राहुल द्रविड़ भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक रहे हैं। 1996 विश्वकप में कुछ समय पहले ही द्रविड़ ने अपनना करियर शुरु किया था। उन्हें 20 संभावितों में तो जगह मिली लेकिन जब विश्वकप की टीम का ऐलान हुआ तो उसमे द्रविड़ का नाम नहीं था। एक बार द्रविड़ ने इस बारे में कहा था कि उन्हें खुद जगह मिलने की उम्मीद नहीं थी। उसके बाद वो अपने अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित हुए और रणजी खेलने चले गये, जहाँ वो कर्नाटक के टीम के कप्तान भी थे। राहुल द्रविड़ ने एक बार एक मैगजीन से 1996 विश्वकप के बारे में पूछे जाने पर कहा " मैं क्या करता? चिल्लाकर रोता? क्रिकेट छोड़ देता? उस समय मुझे रणजी ट्रॉफी में खेलने को मिल रहा था। जिसमें अच्छा प्रदर्शन कर मैं इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में जगह बना सकता था।"