क्रिकेट में दो तरह के बल्लेबाज होते हैं- एक वो जो सिर्फ किसी एक पॉजिशन पर फिट होते हैं और दूसरे वो जो वक्त पड़ने पर किसी भी बल्लेबाजी क्रम में योगदान देने में कारगर साबित होते हैं। और ये खिलाड़ी का बोनस प्वाइंट है कि वो किसी भी पॉजिशन में बल्लेबाजी करने की क्षमता रखता है। ऐसे कुछ खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत लॉउर ऑर्डर से की, और बाद में इस बाद का खुलासा हुआ कि उनमें शानदार प्रदर्शन करने की भरपूर क्षमता मौजूद है। ये वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर अपनी बल्लेबाजी क्रम को लॉउर ऑर्डर से टॉप ऑर्डर में तबदील किया।
5 . सचिन तेंदुलकर
महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के करियर के बारे में लिखना किसी असंभव कार्य को करने जैसा है। इस बात पर यकीन करना बेहद मुश्किल है कि सचिन कभी लॉअर ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर खेल चुके हैं। सचिन बल्लेबाजी की हर पॉजिशन में सफल रहे हैं। डेब्यू करने के बाद, सचिन कुछ मैचों में नम्बर 6 पर बल्लेबाजी करने उतरते थे। सचिन ने 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू मैच में ही अपनी आक्रामकता दिखाते हुए शतक जड़ दिया था। उन्होंने टेस्ट में दूसरा शतक भी लॉअर ऑर्डर में बल्लेबाजी करते हुए लगाया। जिसके बाद सेलेक्टर्स को सचिन की प्रतिभा का अहसास हो चुका था और उन्हें जल्द ही टॉप ऑर्डर में प्रमोट कर दिया गया। 1993 नवम्बर से पहले तक, वो लॉअर ऑर्डर में खेलते थे, जिसके बाद उन्होंने टॉप ऑर्डर का दबाव देखा। जिसके बाद से अब तक वो सिर्फ 4 पार बल्लेबाजी करने नम्बर पांच के बाद मैदान में उतरे। जिसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में सचिन के खेल में काफी कंसिसटेंसी देखने को मिली। तब से, सचिन ने अपना जादू हर ओर दिखाया। उनके लिए रिकॉर्ड तोड़ने ब्रैड पर मक्खन लगाने जैसा है। ये आंकड़े महान सचिन तेंदुलकर की सफलता की कहानी बखूबी बयां कर रहे हैं:
| एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
Position |
Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 6 | 168 | 42 | 0 | 57* |
| 1 to 5 | 457 | 18258 | 44.85 | 49 | 200* |
| Tests | |||||
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 18 | 862 | 41.04 | 2 | 148 |
| 1 to 5 | 186 | 15059 | 54.76 | 49 | 248 |
4. इरफान पठान
उन्होंने तुफान की तरह आगाज किया, विश्व क्रिकेट में अपना वर्चस्व स्थापित किया और फिर धीरे-धीरे गर्दिश में चले गए। बड़ौदा के इस खिलाड़ी के लिए गेंदबाजी कभी कोई परेशानी नहीं बनी, लेकिन उनके पास अब कोई विकल्प मौजूद नहीं है। गेंदबाजी उनकी प्राथमिकता थी और बल्लेबाजी उनके लिए अवसर। इसके बावजूद, उन्होंने टॉप-ऑर्डर में कई शानदार पारियां खेली। 2004 अक्टूबर से 2008 अगस्त तक, इरफान पठान ने टॉप ऑर्डर में 27 अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले खेले, जिससे ये साबित हो गया कि वो एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं। श्रीलंका के खिलाफ उनकी इकलौता शतक देखना किसी दावत से कम नहीं था। भारतीय टीम से ड्रॉप होने की वजह, उनकी गेंदबाजी के स्तर में गिरावट रही। वो अपना सबसे बड़ा हथियार स्विंग और पेस खो चुके थे, जो टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं था। इरफान पठान एक जबर्दस्त ऑल राउंडर बन सकते थे, लेकिन उनका करियर गलत दिशा में चला गया। ये आंकड़े साबित करने के लिए काफी है कि वो बल्लेबाजी को कितनी इंजॉय करते हैं। एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 99 | 1051 | 22.36 | 0 | 64 |
| 1 to 5 | 21 | 493 | 25.94 | 0 | 83 |
| Tests | |||||
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 28 | 902 | 32.17 | 1 | 102 |
| 1 to 5 | 6 | 203 | 29.00 | 0 | 93 |
- रोहित शर्मा
रोहित शर्मा की तकनीक, कला और हुनर उनके करियर की दूसरी पारी की यूएसपी बन चुकी है। उनके करियर की पहली पारी में उनके बल्लेबाजी में उतरा-चढ़ाव काफी देखने को मिलता था, जिसकी वजह से वो काफी बार टीम से अंदर-बाहर होते रहते थे, बावजूद इसके कि वो एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं। लॉअर ऑर्डर में वो अपने खेल को बहुत ज्यादा प्रभावशाली बनाने में नाकाम साबित हुए। उनके खराब प्रदर्शन की वजह से उन्हें बल्लेबाजी क्रम में टॉप ऑर्डर में खेलने का मौका नहीं मिला। जून 2007 से मार्च 2012 तक, उनकी बल्लेबाजी का औसत बेहद निराशाजनक था और उनके नाम महज एक अर्धशतक ही शामिल था जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ लगाया था। जनवरी 2013 में हुई घरेलू सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ के बाद से ही, उन्होंने ओपनिंग बल्लेबाज के स्लॉट पर कब्जा जमा लिया। जब से उन्हें टॉप ऑर्डर में प्रमोट किया गया है, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, और जिस तरह से वो सीमित ओवर में खेलते हैं, उस वजह से वो इस फॉर्मेट के भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं। 35 मैचों में ओपनिंग बल्लेबाजी करने वाले, रोहित शर्मा की औसत 52.03 है। वो नई गेंद से खेलने का पूरा लुत्फ उठाते जिसकी गवाही ये आंकड़े दे रहे हैं। वहीं टेस्ट क्रिकेट में वो लॉअर ऑर्डर में दिखाई देते हैं, क्योंकि ओपनिंग स्लॉट के लिए पहले ही मुरली विजय, केएल राहुल, शिखर धवन और गौतम गंभीर की भिडंत है। एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 22 | 270 | 22.50 | 0 | 58 |
| 1 to 5 | 126 | 4738 | 44.28 | 10 | 264 |
- रवि शास्त्री
रवि शास्त्री उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिनका करियर बिल्कुल बदल गया, उन्होंने अपने करियर का आगाज एक गेंदबाज ऑलराउंडर की तरह किया था, लेकिन बाद में उन्होंने बल्लेबाजी को प्राथमिकता दी और भारतीय टीम के साथ एक बल्लेबाज जो थोड़ी बहुत गेंदबाजी भी करने में कारगर हो उस राह पर चल पड़े। अपने वनडे करियर में उन्होंने सब कुछ देख लिया, करियर के आखिरी कुछ वर्षों में उन्हें 10वें नम्बर से प्रमोट कर टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने का मौका दिया। उनकी बल्लेबाजी की वर्सिटेलिटी की वजह से वो किसी भी पॉजिशन पर प्रदर्शन करने में सफल साबित हुए। हर भारतीय खिलाड़ी की तरह ही, रवि शास्त्री को भी भारतीय पिच काफी पसंद थी, और उन्होंने सारे शतक घरेलू मैदान पर ही जड़े, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी शतक लगाए हैं। जब भी रवि शास्त्री के टेस्ट करियर की बात की जाती है तो 1992 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाया उनका दोहरा शतक जरुर याद आता है, जिसने उनके करियर को एक नई उपलब्धि दी। संक्षिप्त मे कहा जाए, तो उन्होंने 11 में से 7 शतक विदेशी जमीं पर लगाए हैं। 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे रवि शास्त्री को उनके योगदान के लिए हमेशा सराहा जाता है। ये आंकड़े बताते हैं कि रवि शास्त्री को टॉप ऑर्डर में कितनी सफलता हासिल हुई। एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 86 | 1373 | 27.46 | 0 | 73* |
| 1 to 5 | 64 | 1735 | 30.43 | 4 | 109 |
| Tests | |||||
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 51 | 2063 | 36.19 | 6 | 142 |
| 1 to 5 | 34 | 1767 | 35.34 | 5 | 206 |
- वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग जैसा बेधड़क और शानदार बल्लेबाज, सिर्फ टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने के लिए ही बना था। सहवाग के खेलने की शैली एक दम अलग है और वो सिर्फ ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर ही फिट होते थे। सहवाग को शुरुआत में टॉप ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर खुद को साबित नहीं कर पाए, जिसके बाद उन्हें वनडे में लॉअर ऑर्डर में खिलाया गया। लेकिन कुछ वक्त बाद ही सहवाग अपनी असली रंग में आ गए और उन्होंने ओपनिंग बल्लेबाज की पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए नई गेंद से शानदार खेल दिखाया। उनको टॉप ऑर्डर में प्रमोट करना भारतीय टीम के लिए एक बड़ी सफलता रही जबकि विरोधी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। उन्होंने अपने खेलने के अंदाज से ओपनिंग बल्लेबाज के स्टाइल को ही बदल कर रख दिया, जिस तरह से सहवाग हैंड-आई कॉर्डिनेशन से शानदार स्ट्रोक्स लगाते थे वो बेहद लाजवाब होते थे। वनडे करियर में 2001 के बाद, वो भारत के लिए रेग्युलर ओपनिंग बल्लेबाज बन गए थे। टेस्ट में, वो टॉप ऑर्डर में आने से पहले एक साल तक लॉअर ऑर्डर में खेलते रहे। लॉउर ऑर्डर में खेली 12 टेस्ट पारियों में, उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 और इंग्लैंड के खिलाफ 4पारी खेली। एक नजर सहवाग के करियर पर एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 10 | 140 | 17.50 | 0 | 58 |
| 1 to 5 | 241 | 8133 | 35.67 | 15 | 219 |
| Tests | |||||
| Position | Matches | Runs | Average | Centuries | Highest |
| 6 and below | 8 | 374 | 41.55 | 1 | 105 |
| 1 to 5 | 99 | 8212 | 49.76 | 22 | 319 |