समय के स्कोरबोर्ड पर एक बार फिर कैलेंडर बदलने वाला है | सन 2018 ने तारीखों का बैटन अब 2019 को थमा दिया है | ठीक 365 रन के बाद स्ट्राइक साल 2020 के पास आ जाएगी | उसके बाद बैटिंग 2021 करेगा | 2021 के आते ही इस सदी का एक और दशक समाप्त हो जाएगा | और तब शुरू होगी क्रिकेट प्रेमी, दर्शकों, विश्लेषकों, कमेंटेटरों की माथापच्ची गुणा – गणित, बेहिसाब बहसें और तर्क-वितर्क कि बीते दशक के बेहतरीन, टेस्ट, वन डे, 20-20 कैसे चुना जाये | वास्तव में 2010-2020 दशक चाहे वह टेस्ट हो या फिर वन डे, या बीस - बीस का मुकाबला, इन मुकाबलों में दर्शकों को अनेकों बेहतरीन क्रिकेट मुकाबलें देखने को मिले है और मिलेंगे| यह दशक 3 विश्व कप मुकाबलों का भी साक्षी बनेगा, जिसमें दो सन 2011 और 2015 में ही खेले जा चुके है | अभी 2019 का विश्व कप होना शेष है जिसे इंग्लैंड में खेला जाना है |
सन 2000 की नई सदी में विश्व क्रिकेट में भी अनेकों बदलाव देखने को मिले | पहले टेस्ट क्रिकेट से वन डे क्रिकेट, फिर वन डे 20-20 का सफ़र | शुरू में टेस्ट की सफ़ेद जर्सी को एकदिवसीय क्रिकेट में भी रखा गया | फिर धीरे - धीरे जर्सी में रंग आने लगे और ब्लू रंग टीम इंडिया की पहचान बनी | बाद में भारतीय क्रिकेट टीम को "मेन इन ब्लू" के रूप में बुलाया जाने लगा | इस दशक (2010-2020) के कई रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह 2000-2010 में भी कई रोमांचकारी मैच खेले गए हैं , जिन्हें “नाईनटीज किड” ने अपने दिलो- दिमाग में बसा रखा है |
आइये उनमें से एक टेस्ट, एक वनडे और एक ऐसे टी20 अंतरराष्ट्रीय की बात करते हैं, जो सबसे ज्यादा फैंस की यादों में रहेगा:
टेस्ट मैच
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया (11- 15 मार्च, 2001, इडेन गार्डन, कोलकाता, भारत)
नई सदी की आगाज था | उन दिनों स्टीव वॉ की कप्तानी वाली ऑस्ट्रलियन टीम वैसा ही खेल रही थी, जैसे सत्तर के दशक में क्लाइव लॉयड की वेस्टइंडीज की टीम खेला करती थी | इधर कई झंझावतों से गुजरती हुई भारतीय टीम की कमान नए कप्तान सौरव गांगुली के हाथ में थी | पूरे आत्मविश्वास से लबालब ऑस्ट्रेलियन टीम ने लगातार 15 टेस्ट मैच जीत कर भारत की सर जमीन पर कदम रखा था | आते ही ऑस्ट्रेलिया ने पूरे आत्मविश्वास के साथ मुंबई में खेला गया पहला टेस्ट मैच 10 विकेट से जीत कर लगातार जीतने वाले टेस्ट मैचों की संख्या 16 कर ली थी | उसके बाद सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच, स्टेडियम इडेन गार्डन, जगह कोलकाता | ऑस्ट्रेलिया की एक बार फिर शानदर बैटिंग, 445 ऑस्ट्रेलिया ऑल आउट, भारत की तरफ से गेंदबाजी में भज्जी की हैट्रिक सहित 7 विकेट |
अब भारत की बैटिंग, कुल जमा 171 पर ऑल आउट, 59 रनों की पारी के साथ कुछ हद तक लक्ष्मण का संघर्ष | उधर मैक्ग्रा (4 विकेट) के नेतृत्व में ऑस्ट्रलियाई गेंदबाजों ने विकेट बांटे | भारत पर फॉलोऑन, दूसरी पारी में एस एस दास और एस रमेश ने सधी शुरुआत की, लेकिन आत्मविश्वास ने लबरेज वी वी एस लक्ष्मण ने 281 रन की पारी ने कलाइयों की जादू से सब कुछ बदल कर रख दिया | अगले छोर पर द्रविड़ की दीवार ने 180 रन के साथ उनका दिया | जिसने भी इन दोनों के बीच हुई उस 376 रन की साझेदारी को देखा होगा वह शायद कभी उस मैच को भूल पायेगा | बाद में भारत ने 657/7 पर दूसरी पारी समाप्त की थी | हरभजन के 6 विकेट ने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी 212 पर समेट कर भारत को 171 रन जीत दिला दिया | आगे ऑस्ट्रेलिया वह सीरीज भी हार गया | उसके बाद बाकी सब इतिहास है क्योंकि उस समय तक क्रिकेट की किताब में यह सिर्फ तीसरी बार हुआ था जब किसी टीम ने फॉलोऑन से पीछे रहते हुए मैच जीता हो |
वन डे मैच
भारत बनाम इंग्लैंड नैटवेस्ट सीरीज फाइनल (13 जुलाई 2002, लॉर्ड्स, लन्दन, इंग्लैंड)
सौरव गांगुली के नेतृत्व का वह दौर विश्व क्रिकेट में सहवाग, युवराज, कैफ, हरभजन, नेहरा, ज़हीर के उभार का दौर था | उसी दौरान सन 2002 की गर्मियों में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर थी | बरसों से क्रिकेट विश्लेषकों की वही धुन कि भारतीय टीम भारत में तो जीत जाती है परन्तु विदेश खास कर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में मात खा जाती है | ठीक इस दौरे से पहले इंग्लैंड के एंड्रू फ्लिंटॉफ ने इंग्लैंड के भारत दौरे पर मुंबई में मैच जीत अपने टी- शर्ट को हवा में लहरा दिया था | अब भारत इंग्लैंड में, नैटवेस्ट सीरीज का फाइनल, स्टेडियम क्रिकेट का मक्का लॉर्ड्स, स्थान लन्दन, इंग्लैंड | नासिर हुसैन की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ने मार्कस ट्रेस्कोथिक और नासिर हुसैन के शतक से स्कोरकार्ड पर 325 रन खड़े कर दिए | तब 275 से ज्यादा रन मैच जिताऊ माना जाता था | 326 रन का पीछा करते हुए भारत की तरफ से सहवाग और गांगुली ने पहले विकेट के लिए 15 ओवेरों से कम में ही शतकीय साझेदारी (106 रन) कर बल्लेबाजी में ठोस आगाज किया | लेकिन 25 ओवर आते – आते भारतीय टीम के आधे विकेट 150 से कम रनों में पवेलियन लौट गए | अब अगले 25 ओवर में भारत को जीत के लिए 175 से ज्यादा रन चाहिए थे |
उस मैच को याद करते हुए इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन स्काई क्रिकेट से बात करते हुए बताया कि हमने 150 से कम रन पर उनकी आधी टीम समेट दी थी | जिसमें सहवाग, सचिन, सौरव, द्रविड़ सरीखे बल्लेबाज थे | लेकिन पता नहीं उस दिन कैफ और युवराज ने क्या सोचा था | कैफ बैटिंग के लिए आते समय जब मेरे पास से गुजरे तो उन्हें देखकर मैंने अपनी टीम से कहा “कम ऑन लड़कों उन्होंने अपने बस का ड्राईवर भेज दिया है, अब हमें इस मैच को जीतने का मौका है |" आगे इसी मैच में भारत का अगला विकेट 267 रन युवराज (69 रन) 42वें ओवर में गिरा | उसके बाद कैफ (87 रन) ने नॉट आउट रहते हुए 50वें ओवर में भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी थी| नसीर हुसैन स्काई क्रिकेट को बताया कि मैच खत्म होने बाद उनके पास गुजरते हुए कैफ ने उनसे कहा था कि “वैसे यह किसी बस ड्राईवर के लिए बुरा नहीं था” | लेकिन इस मैच को उस समय के दर्शक कप्तान सौरव गांगुली के लिए ज्यादा याद करते हैं जिन्होंने क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स की बालकनी में मैच जीतने के बाद अपना टी शर्ट हवा में लहरा दिया था |
टी20 मैच
भारत बनाम पाक टी20 वर्ल्ड कप फाइनल (24 सितम्बर 2007, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका)
उस साल 2007 के 50 ओवर का विश्व कप खत्म हो चुका था | भारत के लिए यह एक भूलने वाली कहानी की तरह थी | वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्ड कप में टीम बांग्लादेश से हार पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी | राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी थी | कोई कप्तान बनने को तैयार नहीं था | आगे पहली बार खेले जाने वाले टी20 वर्ल्ड कप में टीम जानी थी | सीनियर खिलाडियों ने 20-20 खेलने से मना कर दिया था | तब तब के बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने तेंदुलकर के कहने पर महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाया | एक नया नायाब, नई टीम टी20 का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका में | इस टूर्नामेंट में भारत ने स्वर्णिम सफ़र करते हुए फाइनल में जगह बनाई | अब फाइनल का मुकाबला सामने चिर- प्रतिद्वंदी पाकिस्तान | भारत ने पहले बैटिंग की, गंभीर के 75 रनों की बदौलत टीम ने 158 का लक्ष्य रखा | पाकिस्तान 12 ओवर में 77/6, आगे मिस्बाह ने मोर्चा संभाला | स्कोर 16 ओवर में 104/7 विकेट, आगे यह रन बढ़ कर 18 ओवर में 138/8 हो गए |
अंतिम 2 ओवर और 20 रन, रोमांच चरम पर, उन दिनों भारत के तेज गेंदबाज रूद्र प्रताप सिंह की धूम थी, जिन्हें धोनी ने 19 वें ओवर की कमान सौंपी | उन्होंने कप्तान को सही साबित करते हुए मात्र 8 रन दिए | अब अंतिम ओवर, इस बार धोनी ने जोगिन्दर सिंह को गेंद थमाई | इस ओवर के दूसरे गेंद पर मिस्बाह ने जोगिन्दर की गेंद को हवा में खेलते हुए 6 रनों के लिए सीमा रेखा के पार पंहुचाया | 4 गेंद पर मात्र 6 रन, लगा जैसे कि हवा में खेले गए उस सिक्सर के साथ भारत की उम्मीदें भी हवा हो गई | एक फिर से जोगिन्दर रन अप पर इस बार मिस्बाह ने फाइन लेग के ऊपर से स्कूप खेलने का फैसला किया | एक बार फिर गेंद हवा में, लेकिन 30 गज के पास, श्रीसंत उसके नीचे, कोई गलती नहीं और एक आसान सा कैच | जोश, जश्न, उत्साह, आसमान में क्योंकि इस तरह भारत ने पहला 20-20 अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कप जीत लिया था | श्रीसंत का कैच, जोगिन्दर की गेंदबाजी और धोनी के नेतृत्व का पहला विश्व कप आज भी “नाईनटीज किड” के दिलोदिमाग में बसी हुई है |
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