आईसीसी विश्वकप में दुर्भाग्य से बाहर रहने वाले भारतीय खिलाड़ी

India's Praveen Kumar (C) celebrates aft

क्रिकेट खेलने वाले प्रत्येक खिलाड़ी का सपना होता है अपने देश के लिए विश्वकप में खेलना। चार सालों में एक बार होने वाली इस प्रतियोगिता में सब अपना जौहर दिखाना चाहते हैं। खिलाड़ी विश्वकप में मैच जिताऊ प्रदर्शन कर रातों-रात स्टार बन जाते हैं। सचिन तेंदुलकर और इमरान खान जैसे खिलाड़ियों ने इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी को जीतने के लिए अपने करियर को लम्बा खींचा और अपने प्रदर्शन से टीम को विजेता बनने में मदद की। वहीं कुमार संगकारा और मुरलीधरन जैसे खिलाड़ी ऐसा करने में असफल रहे। कई खिलाड़ी ऐसे भी थे जिन्हें विश्वकप में खेलना का मौका ही नहीं मिला, वहीं कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है जिनके एक विश्वकप में मौका न मिलने से करियर बदल गया। अब हम उन्हीं भारतीय खिलाड़ियों की बात करेंगे, जो अन्य वजहों से इस प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं बन पाए। प्रवीण कुमार, 2011 विश्वकप विश्वकप शुरू होने के करीब 2 साल पहले से प्रवीण कुमार टीम के मुख्य सदस्य थे। ज़हीर खान के साथ मिलकर गेंदबाजी ने टीम को अच्छी शुरुआत दे रहे थे। विश्वकप में वो टीम के मुख्य हथियार भी थे। विश्वकप से 2 महीने पहले भारत की टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गयी थी जहाँ प्रवीण कुमार की कोहनी चोटिल हो गयी। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी ने उन्होंने काफी मेहनत की , फिर वो डॉ. एंड्रू वाल्लेंस के पास भी गये जिन्होंने सचिन तेंदुलकर की कोहनी का इलाज किया था, फिर भी कोई असर नहीं हुआ। प्रवीण मैच के लिए फिट नहीं हो पाए और घरेलू सरजमीं पर विश्वकप टीम का हिस्सा होने से चूक गये। उनकी जगह पर श्रीसंत को टीम में जगह मिल गयी और अंत में भारतीय टीम उस विश्वकप को जीतने में भी सफल रही।रोहित शर्मा, 2011 विश्वकप 2 रोहित शर्मा ने 2007 से 2009 तक टीम के लिए कई महत्वपूर्ण पारियां खेली थी, जिसमें उन्होंने 2008 में ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर सीबी सीरीज में कई जबरदस्त पारियां खेली है लेकिन 2009 के बाद से रोहित के प्रदर्शन में निरंतरता की काफी कमी रही। 2011 विश्वकप से पूर्व रोहित ने अपनी खेली 11 एकदिवसीय मैचों में सिर्फ 44 रन ही बनाये थे। जिस वजह से सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग, विराट कोहली, गौतम गंभीर और सुरेश रैना जैसे बल्लेबाजों के होते हुते उन्हें टीम में जगह मिलना मुमकीन नहीं था। बाद में बात हो रही थी कि रोहित को युवराज की जगह मौका मिल सकता था। जो उस समय फॉर्म में नहीं थे, लेकिन युवराज गेंदबाजी भी कर सकते थे इसलिए उन्हें टीम में मौका मिल गया। रोहित शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि विश्वकप की टीम में जगह ना मिलने से उनके अंदर और अच्छा करने की आग जलने लगी और विश्वकप के बाद से आज तक दिख भी रहा है।राहुल द्रविड़, 1996 विश्वकप 3 राहुल द्रविड़ भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक रहे हैं। 1996 विश्वकप में कुछ समय पहले ही द्रविड़ ने अपनना करियर शुरु किया था। उन्हें 20 संभावितों में तो जगह मिली लेकिन जब विश्वकप की टीम का ऐलान हुआ तो उसमे द्रविड़ का नाम नहीं था। एक बार द्रविड़ ने इस बारे में कहा था कि उन्हें खुद जगह मिलने की उम्मीद नहीं थी। उसके बाद वो अपने अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित हुए और रणजी खेलने चले गये, जहाँ वो कर्नाटक के टीम के कप्तान भी थे। राहुल द्रविड़ ने एक बार एक मैगजीन से 1996 विश्वकप के बारे में पूछे जाने पर कहा " मैं क्या करता? चिल्लाकर रोता? क्रिकेट छोड़ देता? उस समय मुझे रणजी ट्रॉफी में खेलने को मिल रहा था। जिसमें अच्छा प्रदर्शन कर मैं इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में जगह बना सकता था।"वीवीएस लक्ष्मण 2003 विश्वकप 4 वीवीएस लक्ष्मण भारत के सबसे अच्छे टेस्ट बल्लेबाज रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी भी विश्वकप में खेलने का मौका नहीं मिला। 2003 विश्वकप से पहले लक्ष्मण जबरदस्त खेल दिखा रहे थे और टीम में जगह मिलना पक्का दिख रहा था लेकिन दिनेश मोंगिया को उनकी जगह टीम में चुन लिया गया। बाद में कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी भूल थी। इस बारे में लक्ष्मण ने कहा था कि उनका ना चुना जाना दुर्भाग्यपूर्ण था और यह उनके लिए एक बड़ा झटका था। मैं विश्वकप की टीम में नहीं चुना गया यह मेरे करियर का सबसे बुरा पल था। टीम में 2004 में वापसी करने के बाद 6 महीनों में ही 5 शतक ठोक कर लक्ष्मण ने बीसीसीआई को एहसास करा दिया कि उन्हें विश्वकप की टीम में ना चुनकर कितनी बड़ी गलती की थी।

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