अभिनव मुकुंद ने भारत के लिए 2011 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। लेकिन वो सिर्फ 4 टेस्ट मैच ही खेल पाए। अभिनव मुकुंद 2008 में अंडर -19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा था। जिसकी कप्तान विराट कोहली ने की थी। और अब विराट कोहली की कप्तानी में बेंगलुरु टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकुंद ने फिर से वापसी की है। टीम इंडिया के रेगुलर ओपनर मुरली विजय कंधे में चोट की वजह से बेंगलुरु टेस्ट में नहीं खेल पाए। जिसके चलते 6 साल बाद टेस्ट टीम में मुकुंद की वापसी हुई। आइए आपको बताते हैं दूसरे भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जिन्हें टेस्ट टीम में वापसी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा: #5 अरुण लाल (40 टेस्ट) अरुण लाल क्रिकेट बैक ग्राउंड से आते हैं, उन्होंने घरेलू क्रिकेट में जमकर रन बनाए हैं। ऐसा माना जा रहा था कि टीम इंडिया में भी अरुण लाल का भविष्य बहुत अच्छा होगा। अरुण लाल ने 27 साल की उम्र में डेब्यू किया और सिर्फ 4 टेस्ट मैच खेले। डेब्यू के बाद अरुण लाल की टीम में वापसी 1987 में 40 टेस्ट बाद हुई। 1987 में पाकिस्तान के खिलाफ अरुण लाल की वापसी हुई। इससे पहले उन्होंने 40 टेस्ट मैच मिस किए। अरुण ने भारत के लिए 16 टेस्ट और 13 वनडे मैच खेले। #4 पार्थिव पटेल (43 टेस्ट) 8 साल बाद पार्थिव पटेल की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी हुई। एक दशक पहले जब अतंर्राष्ट्रीय क्रिकेट में धोनी विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर टीम इंडिया की पहली पसंद बने थे, तब से पार्थिव पटेल की टीम में वापसी को कोशिशों ने दम तोड़ दिया था। पार्थिव ने 17 साल की उम्र में 2002 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। 2004 में पटेल ने अपना आखिरी टेस्ट खेला था उसके बाद 2004 में उन्हें दोबारा मौका मिला। 2004 के बाद 2008 में 4 साल बाद पटेल ने वापसी की। उस दौरान उन्होंने 43 टेस्ट मैच छोड़े। 2008 में श्रीलंका के खिलाफ उस टेस्ट मैच में पार्थिव ने महज 13 रन बनाए। और उन्हें फिर इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी के लिए एक बार फिर घरेलू क्रिकेट का रूख करना पड़ा। 2014 तक इंटरेनशनल क्रिकेट से धोनी के रिटायरमेंट तक पार्थिव की टीम में वापसी नहीं हो पाई। #3 पीयूष चावला (49 टेस्ट) 2006 में चैलेंजर ट्रॉफी में सचिन तेंदुलकर को अपनी गुगली पर बोल्ड कर पीयूष चावला ने खूब सुर्खियां बटोरी। पीयूष चावला को अनिल कुंबले के रिप्लेसमेंट के तौर पर देखा जा रहा था। चावला ने 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। उस मैच में उन्होंने एंड्रयू फिलंटॉफ का विकेट लिया था। 2006 के बाद टीम इंडिया के मुख्य स्पिनर हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के चलते उन्हें टीम से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। उसके बाद उन्हें दो साल बाद 2008 में फिर मौका मिला। लेकिन तब भी वो सिर्फ 2 ही विकेट ले पाए। इसके बाद दिसंबर 2012 में उन्हें फिर मौका मिला। उस समय चावला ने 4 विकेट चटकाए। हालांकि लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट में चावला 2011 वर्ल्ड कप विनिंग टीम का हिस्सा थे। #2 अभिनव मुकुंद (56 टेस्ट) भारत के सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद को शनिवार को बेंगलुरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट के लिए प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। मुकुंद ने 56 टेस्ट मैचों तक बाहर रहने के बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की। उन्होंने 2042 दिनों बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की। मुकुंद भारत की तरफ से दूसरे सबसे ज्यादा टेस्ट चूकने के बाद टीम इंडिया में वापसी करने में सफल रहे। भारतीय विकेटकीपर पार्थिव पटेल ने 83 टेस्ट मैचों तक टीम इंडिया से बाहर रहने के बाद पिछले वर्ष टेस्ट क्रिकेट में वापसी की थी। तमिलनाडु के मुकुंद को अपने ही राज्य के खिलाड़ी मुरली विजय के चोटिल होने की वजह से टीम इंडिया में वापसी का मौका मिला। वे केएल राहुल के साथ पारी की शुरुआत करने उतरे। वैसे उनकी वापसी खराब रही और वे बगैर खाता खोले मिचेल स्टार्क के शिकार बने। 29 वर्षीय मुकुंद ने अपना पिछला टेस्ट 29 जुलाई 2011 से नॉटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। उसके बाद वे टीम इंडिया से बाहर चल रहे थे। मुकुंद ने उन 5 टेस्ट मैचों में 21.10 की औसत से 211 रन बनाए थे। उनका सर्वाधिक स्कोर 62 था। #1 पार्थिव पटेल (83 टेस्ट) भारतीय विकेटकीपर पार्थिव पटेल ने 83 टेस्ट मैचों तक टीम इंडिया से बाहर रहने के बाद पिछले वर्ष टेस्ट क्रिकेट में वापसी की थी। इंग्लैंड के खिलाफ पार्थिव पटेल को जब टीम में मौक़ा मिला तो उन्होंने भारत के लिए दो रिकॉर्ड कायम किए। पहला लगातार दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा टेस्ट मैच मिस करने का रिकॉर्ड और दूसरा दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा अंतराल का रिकॉर्ड। लगातार दो मैच के बीच अगर सबसे ज्यादा टेस्ट मिस करने की बात की जाए तो पार्थिव पटेल 83 टेस्ट के साथ पहला स्थान पर हैं। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में पार्थिव पटेल को चोटिल ऋद्धिमान साहा की जगह मौका मिला। जिसमें मोहाली टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 42 और दूसरी पारी में 67 रन बनाए। हालांकि इस कमबैक के बाद पार्थिव को साहा के फिट होने के बाद एक बार फिर बाहर का रास्ता देखना पड़ा। पार्थिव पटेल ने अपनी अपनी कप्तानी में गुजरात को पहली बार रणजी चैंपियन बनाया था। और एक बार फिर ये विकेटकीपर बल्लेबाज घरेलू क्रिकेट में पसीना बहा रहा है।