इशांत उसी में एक थे।
टेस्ट क्रिकेट में भी इशांत ने जल्द ही सफलता प्राप्त कर ली। 18 साल के इशांत ने ऑस्ट्रेलया के कप्तान और सबसे बड़े बल्लेबाज रिकी पोंटिंग को खासा परेशान किया। उसके बाद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में बुरी तरह हारी और इस दौरान इशांत का प्रदर्शन बिल्कुल फीका था लेकिन 2014 में भारत की लॉर्ड्स में इंग्लैंड पर हुई जीत में 7 विकेट लेकर इशांत ने अहम भूमिका निभाई थी।
इस प्रदर्शन से लगने लगा था कि ज़हीर खान के बाद इशांत ही भारतीय गेंदबाजी की कमान संभालेंगे लेकिन उसके बाद इशांत ऐसा कारनामा दोबारा नहीं कर पाए। एक-दो सीरीज में ख़राब प्रदर्शन और फिर चोट की वजह से टीम से बाहर हो गयें। उमेश यादव और मोहम्मद शमी में उनकी अनुपस्थिति का पूरा फायदा उठाते हुए टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। इसके अलावा भुवनेश्वर कुमार ने अपनी स्विंग और बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया है। हार्दिक पंड्या के आने के बाद इशांत का रास्ता और मुश्किल कर दिया है।
इशांत हमेशा से प्रभाव छोड़ने वाले गेंदबाज रहे हैं और वो अपने बूते मैच बदलने की क्षमता रखते हैं लेकिन प्रदर्शन में निरन्तरता की कमी के कारण वो हमेशा पीछे रह जाते हैं। इशांत के लिए अब तभी मौका बन पायेगा जब भारतीय टीम तीन तेज़ गेंदबाजों के साथ खेले और ऊपर में से कोई गेंदबाज चोटिल हो।