रवि शास्त्री उस मैच में सचिन के आउट होने के बाद बल्लेबाज़ी करने आए और उन्होंने पहली पारी में 45 रन बनाए और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। शास्त्री ने मैच के आखरी दिन का आखिरी सत्र में बल्लेबाज़ी करकर टीम को हार से बचाया। शास्त्री का अंतराष्ट्रीय करियर घुटने की चोट के कारण छोटा ही रहा। उन्होंने देश के लिए अपना आखिरी मैच 1992 में खेला था और उन्हें 31 साल की उम्र में रिटायर होना पड़ा। उन्होंने 1994 तक फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना जारी रखा और बॉम्बे के लिए रणजी ट्रॉफी भी जीती। 1995 में ऑल राउंडर ने टीवी कमेंटेटर के रूप में अपना डेब्यू किया और वो अभी भी उस रोल में है। वो भारत के सबसे अच्छे कमेंटेटर में से एक है। शास्त्री भारतीय टीम के 2007 में कोच भी रहे थे और 2014 में उन्हें टीम का निदेशक बना दिया था। उनका कार्यकाल इस साल खत्म हुए टी20 विश्व तक था। उन्होंने भारतीय टीम के कोच पद के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन अनिल कुंबले को उनके ऊपर तरजीह दी गई थी।