दो महीने तक चले आईपीएल के बाद अब भारतीय टीम ज़िम्बाब्वे दौरे पर 11 जून से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सीरीज में भाग लेगी। भारतीय टीम में इस बार कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है। लेकिन धोनी के नेतृत्व में टीम में युवाओं को मौका दिया गया है। जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करेंगे। इससे पहले बीते साल भी भारतीय टीम में युवाओं को मौका दिया गया था। बीसीसीआई ने एक बार फिर वही नीति अपनाई है। टीम में वेस्टइंडीज के दौरे पर जाने वाले खिलाड़ियों में से ज्यादातर खिलाड़ियों को नहीं चुना है। एक बार फिर टीम की कप्तानी एमएस धोनी के हाथों में रहेगी। इसके आलावा टीम में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं है। जिसने 50 वनडे मैच खेला हो। धोनी के बाद इस टीम में सबसे ज़्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं अम्बाती रायडू जिन्होंने भारत के लिए 34 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं, जिसमें 31 वनडे और 3 टी-20 शामिल है। इस टीम में उन खिलाड़ियों को मौका दिया गया है, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में हाल ही में प्रभावित किया है। हालांकि कुछ खिलाड़ी टीम में जगह बनाने में नाकामयाब भी रहे। लेकिन उन घरेलू खिलाड़ियों के लिए ये चयन उन्हें अच्छा खेलने के लिए प्रोत्साहित करेगा। घरेलू स्तर पर प्रभावित करने वाले पिछले साल ज़िम्बाब्वे दौरे पर जाने वाले 4 खिलाड़ी ही इस बार टीम में शामिल किए गये हैं। रायडू, मनीष पाण्डेय, केदार जाधव, अक्षर पटेल और धवल कुलकर्णी में से चार खिलाड़ियों ने इस बार घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया है। जिन्हें इस पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर मौका मिल चुका है। आरसीबी के लिए इस सीजन में एक भी मैच न खेलने वाले मंदीप सिंह भी टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। इसके पीछे सिर्फ उनकी घरेलू स्तर पर फॉर्म की वजह रही है। उन्होंने विजय हजारे में ट्राफी में बेहतरीन खेल दिखाया था। मंदीप सिंह ने 7 मैचों में 65.66 के औसत और 88.73 के स्ट्राइक रेट से 394 रन बनाये थे। जाधव, फैज़ फज़ल और ऋषि धवन ने भी विजय हजारे में 300 से अधिक रन बनाये हैं। धवन ने तो 7 मैचों में 9 विकेट भी लिए थे। कुलकर्णी ने आईपीएल और सैय्यद मुश्ताक अली ट्राफी में भी प्रभावित किया था। कुल मिलाकर उन्होंने 33 विकेट लिए थे। जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल ने क्रमशः 21 और 19 विकेट लिए थे। बरिंदर सरन भले ही सनराइजर्स में भुवनेश्वर कुमार, मुस्ताफिजुर रहमान और आशीष नेहरा के रहते हुए चर्चित नहीं रहे हों लेकिन टीम में उन्हें भी मौका मिला है। सरन ने पंजाब के लिए विजय हजारे ट्राफी में 14 लिए थे। जयदेव उनादकट जिन्होंने अंतिम बार भारत के लिए 2013 में खेला था। उन्हें टीम में सैय्यद मुश्ताक अली ट्राफी में 6 मैचों में 11 विकेट लेने के लिए टीम में बुलाया गया है। करुण नायर ने रणजी सीजन 2015-16 में अपने डेब्यू मैच में नम्बर 4 पर बल्लेबाज़ी करते हुए शतक बनाया था। जयंत यादव ने घरेलू स्तर पर अच्छा खेल दिखाया साथ ही उन्होंने आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए अच्छा प्रदर्शन किया। भविष्य को ध्यान में रखा गया इस बार टीम चयन में घरेलू प्रदर्शन को ध्यान में रखा गया ही है साथ ही ये बात ख़ारिज किया गया है कि टीम चयन में आईपीएल का प्रदर्शन ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्रुणाल पांड्या ने आईपीएल में अपने खेल से प्रभावित किया था। साथ ही लोगों को लग रहा था कि वह राष्ट्रीय टीम में शामिल किए जा सकते हैं। हालाँकि इस युवा खिलाड़ी के लिए अपनी घरेलू टीम बड़ौदा के लिए अच्छा प्रदर्शन करके भविष्य में अपनी चुनौती पेश कर सकते हैं। युज़ुवेंद्र चहल ने अपनी निरंतरता से और धैर्य का परिचय देते हुए खुद को उदहारण के तौर पर पेश किया है। साल 2014 से चहल ने आरसीबी के लिए 42 मैचों में 56 विकेट लेकर खुद को साबित किया है। वह ज़िम्बाब्वे में अगर स्पिनरों को मदद करने वाली विकेट पर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे। यद्यपि ज़िम्बाब्वे को दुनिया की मजबूत टीमों में नहीं गिना जाता है। ऐसे में भारतीय युवा खिलाड़ियों के पास ये एक बेहतरीन मौका है। इससे अन्य घरेलू खिलाड़ियों को आने वाले सीजन में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी। घरेलू स्तर पर भारतीय क्रिकेट अच्छा नहीं रहा है दर्शक फाइनल मैच में ही जाना पसंद करते हैं। वह भी निर्भर करता है। ऐसे में चयनकर्ताओं ने घरेलू स्तर के प्रदर्शन के आधार पर टीम का चयन करके लोगों को घरेलू स्तर के क्रिकेट के बारे में सोचने और नए टैलेंट पर नजर रखने का काम किया है। ज़िम्बाब्वे में भारतीय टीम को 11 जून से 3 वनडे और 3 टी-20 मैच खेलने हैं। धोनी इस सीरीज को युवा खिलाड़ियों के भरोसे जीतने की कोशिश करेंगे। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि ये युवा खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव कैसे झेलते हैं। लेखक: डेविस जेम्स, अनुवादक: मनोज तिवारी