आकाश चोपड़ा उस समय भारतीय क्रिकेट में कई शानदार सलामी बल्लेबाज आए। ये बल्लेबाज हर मुश्किल परिस्थिति और दबाव में बल्लेबाजी करने में सक्षम थे। नई बाल को खेलने में ये बल्लेबाज माहिर थे। इन्हीं बल्लेबाजों में से एक थे आकाश चोपड़ा। टीम में जगह बनाने के लिए आकाश चोपड़ा को काफी मेहनत करना पड़ा। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जब टेस्ट सीरीज में उनको जगह मिली तो वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। आकाश चोपड़ा किसी भी मैच में दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू सके। शायद इसी वजह से एक मैच में तो युवराज सिंह को ओपनिंग के लिए भेजा गया। आकाश चोपड़ा ने बैंगलोर और नागपुर में खेले गए मैच में 0, 5, 9 और 1 रन बनाए। बैंगलोर का मैच भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से उनका आखिरी मैच था। गौतम गंभीर दिल्ली के बल्लेबाज गौत गंभीर ने इसी टेस्ट सीरीज में अपना टेस्ट डेब्यू किया था। हालांकि अपने डेब्यू मैच में वो सफल नहीं रहे। मुंबई में खेले गए अपने डेब्यू मैच में गंभीर मात्र 3 और 1 रन ही बना सके थे। लेकिन अगले दौरे पर साउथ अफ्रीका के खिलाफ 96 रनों की पारी खेलकर उन्होंने बता दिया कि उनके अंदर टैलेंट की कोई कमी नहीं है। वीरेंद्र सहवाग वीरेंद्र सहवाग एक विस्फोटक बल्लेबाज के तौर पर टीम में जगह बना चुके थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट मैच में ही शतक जड़कर उन्होंने शानदार तरीके से अपने क्रिकेट करियर का आगाज किया। उनकी बल्लेबाजी को देखते हुए कप्तान सौरव गांगुली ने उन्हें ओपनिंग करने के लिए कहा। ये फैसला सहवाग के करियर में मील का पत्थर साबित हुआ। इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में वीरेंद्र सहवाग सबसे विस्फोटक बल्लेबाज बन गए। 2004 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत का दौरा किया तब सहवाग ने काफी रन बनाए। चेन्नई टेस्ट में सहवाग ने 155 रनों की पारी खेली। मुंबई टेस्ट में पहली बार सहवाग और गंभीर को जोड़ी ओपनिंग करने के लिए उतरी। इसके बाद इस जोड़ी ने कई मैचों में भारतीय टीम के जीत की बुनियाद रखी।