जवागल श्रीनाथ भारत के सबसे तेज और बेहतरीन गेंदबाजों में से एक थे। उन्हें तेजी से गेंद डालने और स्विंग कराने के लिए जाना जाता था।
2002 के चैंपियंस ट्रॉफी में उन्हे महज एक ही मैच खेलने का मौका मिला। जिसमें उन्होंने 8 ओवर में 55 रन दिए।
2003 वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। इसके बाद 2005 में लेशिंग वर्ल्ड इलेवन की तरफ से मैच खेला।
इसके बाद वो कुछ दिन तक कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेंट्री भी रहे। इस समय वो आईसीसी के मैच रेफरी हैं।
जय प्रकाश यादव
2002 की चैंपियंस ट्रॉफी की भारतीय टीम में जय प्रकाश यादव एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
करियर के शुरुआती दिनों में उन्हें ट्यूमर की बीमारी थी लेकिन इससे रिकवर होकर उन्होंने जल्द ही भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया।
जेपी यादव का अंतर्राष्ट्रीय करियर काफी छोटा रहा। उन्होंने भारतीय टीम के लिए महज 12 वनडे मैच खेले। लगभग एक दशक पहले उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया और अपनी फिटनेस पर काफी काम किया। उन्होंने खुद को पूरी तरह से बदल डाला।
2013 में उन्हे रेलवे का चीफ सेलेक्टर बनाया गया। इस समय वो टीम के मुख्य कोच हैं।
आशीष नेहरा
आशीष नेहरा भारत के उन क्रिकेटरों में से हैं जिन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी। उन्होंने ये साबित किया कि उम्र कोई मायने नहीं रखती। युवराज सिंह और हरभजन सिंह के अलावा 2002 चैंपियंस ट्रॉफी के सदस्यों में नेहरा भी अभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं।
2002 की चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने 3 मैच खेले और 2 विकेट चटकाए। 2003 वर्ल्ड कप में वो भारतीय टीम का अहम हिस्सा थे।
37 साल की उम्र में भी वो इस समय भारतीय टी-20 टीम का अहम हिस्सा हैं। उन्होंने अपना आखिरी टी-20 मैच इस साल फरवरी में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। दुर्भाग्यवश आईपीएल के दौरान वो चोटिल हो गए।
वीवीएस लक्ष्मण
वीवीएस लक्ष्मण भारत के महान टेस्ट बल्लेबाजों में से एक थे। मध्यक्रम में वो भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ थे। वो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के महान बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं।
राहुल द्रविड़ की ही तरह वीवीएस लक्ष्मण का भी वनडे करियर उतना प्रभावशाली नहीं रहा।
2002 की चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने 2 मैचों में 26 रन बनाए। 2012 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ वीवीएस फाउंडेशन नाम से एक फाउंडेशन खोला। इस फाउंडेशन में उन बच्चों को शिक्षा मुहैया कराई जाती है जो कि सक्षम नहीं हैं।
वो इस समय क्रिकेट एनालिस्ट हैं और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटोर हैं।
लेखक- राजदीप पुरी
अनुवादक- सावन गुप्ता