INDvSL: कोलकाता में दादा का 'हरा प्रयोग' कितना सही, कितना ग़लत!

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दक्षिण अफ़्रीका में धीमी और स्पिन विकेट, ऑस्ट्रेलिया में कम उछाल वाली पिच और न्यूज़ीलैंड या इंग्लैंड में हरी नहीं बल्कि सपाट और सूखी पिच मिले तो क्या आप हैरान नहीं होंगे ? ज़ाहिर है, आपका जवाब होगा बिल्कुल ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि इन देशों की परिस्थितियों और ख़ासियतों से ये विपरित है।

ठीक उसी तरह एशियाई महाद्वीप की पिच का मिज़ाज अलग है, जहां स्पिन गेंदबाज़ों को फ़ायदा मिलता है और पिच पर घास नहीं देखी जाती। हर टीम चाहती है कि उनकी घरेलू कंडीशन उनके लिए मददगार हो और टीम की ताक़त के हिसाब से तैयार की जाए। यही वजह है कि जब भारतीय क्रिकेट टीम न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या दक्षिण अफ़्रीका का दौरा करती है तो पिच मेज़बान टीम के हिसाब से तैयार की जाती है।

लेकिन श्रीलंका के ख़िलाफ़ मौजूदा सीरीज़ के पहले टेस्ट मैच में कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डंस की पिच पूरी तरह बदली हुई नज़र आ रही है। बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के दिशा निर्देश के बाद पिच को कुछ इस तरह तैयार किया गया ताकि भारत को घर में दक्षिण अफ़्रीका में खेलने का अहसास हो, पिच पर इतनी घास छोड़ दी गई कि आउटफ़ील्ड और पिच में ज़्यादा फ़र्क़ ही नहीं दिख रहा। जिसका नतीजा ये हुआ कि टीम इंडिया के बल्लेबाज़ श्रीलंकाई तेज़ गेंदबाज़ सुरंगा लकमल के सामने घुटने टेकते नज़र आए।

पिच से मिल रही मदद और बादल से घिरे माहौल में लकमल इतने ख़तरनाक हो सकते हैं, इसका अंदाज़ा उन्हें ख़ुद भी नहीं रहा होगा। लकमल की स्विंग गेंदबाज़ी का तोड़ भारतीय बल्लेबाज़ों के पास नहीं था, लकमल ने मैच की पहली ही गेंद पर के एल राहुल को शिकार बनाया फिर शिखर धवन को भी चलता किया और कप्तान विराट कोहली को भी पैवेलियन की राह दिखा दी। लकमल इस पिच पर कितने घातक दिख रहे हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके ख़िलाफ़ पहला रन बानने के लिए भारतीय बल्लेबाज़ों को 46 गेंदो का इंतज़ार करना पड़ा। लकमल ने अपने पहले 7.4 ओवर में बिना कोई रन दिए 3 विकेट झटक चुके थे, 2001 के बाद किसी भी गेंदबाज़ का ये एक बेहद अनोखा रिकॉर्ड है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ जेरोम टेलर ने 40 गेंदो तक कोई रन नहीं दिया था।

पिच पर घास और बारिश के आने जाने की वजह से बनी नमी, ये वह मिश्रण है जो किसी भी तेज़ गेंदबाज़ के लिए जन्नत से कम नहीं। जिसका फ़ायदा गेंदबाज़ उठा भी रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसी परिस्थिति नंबर-1 टीम के लिए पैदा करना सही है ? वह भी तब जब सामने वाली टीम ने कभी भी आपकी सरज़मीं पर एक भी टेस्ट न जीते हों, क्या ये एक जोखिम से भरा निर्णय नहीं ?

हर सिक्के की तरह यहां भी दो पहलू हैं, एक ये कि जोखिम तो है और अगर श्रीलंका से हार गए तो फिर टेस्ट की बेस्ट टीम की किरकिरी होना स्वाभाविक है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये है जिसे दादा ने भी देखा और फिर ये फ़ैसला किया, वह ये कि प्रोटियाज़ दौरे से पहले हरी पिच पर अगर भारतीय बल्लेबाज़ों की मैच प्रैक्टिस हो जाए तो उससे बेहतर और क्या होगा। ज़ाहिर है ये फ़ैसला अकेले दादा का नहीं होगा बल्कि उन्होंने कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री से ज़रूर राय ली होगी।

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सीम होती हुई गेंदो पर जिस अंदाज़ में भारतीय दिग्गजों ने अपनी विकेट गंवाई है, वह उनके लिए प्रोटियाज़ दौरे से ठीक पहले एक बड़ा संकेत है। कोलकाता की हरी पिच पर जब लकमल की स्वींग आपके होश उड़ा दे रही है तो ज़रा सोचिए प्रोटियाज़ पेस चौकड़ी (डेल स्टेन, कगिसो रबाडा, वर्नन फ़िलैंडर और मोर्न मॉर्कल) के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज़ों का क्या हाल हो सकता है ? ऐसे में कोहली एंड कंपनी के लिए दादा का ये प्रयोग पूरी तरह से सफल ही कहा जा सकता है, क्योंकि अगर प्रोटियाज़ में सीरीज़ जीतकर इतिहास रचना है और नंबर-1 की कुर्सी के लिए योग्य कहलाना है तो फिर इन हालातों से ऊबरना बेहद ज़रूरी है।

वैसे इतना तो प्रिंस ऑफ़ कोलकाता ने भी नहीं सोचा होगा, पिच पर घास तो उन्होंने छोड़वाई लेकिन उसके बाद कोहली एंड कंपनी का इम्तिहान क़िस्मत और मौसम ने भी लिया। मौसम ने पिच को और भी ख़तरनाक बना दिया तो टॉस के मामले में क़िस्मत भी कोहली के ख़िलाफ़ चली गई। लेकिन जो भी हुआ, उसके पीछे एक सकारात्मक सोच के साथ साथ एक बड़ा और कठोर फ़ैसला भी था जो भारतीय क्रिकेट में बेहद कम देखने को मिलता है।

Edited by Staff Editor