उस समय मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की उम्र 22 साल थी। पूरे टूर्नामेंट वो शानदार प्रदर्शन करते आ रहे थे। पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले 127 नाबाद, 70, 90, 137 और 3 रन बना चुके थे। उस समय वो शानदार फॉर्म में थे और सभी को उम्मीद थी कि पाकिस्तान के खिलाफ हाईवोल्टेज मुकाबले में भी अच्छा रन बनायेंगे। सभी को उम्मीद थी कि सचिन खतरनाक पाकिस्तानी गेंदबाजी का डटकर सामना करेंगे लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका और तेंदुलकर 59 गेंदों पर महज 31 रन बनाकर आउट हो गए। 90 रन के स्कोर पर भारतीय टीम को सचिन तेंदुलकर के रुप में पहला झटका लगा। जिस समय सचिन तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया उस समय तक क्रिकेट के लगभग सभी रिकॉर्ड उनके नाम थे। 1996 का वर्ल्ड कप भारतीय टीम नहीं जीत सकी। सेमीफाइनल में उसे श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सचिन को वर्ल्ड कप जीतने के लिए 2011 तक का इंतजार करना पड़ा जब महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने फाइनल मुकाबले में उसी श्रीलंकाई टीम को हराकर वर्ल्ड कप पर कब्जा किया जिससे 1996 में हारकर भारतीय टीम बाहर हुई थी। 2011 का वर्ल्ड कप फाइनल मुंबई के मशहूर वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। ये सचिन तेंदुलकर का होम ग्राउंड भी है। जिससे सचिन के लिए वर्ल्ड कप की जीत और स्पेशल हो गई। क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारत के सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें राज्यसभा सदस्य के लिए भी मनोनीत किया गया। इस समय वो आईपीएल में मुंबई इंडियंस के 'आईकॉन' हैं। सचिन इसके अलावा इंडियन सुपर लीग में 'केरल ब्लास्टर्स' टीम के सहमालिक भी हैं।