Radha yadav life journey: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार गेंदबाज राधा यादव आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और अथक प्रयास के दम पर क्रिकेट में अपनी एक अहम जगह बना ली है और फैंस बीच जाना-पहचाना नाम हैं। राधा महिला क्रिकेट की उभरती हुई स्टार हैं लेकिन क्रिकेट के मैदान तक का सफर उनके लिए आसान नहीं रहा है। हाल ही में उनका चयन अक्टूबर में यूएई में खेले जाने वाले महिला टी20 वर्ल्ड कप के लिए भी हुआ है।
राधा यादव आज भले ही सुकून का जीवन व्यतीत कर रही हैं लेकिन उनके जीवन की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा देने वाली है। इस लेख में हम आपको राधा यादव के जीवन के कुछ किस्सों के बारें में बताएंगे। कैसे उन्होंने अपना बचपन गुजारा और गरीबी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
क्रिकेट बैट खरीदने तक के पैसे नहीं थे
राधा यादव का जन्म साल 21 अप्रैल 2000 में हुआ था और वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के अजोशी गांव से हैं। उन्होंने शुरूआती पढ़ाई अपने गांव से पूरी की। इसके बाद राधा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा केएन इंटर कॉलेज बांकी से पास की। चार भाई-बहनों में राधा अपने घर में सबसे छोटी थी। राधा के पिता की मुंबई में छोटी सी किराने की दुकान थी, जिससे मुश्किल से ही घर का खर्च निकल पाता था। ऐसे में राधा के पास किट तो दूर बैट खरीदने के पैसे नहीं थे। तब वह लकड़ी को बैट बनाकर उससे प्रैक्टिस करती थीं। धीरे-धीरे राधा ने मुंबई में अपनी क्रिकेट की कोचिंग शुरू की।
राधा को बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद था। वह मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी। राधा को लड़कों के साथ क्रिकेट खेलता देख गली वाले उनका और परिवार का अपमान करते थे, कहते थे कि लड़की को इतनी छूट देना अच्छा नहीं होता है। मगर राधा के पिता ने कभी भी दुनिया की परवाह नहीं की। बेटी को खुलकर अपनी मर्जी से खेलने की हमेशा छूट दी।
2018 में मिला था पहली बार टीम इंडिया में मौका
राधा यादव के प्रदर्शन को को देखते हुए 2018 में टीम इंडिया में उन्हें राजेश्वरी गायकवाड़ की जगह दक्षिण अफ्रीका दौरा के लिए चुना गया था। दरअसल, राजेश्वरी मैच के दौरान चोटिल हो गईं थी, जिसकी वजह से उनकी जगह राधा को मौका मिला था। एक इंटरव्यू में इस स्पिन गेंदबाज ने बताया था कि उन्होंने कोच प्रफुल्ल नायक से प्रशिक्षण लिया है। 2015-16 के दौरान जब वे मुंबई से वडोदरा आए, तो वो भी मुंबई की टीम छोड़कर वडोदरा की टीम में चली गईं। वहां वडोदरा क्रिकेट एसोसिएशन के साथ जुड़ीं। अपनी पहली कमाई से राधा ने अपने पिता के लिए दुकान खरीदी थी। अब राधा चाहती हैं कि वो एक घर खरीदें, ताकि उसमें वो अपने पूरे परिवार के साथ आराम से रह सकें।