भारत के वह टेस्ट, वनडे और टी20 मैच जो किसी 'नाइनटीज किड' को बरसों तक याद रहेंगे

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टी20 मैच

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भारत बनाम पाक टी20 वर्ल्ड कप फाइनल (24 सितम्बर 2007, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका)

उस साल 2007 के 50 ओवर का विश्व कप खत्म हो चुका था | भारत के लिए यह एक भूलने वाली कहानी की तरह थी | वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्ड कप में टीम बांग्लादेश से हार पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी | राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी थी | कोई कप्तान बनने को तैयार नहीं था | आगे पहली बार खेले जाने वाले टी20 वर्ल्ड कप में टीम जानी थी | सीनियर खिलाडियों ने 20-20 खेलने से मना कर दिया था | तब तब के बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने तेंदुलकर के कहने पर महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाया | एक नया नायाब, नई टीम टी20 का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका में | इस टूर्नामेंट में भारत ने स्वर्णिम सफ़र करते हुए फाइनल में जगह बनाई | अब फाइनल का मुकाबला सामने चिर- प्रतिद्वंदी पाकिस्तान | भारत ने पहले बैटिंग की, गंभीर के 75 रनों की बदौलत टीम ने 158 का लक्ष्य रखा | पाकिस्तान 12 ओवर में 77/6, आगे मिस्बाह ने मोर्चा संभाला | स्कोर 16 ओवर में 104/7 विकेट, आगे यह रन बढ़ कर 18 ओवर में 138/8 हो गए |

अंतिम 2 ओवर और 20 रन, रोमांच चरम पर, उन दिनों भारत के तेज गेंदबाज रूद्र प्रताप सिंह की धूम थी, जिन्हें धोनी ने 19 वें ओवर की कमान सौंपी | उन्होंने कप्तान को सही साबित करते हुए मात्र 8 रन दिए | अब अंतिम ओवर, इस बार धोनी ने जोगिन्दर सिंह को गेंद थमाई | इस ओवर के दूसरे गेंद पर मिस्बाह ने जोगिन्दर की गेंद को हवा में खेलते हुए 6 रनों के लिए सीमा रेखा के पार पंहुचाया | 4 गेंद पर मात्र 6 रन, लगा जैसे कि हवा में खेले गए उस सिक्सर के साथ भारत की उम्मीदें भी हवा हो गई | एक फिर से जोगिन्दर रन अप पर इस बार मिस्बाह ने फाइन लेग के ऊपर से स्कूप खेलने का फैसला किया | एक बार फिर गेंद हवा में, लेकिन 30 गज के पास, श्रीसंत उसके नीचे, कोई गलती नहीं और एक आसान सा कैच | जोश, जश्न, उत्साह, आसमान में क्योंकि इस तरह भारत ने पहला 20-20 अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कप जीत लिया था | श्रीसंत का कैच, जोगिन्दर की गेंदबाजी और धोनी के नेतृत्व का पहला विश्व कप आज भी “नाईनटीज किड” के दिलोदिमाग में बसी हुई है |

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