सचिन तेंदुलकर के डेब्यू के समय की भारतीय टीम अब कहां है?

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क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर निश्चित ही विश्व के महान बल्लेबाजों में से एक रहेंगे। 24 साल के अपने अंतराष्ट्रीय करियर में मुंबई के इस बल्लेबाज़ ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए और अपना अलग ही नाम कमाया। सचिन तेंदुलकर ने अपना डेब्यू साल 1989 में नवंबर के महीने में चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ कराची में किया था। उनके लिए डेब्यू आसान नहीं था, क्योंकि उनके सामने इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनस जैसे दिग्गज गेंदबाज थे। पाकिस्तान के 409 के जवाब में भारतीय टीम 41 रन पर 4 विकेट गवां चुकी थी, जब क्रीज पर आए 16 साल के सचिन। मैच का स्कोरबोर्ड तो यही दिखाएगा कि वकार की गेंद पर बोल्ड होने से पहले उन्होंने महज 15 रन बनाए थे। उस मैच में मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ निभाई गई 32 की साझेदारी की बदौलत भारतीय पारी पटरी पर लौटी और भारत वो टेस्ट ड्रॉ कराने में कामयाब रहा। उस समय किसी ने नहीं सोचा होगा कि सचिन यहाँ तक पहुँच पाएंगे, जहां वो इस समय खड़े है। सचिन के नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक है, जो कारनामा आज तक किसी और खिलाड़ी ने नहीं किया है , इसके अलावा टेस्ट और वनडे में उनके नाम सबसे ज्यादा रन है, यह लिस्ट तो कभी खत्म नहीं होगी। सचिन ने साल 2013 में क्रिकेट को अलविदा कहा और उसके बाद से वो अलग-2 खेलों में अपना योगदान दें रहे है। आइए नज़र डालते है सचिन के टेस्ट डैब्यू के समय के उनके साथी इस समय कहां है :

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1- कृष्णमचारी श्रीकांत
सचिन तेंदुलकर ने जिस कप्तान के अंदर अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत की, वो थे क्रिस श्रीकांत। पाकिस्तान की पारी समाप्त होने के बाद दाए हाथ ताबड़तोड़ सलामी बल्लेबाज़ सिर्फ उस पारी में 30 मिनट तक ही क्रीस पर टिक पाए और महज 4 रन बनकर आउट हो गए। दूसरी पारी में उन्होंने मूल्यवान 31 रन बनाए, जिसकी बदौलत भारतीय टीम टेस्ट ड्रॉ कराने में कामयाब हुई। श्रीकांत ने इंटरनेशनल क्रिकेट से 1993 में अलविदा कहा था, जब खराब फॉर्म के कारण उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। उनके करियर का सबसे बड़ा हाईलाइट था 1983 में मिली विश्व कप में जीत, जिस टीम की वो सदस्य थे। रिटायरमेंट के बाद श्रीकांत ने कोचिंग में भी हाथ आजमाए और उन्हें इंडिया ए का कोच भी बनाया गया। लेकिन वो उस पॉजीशन पर कम समय के लिए ही रहे और उसके बाद उन्होंने कई स्पोर्ट्स और न्यूज़ चैनल में कमेंट्री की। साल 2008 में उन्हें टीम इंडिया का चीफ सिलेक्टर नियुक्त किया गया और वो उस पॉजीशान पर 2012 तक रहे। इसके अलावा वो इंडियन प्रीमियर लीग की दो टीमें चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद के साथ भी जुड़े। उन्होंने 2013 में नेशनल टीवी पर एक डांस रिऐलिटी शो के छटे संस्करण में भी हिस्सा लिया। हाल ही में वो एक बड़े न्यूज़ चैनल में क्रिकेट एक्सपर्ट के तौर पर जुड़े हुए है।
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2- नवजोत सिंह सिद्धू sindhu-1477667584-800

श्रीकांत के साथ पारी की शुरुआत करने आते थे कम बोलने वाले आक्रमक नवजोत सिंह सिद्धू। पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी में सिद्धू ने 230 गेंदों में 85 रनों की ज़िम्मेदारी वाली पारी खेली और टीम को हार से बचाया। साल 1999 में उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से रिटायर होने से पहले 7000 अंतराष्ट्रीय रन बनाने। 2001 में वो एक क्रिकेट कमेंटेटर बन गए और वो काफी फेमस भी हुए। हालांकि कमेंट्री करते हुए वो विवादों में भी रहे और उन्हें यहाँ तक कि एक बार ऑन एयर शपथ लेने के कारण उन्हें निकाल भी दिया गया। इसके अलावा सिद्धू को आईसीसी ने बांग्लादेश के मैचों के दौरान कमेंट्री करने पर भी बैन लगाया हुआ है, क्योंकि उन्होंने बांग्लादेशी टीम के खिलाफ विवादास्पद बातों का इस्तेमाल किया था। 2004 में वो लोक सभा में सांसद बने, लेकिन दो साल के अंदर ही उन्हें 1988 में हुए एक रोड एक्सीडेंट में लिप्त पाए जाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। सिद्धू इसके अलावा वर्ल्ड जट आर्यन फाउंडेशन के प्रेसीडेंट भी थे। हाल के समय में सिद्धू को आईपीएल और इंटरनेशनल मैचों की हिन्दी कमेंट्री करते है। इसके अलावा वो टीवी रिऐलिटी शो में जज के तौर भी नज़र आए और वो एक कॉमेडी शो में भी नज़र आते है। 3- संजय मांजरेकर sanjay-1477667725-800 संजय मांजरेकर जोकि उस समय इंटरनेशनल क्रिकेट में नए-नए आए थे और पहली पारी में वो तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे। पहली पारी में वो बाकी टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों की तरह रन बनाने में नाकाम रहे। हालांकि दूसरी पारी में उन्होंने शानदार शतक लगाया और पाकिस्तान के खिलाफ मैच ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई। संजय जोकि पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ विजय मांजरेकर के बेटे है और उनका इंटरनेशनल करियर काफी अच्छा रहा। उन्होंने अपना अंतिम इंटरनेशनल मैच साल 1996 में खेला, लेकिन वो 1997-98 सीजन तक घरेलू क्रिकेट खेलते रहे। रिटायरमेंट के बाद उन्हें कमेंट्री के लिए बुला लिया गया। हाल में वो कई चैनल के लिए कमेंट्री करते है। पूर्व क्रिकेटर अपने इस काम में काफी सफल हुए है। मांजरेकर ट्विटर पर भी काफी एक्टिव है। अपने खेलने के दिनों में वो अच्छा गाना भी गाते थे। हालांकि रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी इंडी-पॉप एलबम 'रेस्ट डे' के नाम से लॉंच की। उसके बाद उन्होंने बंगाली मूवी में प्लेबैक सिंगिंग भी की। 4- मोहम्मद अजहरुद्दीन azharuddin मोहम्मद अजहरुद्दीन ने पहली पारी में पाकिस्तान गेंदबाजों द्वारा किए गए हमलों से टीम को उबारा और वो सचिन के इंटरनेशनल लेवल पर पहले पार्टनर थे। पहली पारी में उन्होंने तेंदुलकर के साथ अच्छी साझेदारी की और 35 रन बनाए और दूसरी पारी में भी उन्होंने अच्छी पारी खेली। उसके बाद अजहरुद्दीन भारतीय टीम के सफल कप्तान बने और उनका बल्ले के साथ भी प्रदर्शन बेजोड़ रहा। हालांकि मैच फिक्सिंग में नाम आने के कारण उनका इंटरनेशनल क्रिकेट छोटा हो गया।

साल 2000 में उनका और साउथ अफ्रीका टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोंजे के साथ मैच फिक्सिंग में नाम आया था। उसके बाद बीसीसीआई और आईसीसी ने उनके ऊपर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया।
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साल 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजनल बेंच जिसमें जस्टिस आशुतोष मोहुंटा और कृष्ण मोहन रेड्डी शामिल थे। उन्होंने अजहर के ऊपर से सारे बैन हटा दिए। 2009 में वो इंडियन नेशनल कोंग्रेस की सीट से मोरदाबाद की सीट से चुनाव लड़े और वो 2014 तक सांसद रहे। हाल में उनके ऊपर एक फिल्म बनी जिसका नाम अजहर था और उस फिल्म में उनका किरदार निभाया इमरान हाशमी ने।
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5- मनोज प्रभाकर prabhakar-1477667807-800

पहली पारी में माध्यम गति के तेज़ गेंदबाज मनोज प्रभाकर नंबर 5 पर तेंदुलकर के ऊपर बल्लेबाज़ी करने आए। उन्होंने पाकिस्तान की पहली पारी में 5 विकेट लिए थे, लेकिन उसी प्रदर्शन को बल्लेबाज़ी में नहीं दोहरा पाए। दूसरी पारी में उन्होंने रमीज राजा को आउट किया था। 1996 विश्व कप में प्रभाकर को श्रीलंका के खिलाफ गेंद करने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए आखिर दो ओवर उन्होंने स्पिन बॉलर की तरह डाले, हालांकि इस बीच उन्हें क्राउड़ के विरोध का सामना करना पड़ा था। उस इंसिडेंट के बाद उन्होंने जल्द ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया। प्रभाकर ने तहलका द्वारा 1999 में मैच फिक्सिंग के एक्पोजर में अहम भूमिका निभाई। हालांकि वो खुद भी उसमें शामिल थे और बाद में बीसीसीआई ने उनके ऊपर बैन भी लगा दिया था। रिटायरमेंट के बाद वो राजस्थान टीम के कोच और दिल्ली टीम के बॉलिंग कोच भी बने। हालांकि अपने खिलाड़ियों की आलोचना करने के कारण उन्हें कोच पद से हटा दिया गया, 2015 में उन्हें अफगानिस्तान टीम का बॉलिंग कोच नियुक्त किया गया। हाल में रणजी ट्रॉफी में वो उत्तर प्रदेश के कोच है। 6- रवि शास्त्री ravi-1477667837-800 रवि शास्त्री उस मैच में सचिन के आउट होने के बाद बल्लेबाज़ी करने आए और उन्होंने पहली पारी में 45 रन बनाए और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। शास्त्री ने मैच के आखरी दिन का आखिरी सत्र में बल्लेबाज़ी करकर टीम को हार से बचाया। शास्त्री का अंतराष्ट्रीय करियर घुटने की चोट के कारण छोटा ही रहा। उन्होंने देश के लिए अपना आखिरी मैच 1992 में खेला था और उन्हें 31 साल की उम्र में रिटायर होना पड़ा। उन्होंने 1994 तक फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना जारी रखा और बॉम्बे के लिए रणजी ट्रॉफी भी जीती। 1995 में ऑल राउंडर ने टीवी कमेंटेटर के रूप में अपना डेब्यू किया और वो अभी भी उस रोल में है। वो भारत के सबसे अच्छे कमेंटेटर में से एक है। शास्त्री भारतीय टीम के 2007 में कोच भी रहे थे और 2014 में उन्हें टीम का निदेशक बना दिया था। उनका कार्यकाल इस साल खत्म हुए टी20 विश्व तक था। उन्होंने भारतीय टीम के कोच पद के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन अनिल कुंबले को उनके ऊपर तरजीह दी गई थी। 7- कपिल देव kapil-1477667881-800 कपिल देव, जोकि भारतीय टीम को 1983 विश्व कप विजेता टीम के कप्तान थे और उन्हें सचिन के डैब्यू मैच में ऑल राउंड प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। पहली पारी में उन्होंने 55 रन बनाए, तो मैच में उन्होंने 7 विकेट लिए। टेस्ट मैच में रिचर्ड हेडली के सबसे ज्यादा विकेट लेने के रिकॉर्ड तोड़ने के बाद कपिल देव ने 1994 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उसके बाद भारत के सबसे सफलतम ऑल राउंडर को 1999 में नेशनल टीम का कोच बना दिया गया। हालांकि मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दें दिया था। कपिल देव ने उसके बाद हर चीज से दूरी बना ली और वो चर्चा में तब आए, जब 2002 में विज्डन ने उन्हें विज्डन इंडियन क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी के लिए नोमिनेट किया। उसके बाद 2004 में भारत के पाकिस्तान दौरे से पहले हुए कैंप में उन्हें गेंदबाजी कोच नियुक्त किया गया। 2006 में उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी का 2 साल के लिए चेयरमैन बना दिया गया। इसके अलावा उन्होंने कुछ फिल्मों में भी काम किया, जिसमें इकबाल, दिल्लगी, यह दिल्लगी, चैन कुली की मैन कुली और मुझसे शादी करोगी शामिल थी। वो विवादों में घिरी रहने वाली इंडियन क्रिकेट लीग से भी जुड़े थे, जिससे उन्होंने 2012 में सारे नाते तोड़ दिया था। अब वो कमेंट्री करते नज़र आ रहे है। 8- किरण मोरे kiran-1477667908-800 तेंदुलकर के डेब्यू मैच में विकेटकीपिंग करने वाले किरण मोरे ने भारत की पहली पारी में टीम के लिए अहम किरदार निभाया। वो बल्लेबाज़ी करने तब आए, जब टीम का स्कोर 163-7 था और उनके 58 रनों की बदौलत इंडिया की टीम 262 रन तक पहुँचने में कामयाब रही। 1993 के बाद वो टीम के नियमित सदस्य नहीं बन पाए, लेकिन 1998 तक उन्होंने घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा। रिटायरमेंट के बाद वो देश में युवा प्रतिभा को आगे लेकर आए। उन्होंने 1997 में मोरे एलम्बिक क्रिकेट अकादमी शुरू की और 2002 में उन्हें भारतीय चयन समिति का अध्यक्ष बनाया गया और वो उस पॉजीशान पर 2006 तक रहे। अपना कार्यकाल के दौरान उन्होंने इंडियन टीम में युवा खिलाड़ियों को तरजीह दी। हाल में वो टीवी सीरियल तमन्ना में चोटर से रोल में नज़र आए, जहां वो विमेन्स क्रिकेटर को बिल्ड करते नज़र आए। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एमएस धोनी के रोल के लिए सुशांत सिंह राजपूत को ट्रेन भी किया था। धोनी के जिंदगी पर हाल ही में एक फिल्म बनी थी, जिसका नाम एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी। 9- अर्शद आयुब ayub-1477667942-800 ऑफ स्पिनर अर्शद आयुब का प्रदर्शन सचिन के डेब्यू मैच में काफी खराब रहा। वो गेंद के साथ कुछ खास नहीं कर पाए। उन्होंने पहली पारी में जहां सिर्फ एक रन बनाया, तो वो दोनों पारियों में विकेट लेने में नाकाम रहे। वो उनके करियर का भी अंत साबित हुआ। हालांकि घरेलू सर्किट में उन्होंने 1993-94 सत्र में हैदराबाद टीम की कप्तानी की। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने 1998 अर्शद आयुब क्रिकेट अकादमी शुरू की और उसमें से कुछ अच्छे खिलाड़ी देखने को मिले। 2010 में वो भारत के बांग्लादेश टूर पर मैनेजर के किरदार में नज़र आएँ और हाल में वो हैदराबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष है। हालांकि बीच में यह खबर सामने आई थी कि एएसीए के खिलाड़ियों कि सिलेक्शन में तरजीह दी गई थी। उसके बाद उन्हें दोनों पदों में से एक पर ही रहने का अधिकार था और उन्होंने हैदराबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद पर बने रहे। 1- सलील अंकोला salil-ankola-tvtalks-1477668052-800 1989 के पूरे पाकिस्तान दौरे में सलिल अंकोला, सचिन तेंदुलकर के रूममेट थे और उन्होंने भी अपना डेब्यू सचिन के साथ किया। उन्होंने मैच में दो विकेट हासिल किए, लेकिन वो बल्ले के साथ ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। वो 1996 में हुए विश्व कप में भारतीय टीम के सदस्य थे, हालांकि ट्यूमर के कारण उन्हें 28 साल की उम्र में क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया। उन्होंने इंडिया के लिए आखिरी बार 1997 में साउथ अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे के साथ ट्राई सीरीज में हिस्सा लिया। रिटायरमेंट के बाद वो कोचिंग करते नज़र आए और उसके बाद उन्होंने टीवी और मूवीज में भी काम किया। उनकी पहली फिल्म 2000 में कुरुक्षेत्र आई थी और उसके बाद 2002 में वो पितह, 2003 में चुरा लिया है तुमने और 2004 में ड्रेसिंग रूम में भी नज़र आए। अंकोला ने 2006 में बिग बॉस में हिस्सा लिया और उसके बाद वो टीवी सोप में काम करते नज़र आए। हालांकि 2008 में उन्हें एल्कोहोल के सेवन से बचने के लिए रीहैब से गुजरना पड़ा। विवादों ने उनका पीछा कभी नहीं छोड़ा और 2013 में उनकी पूर्व पत्नी पंखे से लटकी हुई पाई गई। हाल में उनकी बेटी की शादी संदीप पाटिल के बेटे के साथ हुई। लेखक- सगनिक, अनुवादक- मयंक मेहता

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