टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) के लिए जो भारतीय टीम (Indian Cricket Team) सेलेक्ट की गई है, वो काफी संतुलित नजर आ रही है। टीम में लगभग सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया है और सेलेक्टर्स ने उन्हीं खिलाड़ियों का चयन किया है जो पिछले कुछ समय से टी20 क्रिकेट खेलते हुए आ रहे थे। हर्षल पटेल और जसप्रीत बुमराह के आने से टीम का गेंदबाजी डिपार्टमेंट मजबूत हुआ है।
हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि टी20 वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई भारतीय टीम का मजबूत पक्ष और कमजोर पक्ष क्या है। किस डिपार्टमेंट में टीम काफी मजबूत है और कहां पर सुधार की गुंजाइश है।
भारतीय टीम का मजबूत पक्ष
विराट कोहली के फॉर्म में आने से बैटिंग हुई मजबूत
भारतीय टीम के मजबूत पक्ष की अगर बात करें तो बैटिंग टीम की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है। टीम के लिए सबसे बड़ी बात ये है कि विराट कोहली फॉर्म में आ गए हैं। अफगानिस्तान के खिलाफ एशिया कप में उन्होंने जिस तरह से शतक लगाया उससे पता लगता है कि वो अपने पूरे लय में आ चुके हैं। इससे भारत की बल्लेबाजी काफी खतरनाक हो गई है। वहीं रोहित शर्मा ने भी एशिया कप में अपना फॉर्म दिखाया था। इसके अलावा सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पांड्या भी काफी खतरनाक हो सकते हैं।
हर्षल पटेल और जसप्रीत बुमराह के आने से गेंदबाजी में बढ़ी ताकत
एशिया कप में जसप्रीत बुमराह की कमी भारतीय टीम को काफी खली थी। अब वो वापस आ गए हैं और इससे टीम की गेंदबाजी काफी मजबूत हो गई है। वहीं डेथ ओवर्स स्पेशलिस्ट हर्षल पटेल भी वापस आ गए हैं। अब भारत के पास डेथ ओवरों के लिए अर्शदीप सिंह, बुमराह और हर्षल पटेल के रूप में तीन स्पेशलिस्ट गेंदबाज आ गए हैं। ये टीम के लिए काफी अच्छा संकेत है।
भारतीय टीम का कमजोर पक्ष
स्पिन डिपार्टमेंट कर सकता है निराश
टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में रविचंद्रन अश्विन को चुना गया है और रवि बिश्नोई को दरकिनार कर दिया गया है। अश्विन काफी अनुभवी गेंदबाज हैं लेकिन उन्होंने हालिया समय में ज्यादा टी20 मैच खेले नहीं हैं और उनका रिकॉर्ड भी उतना अच्छा नहीं रहा है। वहीं रवि बिश्नोई एक अटैकिंग गेंदबाज हैं और वो विकेट लेने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा युजवेंद्र चहल भी उतने अच्छे फॉर्म में नहीं दिख रहे हैं। एशिया कप में उन्होंने काफी निराश किया था। इसी वजह से स्पिन में भारत को दिक्कतें आ सकती हैं। अगर बिश्नोई टीम में होते तो फिर एक बेहतर अटैक बनता। अश्विन का एप्रोच ज्यादातर डिफेंसिव ही रहता है।