चोटों के बाद उस मैच में वापसी कर रहे ज़हीर खान ने 7 ओवर की गेंदबाज़ी की थी लेकिन उन्हें कोई विकेट नहीं मिल पाया। हालाँकि उसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की और विश्वकप 2011 भारत की खिताबी जीत के नायक बने। उन्होंने 2015 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिया था। मुनाफ पटेल टीम के तीसरे सीमर मुनाफ उस समय भारतीय टीम के बेहद अहम खिलाड़ी थे। अगले कुछ वर्षों के लिए वह भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे और भारत की 2011 में विश्वकप जीत में उन्होंने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद वह 2013 तक खेले और उसके बाद से टीम इंडिया में वापसी नहीं कर पाए हैं। प्रज्ञान ओझा प्रज्ञान ओझा को भारत का सबसे उम्दा लेफ्ट आर्म ऑफ-स्पिनर माना जाता था। 24 टेस्ट मैचों में 113 विकेट होने के बावजूद भी, ओझा को उतना श्रेय नहीं मिला, जितने के वह हकदार थे। ओझा सीमित ओवर प्रारूप से ज़्यादा टेस्ट प्रारूप में भारतीय टीम का नियमित हिस्सा रहे। दुर्भाग्यवश, 2013 के बाद से इस 31 वर्षीय खिलाड़ी को भारतीय टीम से खेलने का मौका नहीं मिला है। सचिन तेंदुलकर का आखिरी टेस्ट ही ओझा का भी आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच था। लेखक: शंकर नारायण अनुवादक: आशीष कुमार