इसमें थोड़ा वक्त लगा, लेकिन आखिर में बांग्लादेश की टीम एकमात्र टेस्ट मैच खेलने के लिए भारत में है। ये पहली बार होगा जब बांग्लादेश की टीम भारतीय सरजमीं पर कोई टेस्ट मैच खेलेगी। ये कहना कि टेस्ट टीम का दर्जा मिलने के बाद भारत में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने में बांग्लादेश को 16 साल क्यों लग गए काफी मुश्किल है। लेकिन दोनों ही देशों के क्रिकेट बोर्डों की आर्थिक स्थिति इसकी मुख्य वजह हो सकती है। हालांकि भारत-बांग्लादेश मैच में उस तरह का उत्साह या प्रतिद्वंदिता नहीं रहती है जिस तरह से भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान होती है। फिर भी बांग्लादेशी फैन अपनी टीम को चियर करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। बांग्लादेशी फैन अपनी टीम का जमकर सपोर्ट करते हैं। हालांकि भारत के खिलाप 8 मैचों में से बांग्लादेशी टीम अभी एक भी मैच नहीं जीत सकी है। बांग्लादेश का टेस्ट क्रिकेट में सफर साल 2000 में शुरु हुआ था। तब भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया था। एक कप्तान के तौर पर गांगुली का ये पहला विदेशी दौरा था। भारत की टीम काफी मजबूत थी और जैसा कि सबको उम्मीद थी पहले टेस्ट में भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट की नौसिखिया बांग्लादेशी टीम को 9 विकेट से हरा दिया। लेकिन मेजबान बांग्लादेश ने पहली पारी में 400 रन बनाकर भारत को कड़ी चुनौती जरुर दी थी। चुंकि 16 साल बाद बांग्लादेश की टीम भारत में है, इसलिए आइए हम आपको लिए चलते हैं यादों की उन्हीं झरोखों में जब गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया था और बांग्लादेशी टीम ने भारत के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। एक नजर उन 11 भारतीय खिलाड़ियों पर जो उस टेस्ट मैच का हिस्सा थे। 1.सदगोपन रमेश सदगोपन रमेश ने जनवरी 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था। उस मैच में उन्होंने पाकिस्तान गेंदबाजों को काफी आसानी से खेला और सबको प्रभावित किया। अच्छा स्टार्ट मिलने के बावजूद वो 19 टेस्ट मैच से ज्यादा नहीं खेल सके। 2001 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच उनका आखिरी मैच था। बाद में उन्होंने केरल और असम के लिए रणजी मैच भी खेला। इसके बाद तमिलनाडु के लिए उन्होंने रणजी मैच खेला और इसी टीम से खेलते हुए संन्यास ले लिया। 2007 में त्रिपुरा के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी रणजी मैच खेला था। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सदगोपन रमेश ने फिल्म इंडस्ट्री में अपना सिक्का जमाया और 2 तमिल फिल्मों में एक्टिंग की। ये दोनों फिल्में थीं, संतोष सुब्रमण्यम (2008), और पोट्टा-पोट्टी 50/50 (2011) थी। इन दोनों ही फिल्मों में उन्होंने लीड रोल किया था। शिव सुंदर दास शिव सुंदर दास एक क्लासिक ओपनर थे। लेकिन विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के टीम में आने के बाद टीम में उनकी जगह जाती रही। दास उड़ीसा से भारतीय टीम में खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी थे। पहले खिलाड़ी देवाशीष मोहंती थे, जिन्होंने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू जिम्बॉब्वे के खिलाफ मैच से किया था। दास नई गेंद के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन मात्र 23 टेस्ट मैच तक ही उनका करियर चल सका जो कि उनकी प्रतिभा से बिल्कुल भी न्याय नहीं है। बांग्लादेश के खिलाफ वो टेस्ट मैच उनका पहला टेस्ट मैच था। भारतीय टीम की तरफ से उन्होंने अपना आखिरी मैच साल 2002 में खेला था। हालांकि जनवरी 2013 तक उन्होंने घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा। हाल ही में उन्होंने चयनकर्ता बनने में रुचि दिखाई थी। लेकिन क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लिए हुए उन्हें अभी 5 साल नहीं हुए हैं इसलिए उनके चयनकर्ता बनने की संभावना खत्म हो गई। सौरव गांगुली 'दादा' या प्रिंस ऑफ कोलकाता भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली को लोग प्यार से इसी नाम से पुकारते हैं। उन्होंने ऐसे दौर में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली जब वर्ल्ड क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का साया छाया हुआ था। 2005 में गांगुली अच्छे फॉर्म में नहीं थे, वहीं दूसरी तरफ नए कोच ग्रेग चैपल से भी उनकी नहीं बन रही थी। इसलिए जल्द ही वो टीम से बाहर हो गए। हालांकि अगले ही साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच से उन्होंने धमाकेदार वापसी की और 2008 में संन्यास लेने तक टीम का नियमित हिस्सा रहे। वर्तमान में सौरव गांगुली क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वो क्रिकेट कमेंट्री भी करते हैं और फुटबाल लीग, इंडियन सुपर लीग की टीम एटलेटिको डी कोलकाता के सहमालिक भी हैं। सचिन तेंदुलकर उस मैच में मुरली कार्तिक को नाइटवाचमैन बनाकर भेजने की वजह से तेंदुलकर नंबर 5 पर बल्लेबाजी करने आए। तब से लेकर 2013 में संन्यास लेने तक सचिन तेंदुलकर ने वर्ल्ड क्रिकेट पर राज किया। 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। अपने आखिरी मैच में सचिन ने 76 रनों की पारी खेली। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सचिन अब सीधे तौर पर क्रिकेट से जुड़े हुए नहीं हैं। 2012 में वो राज्यसभा के सदस्य बने और 2016 रियो ओलंपिक का उन्हें ब्रांड ऐंबेस्डर बनाया गया। हालांकि सचिन कई नामी-गिरामी कंपनियों के लिए एड करते हैं और वो एक बड़े ब्रांड आईकॉन हैं। इसके अलावा इंडियन सुपर लीग की टीम केरला ब्लास्टर्स के वो सहमालिक भी हैं। 2014 में सचिन ने एमसीसी की तरफ से रेस्ट ऑफ वर्ल्ड टीम के खिलाफ मैच भी खेला। ये सचिन और शेन वॉर्न ही थे जिनकी कोशिशों की वजह से ऑल स्टार टूर्नामेंट का आयोजन हो पाया। राहुल द्रविड़ साल 1999 दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ के लिए काफी अच्छा रहा। वर्ल्ड कप में वो सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। धीरे-धीरे द्रविड़ भारतीय बल्लेबाजी के मुख्य स्तंभ बन गए। बांग्लादेश के खिलाफ उस मैच में 61 रनों के मामूली से लक्ष्य का पीछा करते हुए द्रविड़ ने 41 रनों की पारी खेली थी। अगले एक दशक तक द्रविड़ भारतीय टीम की बल्लेबाजी की धुरी रहे। दबाव में बेहतर खेल दिखाने और दुनिया की खतरनाक से खतरनाक गेंदबाजी अटैक का सामना करने में राहुल द्रविड़ सक्षम थे। यही वजह रही कि उन्हें भारत का सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज कहा जाता था। इसके अलावा नाजुक मौकों पर मैच जिताऊ पारियां खेलने के कारण उन्हें 'संकटमोचक' भी कहा जाता था। द्रविड़ कुछ समय तक भारतीय टीम के कप्तान भी रहे थे। इसके बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी और सिर्फ बल्लेबाज के रुप में खेलते रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के बाद मार्च 2012 में द्रविड़ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। वर्तमान में राहुल द्रविड़ इंडिया-ए और अंडर-19 टीम के कोच हैं। उनकी अगुवाई में हाल ही में भारतीय जूनियर टीम ने एशिया कप का खिताब जीता है। सबा करीम बांग्लादेश के खिलाफ वो टेस्ट मैच सबा करीम का पहला और आखिरी टेस्ट मैच था। क्रिकेट करियर के लिहाज से सबा करीम काफी दुर्भाग्यशाली रहे, आंख में चोट की वजह से उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर महज कुछ मैचों तक ही सिमट कर रहा गया। सबा करीम ने 34 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अपना पहला एकदिवसीय मैच उन्होंने 1997 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। समीर दिग्हे, नयन मोगिया और एमएसके प्रसाद के टीम में आने के बाद सबा करीम को टीम से साइडलाइन ही कर दिया। 2000 में उन्होंने क्रिकेट में फिर वापसी की, लेकिन चोट की वजह से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा। इसके बाद से सबा करीम ने कई टीवी चैनलों पर स्पोर्ट्स एनालिस्ट के तौर पर काम किया। 2012 में वो संदीप पाटिल की अगुवाई में उन्हें ईस्ट जोन का सेलेक्टर बनाया गया। मुरली कार्तिक कई स्पिनर आए और चले गए लेकिन कोई भी स्पिनर अनिल कुंबले और हरभजन सिंह के साथ उतनी लंबी पार्टनरशिप नहीं कर पाया जितनी की मुरली कार्तिक ने की। मुरली कार्तिक काफी अच्छे स्पिनर थे, लेकिन कुंबले और हरभजन की वजह से उनकी टीम में नियमित जगह कभी नहीं बन पाई, खासकर सौरव गांगुली की कप्तानी में। बांग्लादेश के खिलाफ उस ऐतिहासिक टेस्ट मैच में कार्तिक को बल्लेबाजी में प्रमोट कर नाइटवाचमैन बनाकर भेजा गया। कार्तिक ने कप्तान के फैसले को सही साबित करते हुए 43 रनों की उपयोगी पारी खेली। उन्होंने मैच में एक अहम विकेट भी चटकाया था। हालांकि इसके बाद से वो टीम की तरफ से मात्र 7 टेस्ट मैच और खेल सके। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वो लीग-20 मैच खेलते रहे। उन्होंने आईपीएल में कई टीमों की तरफ से मैच खेला। 2015 में मास्टर्स चैंपियंस लीग में कार्तिक ने विर्गो सुपर किंग्स का प्रतिनिधित्व किया। मुरली कार्तिक अब क्रिकेट कमेंटेटर हैं। सुनील जोशी ऐसा बहुत कम ही होता है कि एक टीम में एक साथ दो-दो लेफ्ट ऑर्म स्पिनर खेल रहे हों। लेकिन 2000 में खेले गए उस ऐतिहासिक टेस्ट मैच में सुनील जोशी और मुरली कार्तिक दो लेफ्ट ऑर्म स्पिनर भारतीय टीम का हिस्सा थे। उस मैच में अनिल कुंबले और हरभजन सिंह नहीं खेल रहे थे। हालांकि उस मैच के बाद जोशी मात्र 2 और टेस्ट ही खेल सके। ये टेस्ट मैच उन्होंने जिम्बॉब्वे के खिलाफ खेला था। जोशी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में 15 टेस्ट मैच 69 वनडे मैच खेले। इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु की टीम के साथ उनका साल 2010 तक कॉन्ट्रैक्ट था लेकिन वो सिर्फ पहले 2 संस्करण तक ही टीम का हिस्सा रहे। अभी सुनील जोशी को अगले दो सीजन के लिए असम रणजी ट्रॉफी का मुख्य चयनकर्ता चुना गया है। अजीत अगरकर अजीत अगरकर भारत के बड़े ऑलराउंडरों में से एक थे। एक तरफ जहां वो मध्यम गति की तेज गेंदबाजी करते थे तो दूसरी तरफ उनकी बैटिंग भी काफी लाजवाब थी। लेकिन उनका क्रिकेटिंग करियर तब डंवाडोल होने लगा जब गेंदबाजी में वो ज्यादा खर्चीले साबित होने लगे। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जब उन्होंने पर्दापण किया तो वे एकदम अलग तरह के गेंदबाज थे। उनके अंदर गजब की फुर्ती थी, गेंदबाजी में विविधिता थी और वो विस्फोटक बल्लेबाजी भी करते थे। 1998 में अगरकर ने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था। भारतीय टीम की तरफ से एक दशक से भी ज्यादा समय तक खेलने के बाद वो घरेलू क्रिकेट लगातार खेलते रहे। 2013 में मुंबई के रणजी ट्रॉफी जीतने के बाद उन्होंने क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास ले लिया। क्रिकेट के बाद अगरकर ने गोल्फ में हाथ आजमाया और उसमें वो सफल भी रहे। हाल ही में उन्होंने बेंगलुरु में बीएमआर कार्पोरेट गोल्ड चैंपियनशिप जीता है। जवागल श्रीनाथ जवागल श्रीनाथ सही मायने में भारत के पहले तेज गेंदबाज थे। उन्होंने लंबे समय तक भारतीय टीम की सेवा की। उनका क्रिकेट करियर चोट की वजह से काफी प्रभावित रहा। फिर भी जवागल श्रीनाथ ने काफी विकेट निकाले। उनके नाम वनडे मैचों में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है। एकदिवसीय मैचों में श्रीनाथ ने 315 विकेट चटकाए हैं। वो वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। 2003 में संन्यास लेने के बाद कुछ समय तक उन्होंने क्रिकेट कमेंटरी की इसके बाद 2006 में वो मैच रेफरी बन गए। जहीर खान उस टेस्ट मैच में 3 खिलाड़ियों ने डेब्यू किया था जिनमें से एक जहीर खान भी थे। नॉक आउट कप में जहीर खान ने अपना वनडे डेब्यू किया। उनका डेब्यू काफी शानदार रहा। उस मैच में उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद जहीर खान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यही वजह रही कि जल्द ही उन्हें टेस्ट टीम में भी जगह मिल गई। हालांकि 2005-2006 तक आते-आते जहीर खान का फिटनेस जवाब देने लगा। वो ज्यादातर चोटिल रहने लगे। जिसका उनके क्रिकेट पर बुरा असर पड़ा। हालांकि 2006 में उन्हें एक नई संजीवनी मिली। इंग्लिश काउंटी सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद उन्होंने भारतीय टीम में एक बार फिर से वापसी की। इस बार उनका पेस तो जरुर कम था, लेकिन गेंदबाजी में धार थी। 2015 में जहीर खान ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। हालांकि 2016 में उन्होंने आईपीएल भी खेला। वो दिल्ली डेयरडेविल्स के कप्तान थे और मेंटोर भी थे। इसके बाद से जहीर खान क्रिकेट कमेंटरी और पोस्ट मैच एनालिसिस कर रहे हैं।