मुश्ताक अहमद की गेंद पर क्लीन बोल्ड होने से पहले विनोद कांबली ने 26 गेंदों पर 24 रन बनाए। सेमीफाइनल मुकाबले में जब भारत की टीम श्रीलंका से हारी तो कांबली की आंखों में आंसू थे और वहीं से उनका करियर गिरता चला गया। कांबली के बारे में कहा जा सकता है कि जितना टैलेंट उनके पास था उतना भारतीय क्रिकेट सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाई। कांबली उस वक्त क्रिकेट जगत में मशहूर हुए जब स्कूल के दिनों में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ उन्होंने 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। उनसे काफी उम्मीद की गई और टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले वो पहले भारतीय बल्लेबाज बने। महज 14 पारियों में उन्होंने 1000 रन बना दिए। लेकिन एक बार जब उनका फॉर्म खराब हुआ तब भारतीय टीम से वो बाहर हो गए। लेकिन वो बल्लेबाज काफी अच्छे थे, यहां तक कि जब उन्होंने अपनी आखिरी टेस्ट पारी खेली तब भी उनका औसत 54 का था। 1996 के वर्ल्ड कप में उनके फॉर्म ने उनका साथ देना छोड़ दिया उसके बाद से वो कभी वापसी नहीं कर पाए। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और राजनीति में भी किस्मत आजमाई लेकिन वो सफल नहीं रहे। क्रिकेट एनालिस्ट के तौर पर भी उनका करियर ज्यादा नहीं चला।