कहां हैं भारतीय अंडर-19 टीम के सभी कप्तान?

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क्रिकेट के सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट की तरह ही 'अंडर-19 वर्ल्ड कप' भी काफी लोकप्रिय है। दुनियाभर के युवा खिलाड़ियों के लिए पूरे विश्व में नाम कमाने का ये एक बड़ा मौका होता है। ऐसा देखा भी गया है कि इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने वाले कुछ युवा अपने देश की सीनियर टीम में काफी सफल हुए हैं। अंडर-19 वर्ल्ड कप का पहला संस्करण 1988 में हुआ था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया विजयी रहा था। दूसरा वर्ल्ड कप इसके दस साल बाद खेला गया। लेकिन उसके बाद से, हर दो साल में इस भव्य टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता रहा है। भारत अंडर-19 की सबसे सफल टीम मानी जाती है। अभी तक तीन वर्ल्ड कप अपने नाम कर चुकी भारतीय टीम, विश्व में सबसे ज्यादा बार ये खिताब जीत चुकी है। भारत 2000,2008 और 2012 में चैंपियन बना था। ये खिताब भारतीय टीम ने क्रमानुसार, मोहम्मद कैफ, विराट कोहली और उन्मुक्त चंद की कप्तानी में जीते। यूं तो अंडर-19 वर्ल्ड ने भारतीय क्रिकेट को कई चमकते युवा सितारे दिए हैं, जिसमें युवा कप्तान भी शामिल हैं। लेकिन इन सभी अंडर-19 कप्तानों का क्रिकेट करियर एक जैसी नहीं रहा। कुछ ने बुलंदियों की ऊंचाइयों को छुआ तो कुछ घरेलू क्रिकेट में भी खास नहीं कर पाए। यहां हम बात करेंगे भारत के इन कप्तानों की और साथ ही जानेंगे कि कैसा था इनका अंडर-19 वर्ल्ड कप में प्रदर्शन और आज किस जगह खड़ा है इनका करियर :


#1 म्य्लुअहनन सेंथिल्नाथान - 1988

1988 में खेले गए पहले अंडर-19 विश्व कप में 'सेंथिल्नाथान' ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उस दौर में 'यूथ वर्ल्ड कप' के नाम से आयोजित हुए इस टूर्नामेंट में भारत का प्रदर्शन काफी खराब रहा। खेलने वाली आठ टीमों में से भारत छठे स्थान पर रहा। हालांकि कप्तान सेंथिल्नाथान सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय रहे। उन्होंने छह मैचों में 149 रन बनाए। उस युवा भारतीय टीम से नयन मोंगिया, प्रवीण आमरे और एसएलवी राजू जैसे कई खिलाड़ी निकले जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय टीम के लिए खेले। 1988 के इस विश्व कप के बाद सेंथिल्नाथान गोवा और तमिलनाडु में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने चले गए। 1995-96 उनका आखिरी फर्स्ट क्लास सीजन था, जिसके बाद वो रिटायर हो गए। फिलहाल सेंथिल्नाथान 'MRF पेस फाउंडेशन' में मुख्य कोच के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये संस्थान पूरे भारत से युवा क्रिकेटरों को खोजकर उनको उच्च स्तरीय ट्रेनिंग देकर तैयार करती है। #2 अमित पागनिस - 1998

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दूसरा विश्व कप दस साल के अंतराल के बाद 1998 में खेला गया। दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुए इस 'MTN अंडर-19 वर्ल्ड कप' में अमित पागनिस भारतीय टीम के कप्तान थे। पिछले विश्व-कप के मुकाबले इस टूर्नामेंट में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा। हालांकि खराब नेट रन-रेट के चलते भारतीय टीम फाइनल से पहले ही बाहर हो गई। भारत की इस वर्ल्ड कप टीम ने देश को हरभजन सिंह और वीरेंदर सहवाग जैसे खिलाड़ी दिए जो विश्व क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों में शुमार हुए। इस अंडर 19 टीम के कप्तान रहे अमित पागनिस दुर्भाग्यवश कभी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन सके। 1998 विश्व कप में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था। उन्होंने उस टूर्नामेंट में छह ईनिंग्स में 29.16 की औसत से बस 175 रन बनाए थे। पागनिस ने आगे चलकर महाराष्ट्र के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला। हालांकि इस लेवल पर भी उनका प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा। उन्होंने 95 फर्स्ट क्लास मैचों में 5851 रन बनाए। अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर उन्होंने कई दूसरी टीम के लिए भी खेला और 2008 में रेलवे के लिए खेलने के बाद संन्यास ले लिया। पागनिस इस समय मुंबई में बतौर कोच काम कर रहे हैं। कुछ समय पहले 2014 में, उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-25 टीम को कोच करते देखा गया था। #3 मोहम्मद कैफ - 2000

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मोहम्मद कैफ निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन फाल्डरों में से एक के तौर पर याद किए जाएंगे। कैफ भारतीय क्रिकेट में ज्यादा वक्त नहीं रहे, लेकिन उस कम अंतराल में भी उन्होंने टीम को कुछ यादगार लम्हे दिए। कैफ साल 2000 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के लीडर थे। उनकी टीम में युवराज सिंह भी थे जो, भारतीय टीम में शामिल हुए और आज छोटे फॉर्मेट में भारतीय क्रिकेट के किंग कहे जाते हैं। 1998 सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कैफ का साल 2000 में कुछ खास प्रदर्शन नहीं रहा। उन्होंने उस साल, आठ मैचों में 34.57 की औसत से लगभग 270 रन बनाए। मगर सौरव गांगुली की टीम में शामिल किए गए कैफ, भारत को कई मैच अपने बलबूते जिताने के लिए आज भी याद किए जाते हैं। युवराज सिंह के साथ उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं। लेकिन अपने प्रदर्शन को बरकरार रखने में कैफ विफल रहे और इसी के चलते वो भारतीय टीम में लंबे समय तक नहीं टिक सके। रणजी जैसे फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट में मोहम्मद कैफ आज तक खेल रहे हैं। फिलहाल वो छत्तीसगढ़ टीम के कप्तान हैं। कैफ ने भारत की एक बड़ी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में भी हाथ आजमाया है। #4 पार्थिव पटेल - 2002

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पार्थिव पटेल के नाम टेस्ट में डेब्यू करने वाले दुनिया के सबसे युवा विकेटकीपर बल्लेबाज का रिकॉर्ड आज भी कायम है। वो 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टेस्ट टीम में पहली बार शामिल किए गए थे। इसी साल पार्थिव ने अंडर -19 विश्व कप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। इस विश्व कप में भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका द्वारा सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई थी। भारतीय सीनियर टीम में अपने शुरुआती करियर में पार्थिव का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन वो लंबे वक्त तक टीम में नहीं रह पाए। वो अपनी बल्लेबाजी को बरकरार नहीं रख पाए और विकेट कीपिंग में भी पिछड़ते दिखे। फिर क्या था 2004 में एमएस धोनी के टीम में आने के बाद पार्थिव के करियर पर मानो पूर्णविराम लग गया। हालांकि एक दशक बाद पार्थिव पटेल ने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में वापसी की। इसके अलावा इस साल रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनी गुजरात की टीम के कप्तान पार्थिव ही थे। फिलहाल वो अपने राज्य की टीम के लिए लगातार एक अहम खिलाड़ी के रूप में खेल रहे हैं। 23 फरवरी से शुरू होने वाली ऑस्ट्रेलिया सीरीज में पार्थिव भारतीय टीम में वापसी करने की कुछ उम्मीद रख सकते हैं। #5 अंबाती रायुडु - 2004

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अंबाती रायुडु उन युवा क्रिकेटरों में से हैं जो घरेलू स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल नहीं हो रहे। 2004 के अंडर-19 विश्व कप में बतौर कप्तान अंबाती रायुडु भारतीय टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाने में कामयाब रहे। हालांकि उस टूर्नामेंट में उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा। 2004 के इस वर्ल्ड कप में भारत को पाकिस्तान के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। विश्व कप के बाद रायुडु वडोदरा और हैदराबाद के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे। फर्स्ट क्लास और फिर आईपीएल में उनके बेहतरीन खेल करे चलते रायुडु को 2013 में आखिरकार भारतीय टीम में जगह मिली। रायुडु अभी घरेलू क्रिकेट में अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं और इंडियन टीम में जगह बनाने की पुरजोर कोशिश भी। #6 रविकांत शुक्ला – 2006

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सभी अंडर 19 कप्तानों में से रविकांत शुक्ला का क्रिकेट करियर सबसे खराब रहा है। उन्होंने 2006 विश्व कप में टीम का नेतृत्व किया। हालांकि वो टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में कामयाब रहे लेकिन, पाकिस्तान से फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इस वर्ल्ड कप में शुक्ला ने पांच मैचों में सिर्फ 53 रन ही बनाए। इस अंडर 19 टीम में रवींद्र जडेजा, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और पीयूष चावला जैसे खिलाड़ी भी थे, जो भारतीय टीम में बड़ा नाम बनने में कामयाब रहे हैं। रविकांत विश्व कप के बाद यूपी के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते रहे। लेकिन यहां भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम सिर्फ दो शतक हैं। उन्होंने 2014 में अपना आखिरी घरेलू मैच खेला। 2015 में रविकांत इंडियन ऑयल में काम करते हुए देखे गए। #7 विराट कोहली – 2008

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इस लिस्ट में देखा जाए तो विराट कोहली इनमें से सबसे सफल कप्तान रहे हैं। 2008 में कोहली विश्व कप जीतने वाली अंडर 19 टीम के कप्तान थे। इस वर्ल्ड कप में भी उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा था। उन्होंने 6 मैचों में 47 के एवरेज से 235 रन बनाए जिसमें एक शतक भी शामिल है। अंडर 19 विश्व कप जीतने के बाद जैसे कोहली के सितारे बुलंदी पर चढ़ गए। भारतीय टीम में शामिल होकर उन्होंने अपनी जगह फिक्स कर ली। इतना ही नहीं एम एस धोनी जैसे अनुभवी कप्तान के उत्तराधिकारी भी बने। विराट इस समय में सभी फॉर्मेट में इंडियन टीम के कप्तान हैं। वो फिलहाल विश्व के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार हैं और लगातार अपने खेल में निखार ला रहे हैं। बतौर युवा कप्तान उम्मीद है कोहली इसी एकाग्रता के साथ टीम का नेतृत्व करते रहेंगे। #8 अशोक मेनारिया – 2010

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राजस्थान के अशोक मेनारिया काबिलियत के हिसाब से एक अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। 2010 के विश्व कप में अशोक ने भारतीय टीम को क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचाया, जहां फिर एक बार टीम को पाकिस्तान के हाथों शिकस्त मिली। इस टूर्नामेंट में अशोक का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा क्योंकि उन्होंने पांच पारियों में महज 35 ही बनाए। इस अंडर 19 टीम में ही मनदीप सिंह भी शामिल थे, जिन्हें फिलहाल भारत की टी-20 टीम में जगह दी गई है। लेकिन,अशोक मेनारिया अभी भी इंडिया टीम में डेब्यू का इंतजार कर रहे हैं। वो राजस्थान के लिए घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं। 57 घरेलू मैचों में उनके नाम 3400 रन हैं। इसके अलावा अशोक ने 2013 तक आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए भी अच्छा प्रदर्शन किया था। #9 उन्मुक्त चंद - 2012

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उन्मुक्त चंद को भारत के सबसे काबिल युवा बल्लेबाजों में गिना जाता है। 2012 के अंडर 19 विश्व कप में पूरी दुनिया के सामने उन्होंने अपना लोहा मनवाया और भारत को वर्ल्ड कप जितवाया। इस जीत के साथ ही उन्हें कोहली के बाद इंडिया का अगला उभरता हुए सितारे के रूप में देखा जाने लगा । 2012 के विश्व कप में उन्मुक्त ने 49 की शानदार औसत से छह पारियों में 236 रन बनाए। इतना ही नहीं उन्होंने फाइनल में नॉटआउट शतकीय पारी खेली जिसकी बदौलत भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर चैंपियन बना। काबिलियत होने के बावजूद उन्मुक्त भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब नहीं रहे हैं। इसका बड़ा कारण है उनका घरेलू क्रिकेट में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन न कर पाना। दिल्ली के लिए खेलते हुए उन्होंने 56 मैचों में 3056 रन बनाए हैं। फिलहाल वो रणजी जैसे बड़े टूर्नामेंट में दिल्ली के लिए लगातार खेल रहे हैं और आईपीएल में भी दिल्ली डेयरडेविल्स टीम का हिस्सा हैं। #10 विजय जोल - 2014

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2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी में विश्व कप अपने नाम करने वाली अंडर 19 टीम, दो साल बाद उस खिताब को बचा नहीं सकी। 2014 के विश्व कप में भारतीय टीम इंग्लैंड से क्वॉर्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गई थी। इस टूर्नामेंट में भारत पांचवे स्थान पर रहा। 2014 की इस वर्ल्ड कप टीम के कप्तान थे महाराष्ट्र के विजय ज़ोल। विजय के लिए वर्ल्ड कप अच्छा नहीं रहा था। उन्होंने पांच मैचों में महज़ 120 रन ही बनाए। इस टीम में सरफराज खान, श्रेयस अय्यर और दीपक हूडा जैसे प्रमुख खिलाड़ी भी निकले। विजय महाराष्ट्र के लिए घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन यहां भी उनका प्रदर्शन काबिलेतारीफ नहीं दिखा है। उन्होंने 20 मैच खेले जिसमें 723 रन बनाए हैं। वो आईपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर में भी लिए गए हैं, लेकिन अभी तक एक भी मैच नहीं खेल सके। #11 इशान किशन – 2016

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इस साल खेले गए अंडर 19 विश्व कप में भारत का प्रदर्शन तो अच्छा रहा लेकिन दमदार वेस्टइंडीज के सामने खिताब जीतने से चूक गया। इस भारतीय टीम की कमान इशान किशन के हाथों में थी। हालांकि ये टूर्नामेंट उनके लिए खराब सपने की तरह रहा क्योंकि 6 मैचों में उन्होंने केवल 73 रन ही बनाए। 2014 के विश्व कप में खेल चुके सरफराज खान, इस भारतीय टीम में भी शामिल थे और सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। उनके अलावा टीम में शामिल ऋषभ पंत के बेहतरीन खेल के लिए उन्हें हाल ही में संपन्न हुई इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में भारतीय टीम में जगह मिली। खराब वर्ल्ड कप के बाद इशान ने घरेलू क्रिकेट में अपना खेल सुधारा है। उन्होंने 20 मैचों में लगभग 48 के औसत से 1535 रन बनाए हैं। इसमें चार शतक और सात अर्धशतक भी शामिल हैं। इसके साथ ही रणजी में भी इसान अच्छा खेल रहें। यहां उन्होंने 16 पारियों में करीब 800 बनाए हैं। आने वाले समय में ये युवा खिलाड़ी अपने प्रदर्शन में सुधार लाकर सीनियर टीम के लिए डेब्यू करने की पुरजार कोशिश करेगा।

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