भारत का रिकॉर्ड विदेशी धरती पर अच्छा नहीं रहा है। 1932 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाली टीम इंडिया को विदेशी सरज़मीं पर पहली जीत क़रीब 4 दशकों के बाद 1968 में हासिल हुई थी। हालांकि उसके बाद भारत लगातार विदेशों में जीत दर्ज करता आ रहा है, और अपने प्रदर्शन से प्रभावित कर रहा है। भारत ने वेस्टइंडीज़ को उन्हीं के घर में 2-0 से हराते हुए एक मैच पहले ही सीरीज़ पर कब्ज़ा भी जमा लिया है। अब कोहली एंड कंपनी किसी भी टीम को उन्हीं के घर में चारो ख़ाने चित करने के लिए तैयार हैं। सेंट लूसिया में मेज़बान टीम को 237 रनों से शिकस्त देने वाली टीम इंडिया के लिए ये सबसे बड़ी जीतो में से एक है। एक नज़र भारत से बाहर रनों के लिहाज़ से 5 सबसे बड़ी जीत पर: # 235 रन, vs श्रीलंका, कोलंबो (1993) श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्हीं के घर में टीम इंडिया की ये पहली जीत थी। इस जीत के नायक थे मनोज प्रभाकर, जिन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से कमाल का प्रदर्शन करते हुए भारत को जीत दिलाने अहम रोल अदा किया था। प्रभाकर ने मैच में 6 विकेट झटके थे और फिर दूसरी पारी में 95 रन भी बनाए थे। दाएं हाथ के इस तेज़ गेंदबाज़ ने 5 गेंदो में दो विकेट लेकर मैच भारत की ओर मोड़ दिया था। नवजोत सिंह सिद्धू के लिए भी ये टेस्ट यादगार रहा था, जहां उन्होंने पहली पारी में 82 और दूसरी पारी में 104 रनों की पारी खेली थी। भारत ने पहली पारी में 366 रन बनाए थे और फिर दूसरी पारी 359 रनों पर घोषित करते हुए, मेज़बान टीम को 472 रनों का लक्ष्य दिया था। जिसके बाद प्रभाकर और अनिल कुंबले की घातक गेंदबाज़ी की बदौलत भारत ने श्रीलंका को 236 रनों पर ऑलआउट करते हुए 235 रनों से मुक़ाबला अपने नाम किया था। #4 237 रन, vs वेस्टइंडीज़, सेंट लूसिया (2016) सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल की हुई भारतीय क्रिकेट टीम ने सेंट लूसिया टेस्ट में आर अशविन और ऋद्धिमान साहा के शतक और भुवनेश्वर कुमार की क़हर बरपाती गेंदबाज़ी की बदौलत मेज़बानों को हराकर सीरीज़ पर कब्ज़ा जमा लिया। 126 पर 5 विकेट गिर जाने के बाद साहा और अश्विन ने 213 रनों की साझेदारी करते हुए भारत को 350 रनों के पार पहुंचा दिया था। और फिर भुवनेश्वर कुमार के एक सेशन में लिए गए पांच विकेट की बदौलत वेस्टइंडीज़ पर बढ़त बनाई। फिर कोहली ने दूसरी पारी जल्द घोषित करते हुए वेस्टइंडीज़ के सामने 346 रनो का लक्ष्य दिया, जिसके जवाब में मेज़बान टीम 108 रनों पर ढेर हो गई और भारत ने मुक़ाबला 237 रनों से अपने नाम कर लिया। #3 272, vs, न्यूज़ीलैंड, इडेन पार्क (1968) बारिश से बाधित इस मैच में न्यूज़ीलैंड ने भारत को पहले बल्लेबाज़ी का न्योता दिया था। भारत ने पहली पारी में 252 रन बनाए, जिसके जवाब में कीवि टीम 140 रनों पर ही ऑलआउट हो गई। इसके बाद भारत ने रूसी सुर्ती के 99 और चंदू बोर्डे के 65 रनों की हदौलत न्यूज़ीलैंड के सामने जीत के लिए 374 रनों का लक्ष्य रखा था। लेकिन न्यूज़ीलैंड भारतीय फिरकी गेंदबाज़ों के सामने 101 रनों पर ढेर हो गई। इ प्रसन्ना ने 4 शिकार किए और भारत की 272 रनों की जीत में अहम योगदान दिया। #2 278, vs, श्रीलंका, पी सारा ओवल (2015) के एल राहुल का ये चौथा टेस्ट था, जहां उन्होंने अपने करियर का दूसरा शतक लगाते हुए भारत का स्कोर पहली पारी में 393 रनों तक पहुंचा दिया था। श्रीलंकाई कप्तान एंजेलो मैथ्यूज़ ने शतक लगाते हुए शानदार जवाब दिया, लेकिन भारतीय टीम को 87 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त मिल गई थी। भारत ने दूसरी पारी में अजिंक्य रहाणे के शतक और मुरली विजय की शानदार पारी की बदौलत 325 रन बनाकर पारी घोषित कर दी थी, और मेज़बान टीम के सामने जीत के लिए 413 रनों का लक्ष्य रखा था। इसके बाद आर अश्विन और अमित मिश्रा की स्पिन जोड़ी ने श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों को ख़ूब नचाया और भारत को 278 रनों की विशाल जीत दिला दी। विराट कोहली की बतौर कप्तान ये पहली जीत थी। कुमार संगकारा का भी ये आख़िरी मैच था। #1 279 रन, vs, इंग्लैंड, लीड्स (1986) इयान बॉथम और डेविड गोवर के बिना खेलते हुए इंग्लैंड टीम ने इस मैच के लिए 37 वर्षीय जॉल लीवर को वापस टीम में शामिल किया था, जबकि विकेटकीपर ब्रूस फ़ेंच का ये डेब्यू मैच था। इंग्लिश टीम ने इस मैच में भारतीय टीम को दबाव में नहीं लाया और रनो के लिहाज़ से अब तक की ये सबसे बड़ी जीत भारत को मिल गई। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारत ने पहली पारी में 272 रन ही बनाए थे, जिसमें दिलिप वेंगसरकर के 61 रन शामिल थे। चेतन शर्मा को चोट लग गई थी, लिहाज़ा नई गेंद मदद लाल ने कपिल देव के साथ साझा की। रॉजर बिन्नी इस मैच में सबसे ज़्यादा असरदार रहे थे, जिन्होंने पांच शिकार करते हुए इंग्लिश टीम को 101 रनों पर ही ढेर कर दिया था। दूसरी पारी में लीवर ने भारतीय बल्लेबाज़ों को अपनी गेंदबाज़ी से ख़ूब परेशान किया था। लेकिन दिलिप वेंगसरकर एक छोर से जमकर बल्लेबाज़ी करते रहे और शानदार शतक लगा डाला था। वेंगसरकर 102 रनों पर नाबाद रहे, और भारत ने दूसरी पारी में 237 रन बनाते हुए अंग्रेज़ों के सामने जीत के लिए 408 रनों का लक्ष्य रखा था। जिसके जवाब में इंग्लिश टीम भारतीय गेंदबाज़ों के सामने ताश के पत्तों की तरह ढेर हो गई। नई गेंद से कपिल देव और रॉजर बिन्नी ने इंग्लिश टीम की कमर तोड़ डाली थी और फिर निचले क्रम को मनिदंर सिंह ने अपनी फिरकी के जाल में फंसा लिया। इंग्लैंड 128 रनों पर ढेर हो गया और भारत ने 279 रनों से मुक़ाबला जीत लिया, भारतीय क्रिकेट इतिहास में अब तक रनों के लिहाज़ से ये विदेशी धरती पर ये सबसे बड़ी जीत है।