वर्ल्डकप 2003 की भारतीय टीम: जानें अब कहाँ सभी खिलाड़ी?

साल 2002 में ऐतिहासिक नेटवेस्ट सीरिज में इंग्लैंड को फाइनल में हराने के बाद नई भारतीय टीम का उदय हुआ था। साल 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्डकप में सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारत फाइनल में पहुंचा जहां ऑस्ट्रेलिया से टीम हार गयी। लेकिन गांगुली के रणबांकुरों का प्रदर्शन शानदार था। उस 15 सदस्यीय टीम में से मौजूदा समय में 4 खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में एक्टिव हैं। इस लेख में हम उन खिलाड़ियों के बारे में बतायेंगे कि अब वह कहाँ हैं: सचिन तेंदुलकर सचिन तेंदुलकर जिन्हें क्रिकेट का भगवान माना जाता है। साल 2003 के वर्ल्डकप में वह मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुने गये थे। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छोड़कर सचिन का प्रदर्शन सभी मैचों में शानदार रहा था। सचिन ने 11 पारियों में 61 से ज्यादा के औसत और 6 अर्धशतक और 1 शतक की मदद से 673 रन बनाये थे। 2003 के वर्ल्डकप के बाद सचिन भारत के लिए सभी प्रारूप में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बने उन्होंने टेस्ट और वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन ने 100 शतक बनाने का रिकॉर्ड भी बनाया। साथ ही साल 2011 के वर्ल्डकप में सचिन दूसरे ऐसे बल्लेबाज़ बने जिन्होंने सबसे ज्यादा रन बनाये। मौजूदा समय में आईपीएल में वह मुंबई इंडियंस के मेंटर हैं। वीरेंदर सहवाग वीरेंदर सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्डकप में अपनी क्षमता के हिसाब अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। 2002 में वह भारतीय टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज़ खेलने लगे थे। लेकिन वर्ल्डकप में 11 मैचों में उन्होंने 27 से ज्यादा के औसत से 299 रन बनाये थे। ये वर्ल्डकप ही था जिसके बाद सहवाग भारत के लिए लगातार सलामी बल्लेबाज़ी करने लगे और वह 2011 वर्ल्डकप तक भारतीय टीम के अभिन्न अंग बन गये थे। सचिन के साथ उनकी जुगलबंदी कमाल की रही। टेस्ट में वह एक मात्र भारतीय हैं, जिनके नाम 2 तिहरे शतक हैं। मौजूदा समय में वह ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं। इसके अलावा आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब के क्रिकेट ऑपरेशन और स्ट्रेटेजी के हेड हैं। सौरव गांगुली गांगुली को दादा के नाम से भारतीय क्रिकेट में जाना जाता है। धोनी के बाद वह भारत के महान कप्तानों में शुमार हैं। वर्ल्डकप में खेलने से पहले उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने कई बड़े मुकाबले जीते थे। जिसमें 2002 की नेटवेस्ट ट्राफी भी शामिल है। साथ ही 2001 में ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट विजय रथ को भी गांगुली ने रोका था। टूर्नामेंट में दादा ने 58 के औसत से 478 रन बनाये थे। गांगुली ने भारत की कप्तानी 2005 तक की। जिसके बाद राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के कप्तान बने थे। जिनकी कप्तानी में साल 2007 के वर्ल्डकप में टीम खेली थी। साल 2008 में गांगुली ने संन्यास ले लिया था। लेकिन आईपीएल में वह कई साल तक खेलते रहे। मौजूदा समय में वह कैब के अध्यक्ष हैं और इंडियन सुपर लीग में उन्होंने एटलेटिको डी कोलकाता नाम की टीम खरीद रखी है। मोहम्मद कैफ मोहम्मद कैफ भारत के बेहतरीन फील्डरों में से एक हैं। उन्होंने बेहद कम उम्र में टीम में जगह बनाई। वर्ल्डकप से पहले कैफ का प्रदर्शन काफी अच्छा था। लेकिन वर्ल्डकप में उन्होंने 11 मैचों में 20 के औसत से मात्र 182 रन बनाये थे। कैफ की खराब फॉर्म की वजह से उनका करियर अच्छा नहीं रहा और उन्हें टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा। मौजूदा समय में वह छत्तीसगढ़ टीम के कप्तान हैं। राहुल द्रविड़ राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में से एक हैं। हालांकि द्रविड़ सचिन और गांगुली की चर्चा में साए की तरह ही रहे हैं। जबकि द्रविड़ ने 10 हजार से ज्यादा रन बनाये हैं। साल 2003 के वर्ल्डकप में द्रविड़ ने 62 के औसत से 10 पारियों में 318 रन बनाये थे। द्रविड़ वनडे के बजाय टेस्ट में ज्यादा सफल बल्लेबाज़ रहे हैं। साल 2007 के विश्वकप में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन रहा था। लेकिन उसके बाद भी उन्होंने भारतीय क्रिकेट की सेवा की। मौजूदा समय में द्रविड़ अंडर 19 और भारत ए टीम के कोच हैं। द्रविड़ के दिशा निर्देश में साल 2016 के अंडर-19 वर्ल्डकप में भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी। युवराज सिंह 15 सदस्यीय भारतीय टीम में से युवराज सिंह ही एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो वनडे टीम का अंग हैं। युवराज सिंह ने खुद भारतीय टीम में स्थापित किया हुआ है। 2003 के वर्ल्डकप में युवराज ने 10 पारियों में 34 के औसत से 240 रन बनाये थे। साल 2003 वर्ल्डकप के बाद युवराज ने भारतीय टीम को टी-20 वर्ल्डकप 2007 और वनडे वर्ल्डकप 2011 में चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2013 के बाद युवराज सिंह ने हाल ही में भारतीय वनडे टीम में वापसी की है। जहां इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने शतकीय पारी खेलते हुए सीरिज में कुल मिलाकर 210 रन बनाये हैं। कटक वनडे में 150 रन की पारी उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी रही है। दिनेश मोंगिया दिनेश मोंगिया साल 2003 वर्ल्डकप में भारतीय टीम में शामिल थे। उन्होंने विश्वकप से पहले शानदार खेल दिखाया था। हालांकि वह टूर्नामेंट में बुरी तरह असफल साबित हुए थे। उन्होंने 6 पारियों में 20 के औसत से 120 रन बनाये थे। हालांकि उन्हें 5 विकेट भी मिले थे। खराब फॉर्म की वजह से मोंगिया वर्ल्डकप के बाद भारतीय टीम से बाहर हो गये थे। उन्होंने अपना आखिरी वनडे 2007 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। उसके बाद बागी आईसीएल में वह खेले जहां उनपर फिक्सिंग का भी दंश लगा। मौजूदा समय में वह एक क्रिकेट अकादमी में कोच हैं। इसके अलावा वह कबाब में हड्डी नामक फिल्म में अमिताभ बच्चन की पैरोडी करते हुए नजर आये थे। हरभजन सिंह उन चार एक्टिव क्रिकेटरों में से एक हरभजन सिंह भी हैं। भज्जी भारत के महान स्पिन गेंदबाजों में से एक हैं। जिनके नाम 417 टेस्ट विकेट दर्ज हैं। 2003 के वर्ल्ड कप में भज्जी ने 9 मैचों में 11 विकेट लिए थे। उनका औसत 30 का रहा था। फाइनल में हरभजन एकमात्र भारतीय गेंदबाज़ थे जिन्हें विकेट मिला था। भारतीय टीम की सफलता में हरभजन का काफी योगदान रहा है। साल 2007 के टी-20 वर्ल्डकप में और वनडे वर्ल्ड कप 2011 में भी भज्जी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। मौजूदा समय में आर अश्विन और जडेजा के शानदार प्रदर्शन की वजह से भज्जी को टीम से बाहर बैठना पड़ रहा है। आईपीएल में वह मुंबई इंडियंस से जुड़े हुए हैं। ज़हीर खान भारत के बेहतरीन तेज गेंदबाजों में से एक ज़हीर खान ने लम्बे समय तक भारतीय तेज गेंदबाज़ी की जिम्मेदारी संभाली है। साल 2003 के विश्वकप में ज़हीर खान भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। साल 2011 के वर्ल्डकप में जहीर भारतीय टीम के अगुवा गेंदबाज़ थे। उन्होंने शाहिद आफरीदी के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। लेकिन चोट ने जहीर को खूब परेशान किया। जिसकी वजह से उन्होंने साल 2015 में संन्यास ले लिया। मौजूदा समय में वह बतौर कमेंटेटर क्रिकेट से जुड़े हैं। जवागल श्रीनाथ ज़हीर खान से पहले जवागल श्रीनाथ ने भारतीय टीम की तेज गेंदबाज़ी की जिम्मेवारी लम्बे समय तक निभाई थी। करियर के शुरू में श्रीनाथ ने वेंकटेश प्रसाद के साथ और बाद में जहीर खान के साथ टीम के लिए योगदान दिया, साल 2003 के विश्वकप में ज़हीर के बाद श्रीनाथ भारत के दूसरे सबसे सफल गेंदबाज़ थे। 11 मैचों में उन्हें 16 विकेट मिले थे। साल 2003 विश्वकप के बाद श्रीनाथ ने संन्यास ले लिया। श्रीनाथ उसके बाद लाशिंग वर्ल्ड 11 के लिए थे। श्रीनाथ ने कमेन्ट्री के अलावा कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव भी रहे हैं। मौजूदा समय में वह आईसीसी के मैच रेफरी हैं। आशीष नेहरा आशीष नेहरा उन चार एक्टिव खिलाड़ियों में से एक हैं। जिन्होंने उम्र को धता बताते हुए भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया है। मौजूदा समय में वह टी-20 टीम के अहम सदस्य हैं। ज़हीर के साथ लम्बे समय तक नेहरा ने गेंदबाज़ी की ज़िम्मेदारी संभाली है। उन्होंने भारत को कई मैच जितवाए हैं। साल 2003 के वर्ल्डकप में वह भारत के तीसरे सबसे सफल गेंदबाज़ थे। उन्हें 9 मैचों में 15 विकी मिले थे। 14 साल के क्रिकेट करियर में नेहरा भारतीय टीम से अंदर बाहर होते रहे हैं। लेकिन 37 उम्र में वह टी-20 टीम में भारतीय टीम के अहम सदस्य हैं। साल 2016 के टी-20 वर्ल्डकप में भारत की सफलता में उनका खासा योगदान रहा था। अनिल कुंबले अनिल कुंबले भारत के अबतक के सबसे सफल गेंदबाज़ हैं। उनके नाम 619 टेस्ट विकेट है। उनसे आगे मुरलीधरन और वार्न हैं। साल 2003 के विश्वकप में कुंबले सिर्फ 3 ही मैच खेले थे। जहां उन्हें 5 विकेट मिले थे। कुंबले ने वर्ल्डकप के बाद भारतीय क्रिकेट की सेवा की और साल 2007 में वह टेस्ट टीम के कप्तान भी बनाये गये। साल 2008 उन्होंने संन्यास लिया। उसके बाद भी वह आईपीएल में सक्रीय रहे। मौजूदा समय में वह भारतीय टीम के मुख्य कोच हैं। अजित अगरकर भारतीय टीम के 2003 में सफल अभियान के चलते अजित अगरकर को भी टीम में जगह नहीं मिली थी। अगरकर ने भारतीय टीम की सफलता में काफी योगदान दिया है उनका नाम लॉर्ड्स पर शतक लगाने में भी दर्ज है, जो उन्होंने 2002 में लगाया था। 2003 के से बाद भी वह काफी प्रभावी गेंदबाज थे। लेकिन साल 2007 के वर्ल्डकप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के चलते अगरकर की भी टीम इंडिया से छुट्टी हो गयी। मौजूदा दौर में वह गोल्फ में हाथ आजमा रहे हैं। पार्थिव पटेल 17 वर्षीय विशेषज्ञ विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर पार्थिव पटेल भारतीय टीम में शामिल किये गये थे। लेकिन राहुल द्रविड़ के कीपिंग संभालने की वजह से वह एक भी मैच नहीं खेल पाए थे। साल 2002 में वह भारत के सबसे युवा विकेटकीपर बने थे। जब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया था। पार्थिव का करियर धोनी के आने के बाद खत्म सा हो गया। साल 2004 में धोनी ने भारतीय टीम में प्रवेश किया बाकी तो सब इतिहास बन गया। हाल ही में पटेल ने टेस्ट टीम में वापसी की है। जब साहा चोटिल हुए थे। इसके अलावा उन्होंने गुजरात को अपनी कप्तानी में रणजी का खिताब जिताया है। संजय बांगर संजय बांगर अगरकर और पार्थिव के बाद तीसरे ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका 2003 के वर्ल्डकप में नहीं मिला था। साल 2002 में हेडिंग्ले में भारत की जीत अहम भूमिका निभाने के लिए संजय बांगर याद किये जाते हैं। साल 2013 में बांगर ने सभी फॉर्मेट में संन्यास ले लिया था। जिसके बाद साल 2014 में वह भारतीय टीम के बल्लेबाज़ी कोच के रूप में काम कर रहे हैं।