पहली पारी में माध्यम गति के तेज़ गेंदबाज मनोज प्रभाकर नंबर 5 पर तेंदुलकर के ऊपर बल्लेबाज़ी करने आए। उन्होंने पाकिस्तान की पहली पारी में 5 विकेट लिए थे, लेकिन उसी प्रदर्शन को बल्लेबाज़ी में नहीं दोहरा पाए। दूसरी पारी में उन्होंने रमीज राजा को आउट किया था। 1996 विश्व कप में प्रभाकर को श्रीलंका के खिलाफ गेंद करने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए आखिर दो ओवर उन्होंने स्पिन बॉलर की तरह डाले, हालांकि इस बीच उन्हें क्राउड़ के विरोध का सामना करना पड़ा था। उस इंसिडेंट के बाद उन्होंने जल्द ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया। प्रभाकर ने तहलका द्वारा 1999 में मैच फिक्सिंग के एक्पोजर में अहम भूमिका निभाई। हालांकि वो खुद भी उसमें शामिल थे और बाद में बीसीसीआई ने उनके ऊपर बैन भी लगा दिया था। रिटायरमेंट के बाद वो राजस्थान टीम के कोच और दिल्ली टीम के बॉलिंग कोच भी बने। हालांकि अपने खिलाड़ियों की आलोचना करने के कारण उन्हें कोच पद से हटा दिया गया, 2015 में उन्हें अफगानिस्तान टीम का बॉलिंग कोच नियुक्त किया गया। हाल में रणजी ट्रॉफी में वो उत्तर प्रदेश के कोच है।