राहुल द्रविड़ भारत की उस वक्त के मध्यक्रम में दुनिया के बेस्ट बल्लेबाज थे। शायद ये भारत की अब तक की सबसे अच्छी मध्यक्रम की बल्लेबाजी थी। सचिन, गांगुली और लक्ष्मण जैसे दिग्गज इस मध्यक्रम का हिस्सा थे। इसी कड़ी में नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए आते थे भारत के भरोसेमंद खिलाड़ी राहुल द्रविड़। 2000 की शुरुआत में भारतीय ओपनिंग की समस्या खत्म नहीं हुई थी। भारतीय टीम को कोई स्थापित सलामी बल्लेबाज नहीं मिल पाया था। इसी वजह से कई बार राहुल द्रविड़ को ओपनिंग भी करनी पड़ती थी। वहीं कई बार ऐसा भी होता था कि सलामी बल्लेबाजों के जल्द आउट होने से नंबर 3 पर आने के कारण द्रविड़ सलामी बल्लेबाज वाली पोजिशन में आ जाते थे। इस समय पारी को बिना विकेट खोए आगे बढ़ाना काफी अहम हो जाता था। द्रविड़ इस काम को बखूबी अंजाम देते थे। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस सीरीज में वो ज्यादा सफल नहीं रहे। उस सीरीज में राहुल द्रविड़ 4 टेस्ट मैचों में केवल एक ही अर्धशतक लगा पाए। सचिन तेंदुलकर दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक सचिन तेंदुलकर उस समय भारतीय टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ी थे। 16 साल की उम्र में डेब्यू करने के साथ ही उनके अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में उस वक्त तक कई उतार-चढ़ाव आ चुके थे। चोटिल होने के कारण सीरीज का पहला 2 मैच सचिन नहीं खेल पाए थे। नागपुर टेस्ट से उन्होंने टीम में वापसी की। उस समय भारतीय टीम 1-0 से सीरीज में पीछे थी। मुंबई टेस्ट में सचिन के अर्धशतक की बदौलत भारतीय टीम सीरीज का एकमात्र मैच जीतने में सफल रही। सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम में सौरव गांगुली ने एक नई ऊर्जा का संचार किया। अपनी कप्तानी में उन्होंने टीम में नई जान फूंक दी और भारतीय टीम को जीतना सिखाया। अपनी आक्रामक कप्तानी की वजह से गांगुली काफी मशहूर हो गए। 2004 की उस सीरीज में गांगुली भी केवल 2 ही मैच खेल पाए थे। बैंगलोर टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 45 रन बनाए थे, हालांकि भारतीय टीम वो मैच हार गई थी। इसके बाद उन्होंने मुंबई में खेले गए आखिरी टेस्ट मैच में हिस्सा लिया। वो मैच भारतीय टीम के नाम रहा था। वीवीएस लक्ष्मण वीवीएस लक्ष्मण का नाम सुनते ही ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को पसीने आ जाते हैं। 2004 में जब कंगारु टीम ने भारत का दौरा किया तो उनके जेहन में 2001 में खेली गई 281 रनों की वो मैराथन पारी ताजा थी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करीब 50 का औसत होने के बावजूद वीवीएस लक्ष्मण उस सीरीज में असफल रहे। लेकिन मुंबई में खेले गए आखिरी टेस्ट मैच की दूसरी पारी में 69 रनों की पारी खेलकर लक्ष्मण ने भारतीय टीम को जीत दिला दी।