वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले का इंतजार दुनिया के हर क्रिकेट प्रेमी को रहता है। पाकिस्तान कभी भी वर्ल्ड कप में भारत को हरा नहीं पाया है। चाहे टी-20 का वर्ल्ड कप हो या फिर 50 ओवरों का हर मैच में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को धूल चटाई है। 50 ओवरों के विश्व कप में भारतीय टीम अब तक पाकिस्तान को 6 दफा हरा चुकी है, जबकि टी-20 वर्ल्ड कप में भी 4 दफा भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी है। हर बार विश्वकप में भारत और पाकिस्तान के बीच हाईवोल्टेज मुकाबला हुआ है और हर दफा बाजी भारतीय टीम ने मारी। ऐसा ही मुकाबला 1996 के वर्ल्ड कप में देखने को मिला, जहां बैंगलोर में हुए क्ववार्टर फाइनल मैच में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को पटखनी दी। वो मैच आज भी क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में ताजा है। उस मैच के कई यादगार लम्हे आज भी फैंस को रोमांचित कर देते हैं। चाहे वो आखिरी के ओवरों में अजय जडेजा की तूफानी पारी हो या फिर वेंकटेश प्रसाद और आमिर सोहेल के बीच मैदान पर हुई तनातनी हो। मोहम्मद अजहरुद्दीन उस समय भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 287 रनों का मजबूत स्कोर खड़ा किया। जवाब में पाकिस्तान ने भी अच्छी शुरुआत की और एक समय टीम का स्कोर 10 ओवरों में बिना किसी नुकसान के 84 रन था। सबको लगा पाकिस्तानी टीम आसानी से मैच जीत जाएगी। लेकिन वेंकटेश प्रसाद और आमिर सोहेल के बीच हुए एक कंपटीशन से पूरे मैच का रुख बदल गया। वेंकटेश ने आमिर सोहेल को आउट करके भारतीय टीम को पहली सफलता दिलाई। इसके बाद पाकिस्तानी टीम कभी संभल नहीं पाई और पूरी टीम 49 ओवरों में 248 रनों पर ऑलआउट हो गई। इस तरह से एक और वर्ल्ड कप मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया। उस समय भारतीय टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी थे। जिनमें से कुछ क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं उन्हीं 11 खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने 1996 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को हराया था। वे खिलाड़ी अब क्या कर रहे हैं ? 1. नवजोत सिंह सिद्धू नवजोत सिंह सिद्धू ने उस मैच में काफी अच्छी बल्लेबाजी की थी। उन्होंने 115 गेंदों पर 93 रनों की पारी खेलकर मजबूत स्कोर की नींव रखी थी। उनकी इस पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ द् मैच भी मिला था। उस मैच में दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से सभी को काफी उम्मीदें थीं कि वो टीम को अच्छी शुरुआत दिलाएंगे। सचिन पूरे टूर्नामेंट में अच्छी बल्लेबाजी करते आ रहे थे और सबको उम्मीद कि वो पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में भी टीम को अच्छी शुरुआत देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं सचिन तेंदुलकर जल्द आउट हो गए, लेकिन दूसरे छोड़ पर नवजोत सिंह सिद्धू खड़े रहे और एक अच्छी पारी खेली। 1999 में सिद्धू ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया और विभिन्न चैनलों में क्रिकेट कमेंटरी और मैच एनालिसिस करने लगे। उस जमाने में जिस तरह वो अपने लंबे-लंबे छक्कों के लिए मशहूर थे, ठीक उसी तरह वो आज क्रिकेट कमेंटरी में भी अपने अलग अंदाज के लिए मशहूर हैं। वहीं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से भी वो जुड़े हैं। कई रियलिटी शोज को वो जज कर चुके हैं। इस समय वो मशहूर कॉमेडी शो द् कपिल शर्मा शो का हिस्सा हैं। इसके अलावा सिक्सर किंग सिद्धू राजनीति में भी सक्रिय हैं। इस समय वो कांग्रेस पार्टी में हैं। 2004 से 2014 तक वो अमृतसर सीट से बीजेपी सांसद भी रह चुके हैं। 2. सचिन तेंदुलकर उस समय मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की उम्र 22 साल थी। पूरे टूर्नामेंट वो शानदार प्रदर्शन करते आ रहे थे। पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले 127 नाबाद, 70, 90, 137 और 3 रन बना चुके थे। उस समय वो शानदार फॉर्म में थे और सभी को उम्मीद थी कि पाकिस्तान के खिलाफ हाईवोल्टेज मुकाबले में भी अच्छा रन बनायेंगे। सभी को उम्मीद थी कि सचिन खतरनाक पाकिस्तानी गेंदबाजी का डटकर सामना करेंगे लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका और तेंदुलकर 59 गेंदों पर महज 31 रन बनाकर आउट हो गए। 90 रन के स्कोर पर भारतीय टीम को सचिन तेंदुलकर के रुप में पहला झटका लगा। जिस समय सचिन तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया उस समय तक क्रिकेट के लगभग सभी रिकॉर्ड उनके नाम थे। 1996 का वर्ल्ड कप भारतीय टीम नहीं जीत सकी। सेमीफाइनल में उसे श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सचिन को वर्ल्ड कप जीतने के लिए 2011 तक का इंतजार करना पड़ा जब महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने फाइनल मुकाबले में उसी श्रीलंकाई टीम को हराकर वर्ल्ड कप पर कब्जा किया जिससे 1996 में हारकर भारतीय टीम बाहर हुई थी। 2011 का वर्ल्ड कप फाइनल मुंबई के मशहूर वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। ये सचिन तेंदुलकर का होम ग्राउंड भी है। जिससे सचिन के लिए वर्ल्ड कप की जीत और स्पेशल हो गई। क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारत के सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें राज्यसभा सदस्य के लिए भी मनोनीत किया गया। इस समय वो आईपीएल में मुंबई इंडियंस के 'आईकॉन' हैं। सचिन इसके अलावा इंडियन सुपर लीग में 'केरल ब्लास्टर्स' टीम के सहमालिक भी हैं। 3. संजय मांजरेकर मांजेरकर उस मैच में सचिन तेंदुलकर का विकेट गिरने के बाद क्रीज पर आए लेकिन 43 गेंदों पर महज 20 रन ही बना पाए। उस मैच में उनका स्ट्राइक रेट सबसे कम था और 138 रनों पर जब उनका विकेट गिरा तो भारतीय टीम मुश्किल में आ गई। मांजेरकर तकनीकी रुप से काफी अच्छे बल्लेबाज थे। लेकिन शायद उम्मीदों का बोझ उन पर बहुत ज्यादा था जिसकी वजह से उनका क्रिकेट करियर उतना अच्छा नहीं रहा। मांजेरकर के नाम टेस्ट में भी और वनडे में भी 2000 रन हैं। हालांकि भले ही मांजेरकर क्रिकेट में भले ही उतने सफल नहीं रहे हों लेकिन क्रिकेट कमेंट्री में उनका सिक्का खूब चला। मांजरेकर को क्रिकेट की समझ काफी अच्छी है। पोस्ट मैच एनालिसिस हो या फिर प्री मैच एनालिसिस मांजेरकर का कोई जवाब नहीं। 4. मोहम्मद अजहरुद्दीन 1996 के वर्ल्ड कप में मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय टीम के कप्तान थे। 2 विकेट गिरने के बाद वो क्रीज पर आए और 22 गेंदों पर 27 रनों की पारी खेली। जब भारतीय टीम का स्कोर 200 रन पहुंचा तब वकार यूनुस ने उन्हें आउट कर भारतीय टीम को तगड़ा झटका दिया। अजहरुद्दीन भारत के सबसे सफल क्रिकेटरों में से एक थे लेकिन उनका क्रिकेट करियर विवादों से घिरा रहा। उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा जिसकी वजह से उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया। साल 2012 में उनके ऊपर से प्रतिबंध हटा लिया गया। हाल ही में उनके जीवन के ऊपर बनी एक फिल्म भी रिलीज हुई जिसका नाम 'अजहर' था। अजहर राजनीति से भी जुड़े रहे और कांग्रेस के टिकट से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। 5. विनोद कांबली मुश्ताक अहमद की गेंद पर क्लीन बोल्ड होने से पहले विनोद कांबली ने 26 गेंदों पर 24 रन बनाए। सेमीफाइनल मुकाबले में जब भारत की टीम श्रीलंका से हारी तो कांबली की आंखों में आंसू थे और वहीं से उनका करियर गिरता चला गया। कांबली के बारे में कहा जा सकता है कि जितना टैलेंट उनके पास था उतना भारतीय क्रिकेट सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाई। कांबली उस वक्त क्रिकेट जगत में मशहूर हुए जब स्कूल के दिनों में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ उन्होंने 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। उनसे काफी उम्मीद की गई और टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले वो पहले भारतीय बल्लेबाज बने। महज 14 पारियों में उन्होंने 1000 रन बना दिए। लेकिन एक बार जब उनका फॉर्म खराब हुआ तब भारतीय टीम से वो बाहर हो गए। लेकिन वो बल्लेबाज काफी अच्छे थे, यहां तक कि जब उन्होंने अपनी आखिरी टेस्ट पारी खेली तब भी उनका औसत 54 का था। 1996 के वर्ल्ड कप में उनके फॉर्म ने उनका साथ देना छोड़ दिया उसके बाद से वो कभी वापसी नहीं कर पाए। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और राजनीति में भी किस्मत आजमाई लेकिन वो सफल नहीं रहे। क्रिकेट एनालिस्ट के तौर पर भी उनका करियर ज्यादा नहीं चला। 6. अजय जडेजा अजय जडेजा ने उस हाईवोल्टेज मुकाबले में मैच जिताऊ और शायद अपने करियर की सबसे अच्छी पारी खेली थी। निचले क्रम में आकर उन्होंने 25 गेंदों पर ताबड़तोड़ 45 रन बनाए जिसकी वजह से भारतीय टीम 287 रनों का विशाल स्कोर खड़ा करने में सफल रही। उनके उस पारी की सबसे खास बात ये थी कि 40 रन अकेले उन्होंने पाकिस्तान के सबसे दिग्गज तेज गेंदबाज वकार यूनिस के ओवर में बनाए थे। जडेजा ने यूनिस के 48वें और 50वें ओवर में जमकर धुनाई की और 40 रन इन्हीं दो ओवर में बना दिए। इस एक पारी से जडेजा रातोंरात भारतीय क्रिकेट के पोस्टर ब्वॉय बन गए। अपनी इस पारी में उन्होंने 4 चौके और 2 छक्के लगाए। जडेजा की यही पारी मैच में निर्णायक साबित हुई। उन्होंने उस वक्त के दुनिया के सबसे अच्छे तेज गेंदबाज वकार यूनिस की गेंदों पर जमकर रन बनाए और बैंगलोर के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में बैठे भारतीय दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। जडेजा अपनी फील्डिंग और मैच फिनिशिंग पारी के लिए काफी मशहूर थे। लेकिन अजहरुद्दीन की ही तरह उनका क्रिकेट करियर भी मैच फिक्सिंग की वजह से ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया। उनके ऊपर भी बैन लगा दिया गया, हालांकि 2003 में बैन हटा लिया गया। क्रिकेट के बाद जडेजा ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की और रियलिटी शो का भी हिस्सा रहे। 2009 में एक फिल्म में उन्होंने विनोद कांबली के साथ एक्टिंग की। उन्हें दिल्ली की टीम का कोच भी बनाया गया लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अभी वो क्रिकेट कमेंटेटर और मैच एनालिस्ट के तौर पर क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। 7. नयन मोंगिया विकेटकीपर बल्लेबाज नयन मोंगिया उस मैच में सिर्फ 3 रन ही बना सके और रन आउट हो गए। पाकिस्तानी टीम की बल्लेबाजी के दौरान उन्होंने वी राजू की गेंद पर राशिद लतीफ को स्टंप आउट भी किया। किरण मोरे के संन्यास लेने के बाद नयन मोंगिया ने विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका को बखूबी अदा किया। क्रिकेट के सभी प्रारुपों को मिलाकर उनके नाम 3000 अंतर्राष्ट्रीय रन हैं। वहीं विकेट के पीछे भी उनका प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा। मोंगिया के नाम एक पारी में सबसे ज्यादा 8 विकेट लेने का रिकॉर्ड है। उन्होंने ये कारनामा 2 बार किया। मैच फिक्सिंग से जिन खिलाड़ियों का क्रिकेट करियर बर्बाद हुआ उनमें से एक नयन मोंगिया भी थे। मैच फिक्सिंग विवाद की वजह से उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया जिससे उनके क्रिकेट पर काफी असर हुआ। 2004 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वो थाइलैंड की मेन और अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच नियुक्त किए गए। अभी मोंगिया टेलीविजन पर क्रिकेट एक्सपर्ट हैं। 8. अनिल कुंबले भारतीय टीम के वर्तमान कोच और पूर्व दिग्गज लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने उस मैच में काफी शानदार गेंदबाजी की थी और 10 ओवरों में 48 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे। वहीं भारतीय बल्लेबाजी के दौरान आखिर के ओवरों में उन्होंने कुछ अच्छे शॉट्स लगाकर भारतीय टीम का कुल स्कोर 287 तक पहुंचाने में मदद की। अनिल कुंबले के नाम टेस्ट क्रिकेट में 619 विकेट हैं जबकि वनडे मैच में उन्होंने 337 शिकार किए। भारत की तरफ से वो सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं वहीं दुनिया में वो तीसरे नंबर पर हैं। अपने करियर के आखिर में उन्होंने भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी भी की। 2008 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके बाद कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन का उन्हें प्रेसीडेंट नियुक्त किया गया। 2012 में उन्हें आईसीसी क्रिकेट कमेटी का चेयरमैन भी बनाया गया। आईपीएल में उन्होंने RCB और मुंबई इंडियंस के मेंटोर के रुप में काम किया। इस समय कुंबले भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच हैं। 9. जवागल श्रीनाथ पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ उस मैच में काफी महंगे साबित हुए थे और 9 ओवरों में 61 रन देकर मात्र 1 ही विकेट ले सके थे। लेकिन एक विकेट जो उन्होंने लिया था वो काफी अहम था और वो विकेट था सईद अनवर का। सईद अनवर काफी अच्छे फॉर्म में दिख रहे थे लेकिन जवागल श्रीनाथ ने उनका विकेट चटकाकर भारतीय टीम की राह और आसान कर दी। वहीं भारतीय पारी के आखिर में उन्होंने बल्ले से भी उपयोगी पारी खेली। श्रीनाथ एक समय भारत के सबसे तेज गेंदबाज थे।कहा जाता है कि जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में उन्होंने 157 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की। अपने करियर के ज्यादातर समय तक वो भारत के मुख्य तेज गेंदबाज रहे। वनडे क्रिकेट में 300 विकेट लेने वाले वो अकेले भारतीय तेज गेंदबाज हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक क्रिकेट कमेंट्री भी की। 2010 में उन्होंने कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव भी लड़ा जिसमें वो केएससीए के सचिव चुने गए। इस समय वो आईसीसी के मैच रेफरी हैं। 10. वेंकटेश प्रसाद वेंकटेश प्रसाद ने उस मैच में 10 ओवरों में 45 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे। सही मायनों में मैच का रुख भारतीय टीम की तरफ उन्होंने ही मोड़ा जब खतरनाक दिख रहे आमिर सोहेल को आउट कर उन्होंने भारतीय टीम को पहली सफलता दिलाई। उस पहले उनके और आमिर सोहेल के बीच स्लेजिंग भी हुई थी। सोहेल ने वेंकटेश प्रसाद की गेंद पर चौका लगाकर उनकी स्लेजिंग की और बल्ले से उनको बाउंड्री की तरफ इशारा किया कि अगली गेंद भी वो उसी दिशा में मारेंगे। लेकिन अगली ही गेंद पर वेंकटेश ने आमिर सोहेल को करारा जवाब दिया। उन्होंने अगली गेंद पर आमिर सोहेल को क्लीन बोल्ड कर ईंट का जवाब पत्थर से दिया। इसके बाद से मैच का रुख पलट गया और भारतीय टीम पाकिस्तान पर हावी हो गई और अंत में जीत हासिल की। जवागल श्रीनाथ के साथ उनकी जोड़ी काफी खतरनाक रही। क्रिकेट के सभी प्रारुपों को मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनके नाम 300 विकेट हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कई टीमों की कोचिंग की। 2006 में वो भारतीय अंडर-19 टीम के कोच बने। 2007 वर्ल्ड कप में भारत के पहले ही दौर से बाहर हो जाने के बाद उन्हें भारतीय टीम का गेंदबाजी कोच नियुक्त किया गया। इस वक्त वो आईपीएल में आरसीबी के गेंदबाजी कोच हैं। 11. वेंकटपति राजू उस मैच में वेंकटपति राजू ने 10 ओवरों में 46 रन देकर 1 विकेट लिया था। उन्होंने पाकिस्तानी विकेटकीपर बल्लेबाज राशिद लतीफ को स्टंप आउट करवाया था। उनका क्रिकेट करियर उतना अच्छा नहीं रहा। इस मैच के कुछ महीने बाद उन्होंने 1996 में ही अपना आखिरी वनडे मैच खेला। अपने छोटे से क्रिकेट करियर में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 93 जबकि वनडे क्रिकेट में 63 विकेट चटकाए। हालांकि 2004 तक वो हैदराबाद के लिए क्रिकेट खेलते रहे। राजू हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं। वहीं 2007 से 2008 के दौरान साउथ जोन से वो भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता भी रहे। वहीं वो ओडिशा क्रिकेट टीम के भी कोच रहे। एशियन क्रिकेट काउंसिल में डेवलपमेंट ऑफिसर के तौर पर उन्होंने थाइलैंड और यूएई जैसी एसोसिएट टीमों की काफी मदद की। लेखक- अक्षय पाई अनुवादक-सावन गुप्ता