धोनी युग के अंत के बाद अब वनडे क्रिकेट में भारत को कई सवालों के जवाब ढूंढने हैं

465155-rohit-dhawan-odis-700

सीमित ओवरों के क्रिकेट से धोनी के रिटायरमेंट के बाद भारतीय क्रिकेट में विराट कोहली ही सबसे बड़ा नाम हैं। जो टेस्ट क्रिकेट के बाद अब सीमित ओवरों में भी टीम इंडिया के कप्तान की जिम्मेदारी उठाएंगे। ये जरूर कहा जा सकता है कि धोनी के कप्तानी छोड़ने से साथ ही भारतीय क्रिकेट में एक शानदार युग का अंत भी हो गया है। हांलाकि विराट कोहली के लिए धोनी की इस विरासत को आगे बरकरार रखना बहुत बड़ी चुनौती है। पिछले डेढ़ साल में भारतीय वनडे टीम ने कई उतार–चढ़ाव देखे और ऐसा पहली बार हुआ है। जब टेस्ट टीम वनडे टीम से ज्यादा मजबूत हुई है। 2015 वर्ल्ड कप के बाद से वनडे टीम के प्रदर्शन में गिरावट आई है। वर्ल्ड कप के बाद अगर जिम्बाब्वे सीरीज को छोड़ दिया जाए, तो टीम इंडिया बांग्लादेश से वनडे सीरीज 1-2 से हारी, दक्षिण अफ्रीका से वनडे सीरीज 2-3 से सीरीज हारी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-4 से शिकस्त का सामना किया और न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में 3-2 से जीत दर्ज की। जबकि टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया का प्रदर्शन वनडे से काफी बेहतर रहा है। बल्ले के साथ -साथ विराट ने कप्तानी में भी अपना लोहा मनवाया है। विराट की कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट में नंबर 1 बनीं और उनकी इसी शानदार कप्तानी का नतीजा है कि वनडे क्रिकेट की कप्तानी के लिए भी विराट का नाम पहले से ही सुर्खियों में बना हुआ था। अब कप्तान कोहली और कोच अनिल कुबंले को मिलकर उन खामियों को दूर करना है। जिनसे इस वक्त वनडे टीम गुजर रही है। अब जबकि 2019 वर्ल्ड कप के लिए सिर्फ 2 साल का समय बचा है, ऐसे में टीम इंडिया को अभी से इसके लिए अपने महारथी तैयार करने होंगे। जो 2019 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड में जीत का डंका बजाएंगे। आइए एक नजर डालते हैं उन खिलाड़ियों पर जो 2019 में होने वाले वर्ल्ड कप में टीम का हिस्सा हो सकते हैं और साथ ही आपको बताएंगे कि हैं 2015 वर्ल्ड कप के बाद से इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा है। ओपनर्स रोहित शर्मा - वर्ल्ड कप के बाद रोहित शर्मा ने 18 वनडे मैचों में 53 की औसत से रन बनाए हैं। जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 96 का रहा है। रोहित शर्मा विराट कोहली के बाद सबसे कंसीस्टेंट भारतीय बल्लेबाज हैं। साथ ही आईपीएल में बतौर कप्तान भी रोहित ने अपनी काबिलियत से सभी को प्रभावित किया था। ऐसे में रोहित शर्मा को सीमित ओवरों के खेल में टीम इंडिया के उपकप्तान बनाए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया सकता। शिखर धवन – सफेद जर्सी में शिखर धवन का प्रदर्शन फीका ही रहा है। लेकिन वो वर्ल्ड कप 2015 में टीम इंडिया की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे हैं और वर्ल्ड कप के बाद भी वनडे क्रिकेट में शिखर ने अपनी शानदार फॉर्म को बरकरार रखा। वर्ल्ड कप के बाद से शिखर ने 44 की औसत से रन बनाए हैं। जबकि उनका स्ट्राइक रेट 92 का रहा है। अपने इस दमदार प्रदर्शन के बाद ओपनिंग स्लॉट में अच्छा खासा कॉम्पिटिशन होने के बाद भी शिखर ने बतौर ओपनर वनडे टीम में अपनी जगह पक्की की है। 2011 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के लिए जो भूमिका गौतम गंभीर ने निभाई थी। वही रोल शिखर धवन ने 2015 वर्ल्ड कप में अदा किया था। शिखर टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाजों में कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ खड़े होते हैं। के एल राहुल – पिछले एक डेढ़ साल में टेस्ट क्रिकेट से अपने प्रदर्शन से के.एल. राहुल सभी का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे हैं। इतना ही नहीं राहुल वनडे टीम में भी ओपनिंग स्लॉट के दावेदारों में शुमार हैं। जबिक के एल राहुल ने अभीतक सिर्फ 1 वनडे सीरीज खेली है। वो भी जिम्बाब्वे के खिलाफ। के एल राहुल ने पिछले साल वेस्टइंडीज के खिलाफ टी 20 मैच में शतकीय पारी खेली थी। लिहाजा राहुल लोअर मिडिल ऑर्डर में भी टीम इंडिया के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। अजिंक्य रहाणे – इस फॉर्मेट में रहाणे अभीतक अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाए हैं। 2015 वर्ल्ड कप के बाद रहाणे के प्रदर्शन पर नजर डालें तो उन्होंने उसके बाद से 38 की मामूली सी औसत से रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 83 का रहा है। अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या रहाणे विराट कोहली की वनडे टीम में कैसे फिट बैठते हैं। रोहित शर्मा के चोटिल होने के बाद ये भी देखने वाली बात होगी कि कोहली इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में ओपनर का रोल किसे देंगे। न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में अजिंक्य रहाणे का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। जिसे देखते हुए कोहली इस समय शिखर धवन और लोकेश राहुल को ओपनर के तौर पर उतार सकते हैं। अपर मिडिल ऑर्डर ; नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने आते हैं खुद कप्तान विराट कोहली। जो इस समय वनडे क्रिकेट में विश्व के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं। वर्ल्ड कप के बाद वनडे क्रिकेट में विराट का औसत 65 का है। जबिक 95 के स्ट्राइक रेट से उन्होंने रन बटोरें हैं। अब नंबर 4 पर बल्लेबाजी पर कौन आएगा इसके लिए भी काफी माथापच्ची होती है लेकिन अब कप्तानी छोड़ने के बाद हो सकता है धोनी नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए उतरें। न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में धोनी ने साफ कहा था कि अब वो बैटिंग पोजीशन में ज्यादा बदलाव नहीं करेंगे और अब धोनी के ऊपर से कप्तानी का दबाव भी हट गया है। ऐसे में वो खुलकर बल्लेबाजी कर सकेंगे और साथ ही टॉप ऑर्डर और लोअर मिडिल के साथ मिलकर अच्छी साझेदारियां भी बनाएंगे। वर्ल्ड कप के बाद 18 पारियों में धोनी के बल्ले से सिर्फ 36 की औसत से ही रन निकले हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 14 का रहा है। हालांकि धोनी की विकेटकीपिंग का तो अभी भी कोई सानी नहीं है। कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी के क्रिकेट करियर में भी अब नए युग की शुरूआत हुई है। जिसके बाद बतौर बल्लेबाज धोनी की इस दूसरी पारी पर क्रिकेट पंडितों की पैनी नजर होगी। लोअर मिडिल ऑर्डर Yuvi_Pandey-580x395 2015 वर्ल्ड कप हो या फिर उसके बाद खेली गई वनडे सीरीज लोअर मिडिल में टीम इंडिया की परेशानियां हमेशा जस की तस रही। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज 1-4 से गंवाई लेकिन टॉप ऑर्डर के अच्छे प्रदर्शन के बाद अगर लोअर ऑर्डर भी उनका साथ निभाता हो शायद नतीजा ऐसा बिल्कुल ना होता। 2007 से 2011 के बीच भारतीय टीम को जो कामयाबी हासिल हुई है, उसमें लोअर मिडिल ऑर्डर में युवराज सिंह, एम एस धोनी और सुरेश रैना का अहम योगदान रहा है। युवराज और रैना ने लोअर मिडिल ऑर्डर में टीम को स्थिरता दी, तो वहीं धोनी भी अपनी मैच फिनिशर की भूमिका को अच्छे से निभाते रहे। अब लोअर मिडिल ऑर्डर में भी टीम इंडिया के पास अच्छे दावेदार मौजूद हैं। जिनमें मनीष पांडे, युवराज सिंह, करूण नायर और हार्दिक पांड्या शामिल हैं। जिस तरह इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए चयनकर्ता युवराज सिंह वापस लेकर आए हैं। उसे देखकर लगता है कि टीम मैनेजमेंट ने लोअर मिडिल ऑर्डर में जिम्मेदारी उठाने के लिए अनुभवी बल्लेबाज पर भरोसा जताया है। मनीष पांडे, केदार जाधव, करूण नायर और हार्दिक पांड्या अभी इंटरनेशनल क्रिकेट में नए हैं। अभी उन्हें टीम में अपनी जगह पक्की करने में समय लगेगा। ऐसे में विराट और कुंबले को प्लेइंग इलेवन लिहाज से खिलाड़ियों को तैयार करना होगा। इन खिलाड़ियों के अलावा लोअर मिडिल ऑर्डर में अजिंक्य रहाणे और लोकेश राहुल भी फिट बैठते हैं। इस समय मनीष पांडे नंबर 5 पर फिट बैठते हैं। हालांकि न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में मनीष का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। लेकिन बावजूद इसके उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका दिया जा सकता है। नंबर 6 पर युवराज सिंह टीम इंडिया के सबसे अनुभवी और सर्वश्रेष्ठ मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज हैं। इस साल रणजी सीजन में युवराज सिंह ने 84 की औसत से 672 रन बनाए हैं। लिहाजा युवी की कोशिश होगी कि वो यही फॉर्म अंग्रेजों के खिलाफ भी बरकरार रखें और टीम में अपनी जगह फिर से पक्की करें। केदार जाधव भी इस पोजीशन पर बेहद कंसीस्टेंट रहे हैं और युवराज और जाधव के टीम में होने का मतलब है कि आपके के पास एक एक्सट्रा गेंदबाज का विकल्प रहता है। नंबर 7 पर हार्दिक पांड्या फिट बैठते हैं क्योंकि अब 2019 वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी इंग्लैंड में खेली जानी है। इस लिहाज से हार्दिक टीम इंडिया में एकलौते तेज गेंदबाज ऑलरांउडर हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में टीम इंडिया के लिए हार्दिक ने गेंदबाजी की शुरूआत की थी। जिससे ये पता चलता है कि टीम इंडिया को उनकी क्षमता पर कितना भरोसा है साथ ही हार्दिक से बॉलिंग की शुरूआत करवाकर टीम मैनेजमेंट भविष्य के लिए विकल्प भी ढूंढ रही है। स्पिनर्स 50184600 टीम इंडिया के सबसे बड़े स्पिनर हैं आर अश्विन। हालांकि उन्होंने हाल फिलहाल में ज्यादा वनडे मैचों में हिस्सा नहीं लिया लेकिन स्पिन डिपार्टमेंट की कमान आर अश्विन के ही हाथों में होगी। इंग्लैंड में 2013 में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में रवींद्र जडेजा सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज बने थे। फिलहाल जडेजा आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर 2 पर काबिज हैं और अपने पार्टनर अश्विन के साथ उनकी भी यही कोशिश होगी कि वो अपनी टेस्ट की फॉर्म को वनडे में भी बरकरार रखें। इतना ही नहीं भारत के रिजर्व स्पिनर्स की क्षमता को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। जिनमें अक्षर पटेल, जयंत यादव और अमित मिश्रा जैसे धाकड़ स्पनिर्स शामिल हैं। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में जयंत यादव ने बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रदर्शन कर कप्तान कोहली का भरोसा जीता है। अक्षर पटेल भारत के इकलौते गेंदबाज हैं, जो आईसीसी वनडे रैंकिंग में टॉप -10 में शामिल हैं। लेकिन अक्षर को वनडे में शामिल नहीं किया गया है और आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के बाद अमित मिश्रा तीसरे स्पिनर हैं। आर अश्विन और रवींद्र जडेजा समय पड़ने पर बल्ले से कमाल दिखाते हैं। ऐसे में प्लेइंग इलेवन में नंबर 7 और नंबर 8 पर इनकी जगह पक्की है, क्योंकि अगर आपके पास 8वें नंबर तक बल्लेबाज होंगे, तो आप आने वाले टूर्नामेंट में एक और विशेषज्ञ तेज गेंदबाज खिला सकते हैं। इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पिछली दोनों सीरीज में भारत इसी रणनीति के साथ उतरा था। जहां 2013 में इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया चैंपियन बनी थी। जबकि 2014 में हुई वनडे सीरीज में मेन इन ब्लूज ने 3-1 से शानदार जीत दर्ज की थी। इस सीरीज में आर अश्विन और जडेजा ने मिलकर टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट चटकाए थे। तेज गेंदबाज jasprit-bumrah एक टीम की प्लेइंग इलेवन तभी मजबूत बनती है, जब उसके पास अव्वल दर्जे के तेज गेंदबाज हों। तेज गेंदबाजी डिपार्टमेंट में प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह बनाने के सबसे बड़े दावेदार हैं मोहम्मद शमी, उमेश यादव और जसप्रीत बुमराह। मोहम्मद शमी और उमेश यादव ने टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित किया है। वहीं 2015 वर्ल्ड कप में भी भारत के अच्छे प्रदर्शन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। मोहम्मद शमी और उमेश यादव वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की सूची में टॉप-5 में शामिल थे और दोनों ही गेंदबाजों ने अपनी इस फॉर्म को टी 20 और टेस्ट क्रिकेट में भी बरकरार रखा। यॉर्कर किंग जसप्रीत बुमराह को 2016 में भारत की सबसे बड़ी खोज भी कहा जा सकता है। बुमराह ने 2016 में खेले 8 वनडे मैचों 14 की औसत से 17 विकेट चटकाए। जबकि इस दौरान बुमराह ने सिर्फ 3.6 की इकोनोमी रेट से रन खर्च किए। 2019 वर्ल्ड कप इंग्लैंड के तेज विकेटों पर होना है ऐसे में भुवनेश्वर कुमार भी टीम इंडिया के लिए तुरूप का इक्का साबित हो सकते हैं। भुवी की गेंद को दोनों ओर से स्विंग करने की काबिलियत इंग्लैंड के तेज ट्रैक पर टीम इंडिया के लिए कारगर साबित हो सकती है। इसके अलावा ईशांत शर्मा और धवल कुलकर्णी भी तेज गेंदबाजों की फेहरिस्त में शामिल हैं। जबकि पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत ने बरिंदर सरन और ऋषि धवन को भी आजमाया था। जाहिर है तेज गेंदबाजी डिपार्टमेंट में भी कप्तान कोहली और कोच कुंबले के पास काफी विकल्प हैं। लिहाजा अगले वर्ल्ड कप से पहले दोनों के पास काफी समय है ये सोचने और समझने के लिए, कि कौन 3-4 गेंदबाज उनके फ्रंट लाइन गेंदबाज होंगे और किन गेंदबाजों को वो रोटेट करेंगे। कुल मिलाकर टीम इंडिया के पास लगभग 20 खिलाड़ियों का पूल हैं। जिनमें से कोहली को अपनी बेस्ट प्लेइंग इलेवन तैयार करनी है। अब भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी से पहले सिर्फ इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज खलेनी है। कप्तान कोहली को इसी सीरीज में अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर कड़ी नजर रखनी होगी ताकि वो खिलाड़ियों का चुनाव ठीक तरह से कर सकें। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में दमदार प्रदर्शन का मतलब होगा कि चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ 4 जून को बर्मिंघम में होने वनडे मैच के लिए टीम में अपनी जगह पक्की करना।